मोदी सरकार में वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने पाकिस्तान को चेताया है कि यदि उसने ज्यादा छेड़ने की कोशिश की तो अमेरिक ने जैसा एबटाबाद में किया था वैसी कार्रवाई भारत भी दोहरा सकता है। उधर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने चीन में बीजिंग के वुझेन में रूस-भारत-चीन के विदेश मंत्रियों की १६वीं बैठक को सम्बोधित करते हुए पाक की सीमा में भारत के हमले को लेकर कहा कि यह कोई सैन्य अभियान नहीं था।
बैठक में सुषमा स्वराज ने पुलवामा हमले का मुद्दा उठाया। सुषमा ने पाक की सीमा में भारत के हमले को लेकर कहा कि यह कोई सैन्य अभियान नहीं था। इसमें पाक के किसी भी सैन्य प्रतिष्ठान को निशाना नहीं बनाया गया। केवल आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकानों पर कार्रवाई की गई। भारत किसी भी रूप से तनाव को बढ़ाना नहीं चाहता।
सुषमा ने बैठक में कहा – ”हम जिम्मेदारी और संयम से काम करते रहेंगे।” सुषमा ने कहा कि पाकिस्तान अपनी जमीन पर आतंकी गुटों के होने और उन पर कार्रवाई करने से लगातार इनकार कर रहा था। वहीं, जैश भारत के कई हिस्सों में आतंकी हमले की साजिश कर रहा था। इसी वजह से हमारी सरकार को अचानक हमले का फैसला लेना पड़ा। हमने इस बात का ध्यान रखा कि कार्रवाई में किसी आम नागरिक की जान न जाए।
विदेश मंत्री के मुताबिक, पुलवामा आतंकवादी हमले के बाद जैश और पाक में स्थित अन्य आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी कहा था। लेकिन पाक ने इसे गंभीरता से लेने की बजाय किसी भी तरह की कार्रवाई से इनकार कर दिया। साथ ही पुलवामा हमले में जैश का हाथ होने से साफतौर पर इनकार कर दिया।
स्वराज ने कहा कि ऐसे कायराना आतंकी हमले सभी देशों को आगाह करने वाले हैं। इसके खिलाफ जीरो टॉलरेंस दिखाने और निर्णायक कार्रवाई करने की जरूरत है। हाल ही में हुए पुलवामा हमले के बाद हम सचेत हैं। ”हमले में हमारे ४० जवान शहीद हुए थे। जैश कश्मीर में अपनी गतिविधियां संचालित करता है। इसे पाक से मदद भी मिलती है।”
रिपोर्ट्स के मुताबिक सुषमा ने बैठक में चीन के विदेश मंत्री वांग यी और रूस के विदेश मंत्री सर्गे लावरोव के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि पिछले साल अप्रैल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग की वुहान में अनौपचारिक मुलाकात के बाद दोनों देशों के रिश्ते काफी बेहतर हुए हैं।
इस बीच वरिष्ठ मंत्री अरुण जेटली ने पाकिस्तान को चेताया है कि उसे किसी खुराफात से बाज आना चाहिए और कोइ दुस्स्साहस करने की नहीं सोचनी चाहिए। जेटली ने कहा कि फिर भी पाकिस्तान नहीं मानता है तो ”हम वैसे ही दोहरा सकते हैं जैसा अमेरिका ने एबटाबाद में किया था।”