दावोस में जनवरी के आिखरी सप्ताह में 50वीं इकोनॉमिक फोरम में दुनिया के तमाम नेताओं ने अलग-अलग मुद्दों पर अपनी-अपनी राय रखी। सबसे ज़्यादा चर्चा बटोरी अमेरिकी अरबपति समाजसेवी जॉर्ज सोरोस ने। जॉर्ज सोरोस स्टॉक निवेशक, व्यापारी, समाजसेवी और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। बकौल सोरोस, अब दुनिया में राष्ट्रीयता के मायने बदल गये हैं। सिविल सोसायटी में लगातार गिरावट आ रही है। इंसानियत कम होती जा रही है। दुनिया की सबसे मज़बूत शक्तियाँ- अमेरिका, चीन और रूस तानाशाहों के हाथों में हैं और सत्ता पर पकड़ रखने वाले शासकों में लगातार इज़ाफा होता जा रहा है। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग का भाग्य ही दुनिया की दिशा तय करेगा। वर्तमान में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, ट्रम्प और जिनपिंग जैसे तानाशाह सत्ता पर काबिज़ हैं। इतना ही नहीं, सत्ता पर पकड़ रखने वाले शासकों में दुनिया के अन्य हिस्सों में भी इनका कब्ज़ा बढ़ता जा रहा है।
89 वर्षीय सोरोस ने भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कश्मीर और सीएए-एनआसी को लेकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भारत में लोकतांत्रिक तरीके से चुने गये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को एक हिन्दू राष्ट्र बनाने जा रहे हैं। उन्होंने मुस्लिम बहुल जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाये जाने को इसी से जोडक़र देखा। इससे लाखों लोगों पर दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं नागरिकता संशोधन कानून-2019 से भारत में रहने वाले लाखों मुसलमानों पर नागरिकता जाने का संकट भी पैदा होने की आशंका जतायी। 130 करोड़ की आबादी वाले भारत में शरणार्थियों का पता लगाना और फिर उस प्रक्रिया पर लम्बा वक्त लग सकता है, साथ ही लाखों लोगों के अपने ही देश ही में राष्ट्रविहीन होने का खतरा भी मंडरा रहा है। अरबपति फाइनेंसर का यह बयान ऐसे समय में आया है, जब मोदी सरकार पहले से ही विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर देश के कई हिस्सों में विरोध-प्रदर्शनों का सामना कर रही है।
8 अरब डॉलर से अधिक की सम्पत्ति के मालिक अमेरिकी समाजसेवी ने राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बारे में कहा कि वे आत्ममुग्धता के शिकार हैं। वह इसी साल अमेरिका में होने वाले राष्ट्रपति चुनाव तक अर्थ-व्यवस्था में गिरावट को मैनेज करेंगे; लेकिन इसे लम्बे समय तक ऐसी स्थिति में कायम रखना मुमकिन नहीं हो सकता। वे चुनाव चुनाव जीतने के लिए चीन के साथ व्यापार समझौता करने को राज़ी हैं। वे सत्ता हासिल करने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकते हैं। शी जिनपिंग भी कम्युनिस्ट पार्टी की परम्परा तोड़ रहे हैं। सत्ता के केंद्र में खुद को बरकरार रखे हुए हैं। चीन की अर्थ-व्यवस्था भी अपना लचीलापन खो रही है। वे सत्तावादी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे व्यक्तिगत स्वायत्तता को खत्म कर देना चाहते हैं। ऐसी परिस्थति में खुले समाज के लिए कोई जगह नहीं होती है। हंगरी के पीएम विक्टर ऑर्बन को तानाशाह बताया। सोरोस मूल रूप से हंगरी के ही हैं। बता दें कि हंगरी के पीएम ऑर्बन के दबाव के चलते सोरोस की सेंट्रल यूरोपियन यूनिवर्सिटी (सीईयू) को देश छोडऩा पड़ा था।
7100 करोड़ रुपये दान देने का ऐलान
यह सच है कि हम इतिहास के बदलाव के दौर से गुज़र रहे हैं। खुले समाज की अवधारणा खतरे में नज़र आ रही है। इन सबके बीच बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन को दरकिनार किया जा रहा है। अब उन्होंने अपनी ज़िन्दगी का सबसे अहम प्रोजेक्ट ओपन सोसायटी यूनिवर्सिटी नेटवर्क (ओएसयूएन) बनाना चाहते हैं। यह ऐसा प्लेटफॉर्म है, जिसमें दुनिया की सभी यूनिवर्सिटी के लोग शिक्षा हासिल करने के साथ शोध कार्य कर सकेंगे। इसके लिए उन्होंने एक अरब डॉलर (करीब 7,100 करोड़ रुपये) का दान देने का भी ऐलान किया। अमेरिकी समाजसेवी ने यह भी कहा कि ओएसयूएन को लाने में अभी समय लग सकता है, पर यह स्थापित ज़रूर होगा।