सर्वोच्च अदालत ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जम्मू कश्मीर के उस आग्रह पर जवाब माँगा है जिसमें उसने जम्मू (कोट भलवाल) की जेल में बंद सात पाकिस्तानी आतंकियों को जम्मू से तिहाड़ शिफ्ट करने की गुहार लगाई है। इस बाबत जम्मू-कश्मीर सरकार ने १५ फरवरी को सर्वोच्च अदालत में एक अर्जी डाली थी जिसे स्वीकार करते हुए अदालत ने यह जवाब माँगा है।
जम्मू कश्मीर सरकार का अपनी अर्जी में कहना है कि जम्मू जेल में बंद पाकिस्तान के यह सात आतंकी उस जेल में बंद स्थानीय कैदियों को भड़काकर उनकी सोच बदलने और उन्हें आतंकी बनने के लिए उकसा रहे हैं। इस याचिका पर सर्वोच्च अदालत की जस्टिस एलएन राव और एमआर शाह की बेंच ने केंद्र और दिल्ली सरकार से जवाब मांगा है।
इससे पहले जम्मू-कश्मीर सरकार के स्टैंडिंग काउंसल शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि जम्मू जेल में बंद विभिन्न संगठनों के आतंकियों को दूसरी जगह स्थानांतरित करने की जरूरत है, क्योंकि वे स्थानीय कैदियों के दिमाग में आतंकी विचार भर रहे हैं। उन्हें यदि तिहाड़ शिफ्ट किये जाने में कोई दिक्कत हो तो हरियाणा और पंजाब की किसी भी उच्च सुरक्षा जेल में स्थानांतरित किया जा सकता है।
बेंच जम्मू-कश्मीर की याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई। उसने शोएब आलम से नोटिस की कॉपी सातों आतंकियों को भी भेजा जाना सुनिश्चित करने के लिए कहा। जम्मू-कश्मीर सरकार ने लश्कर-ए-तैयबा आतंकी जाहिद फारूक को जम्मू जेल से दूसरी जगह शिफ्ट करने के लिए १४ फरवरी को कश्मीर के पुलवामा में सीआरपीएफ के काफिले पर हुए आतंकी हमले के एक दिन बाद सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की थी। फारूक को सुरक्षा बलों ने १९ मई, २०१६ में तब गिरफ्तार किया था, जब वह सीमा सुरक्षा बाड़ पार करने की कोशिश कर रहा था।
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने तब भी कहा था कि जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे संगठनों से जुड़े आतंकी जेल में बंद अन्य साथियों के दिमाग में आतंकी विचार डाल रहे हैं। राज्य सरकार ने कहा कि इस बात का पक्का विश्वास है कि कैदी और अन्य व्यक्तियों को कुछ स्थानीय लोगों का समर्थन हासिल है।