जेएनयू में हुई हिंसा के मामले में दिल्ली पुलिस ने शुक्रवार को दावा किया कि उन छात्रों की पहचान कर ली गयी है, जो हिंसा में शामिल थे। पुलिस ने एक प्रेस कांफ्रेंस करके अपने दावे के साथ इन छात्रों के फोटो जारी किये। ‘आरोपियों’ में जेएनयूएसयू अध्यक्ष आईशी घोष का नाम भी शामिल किया है। हालांकि, घोष ने बाद में कहा कि उनके पास तमाम सबूत हैं।
दिल्ली पुलिस के पीआरओ एमएस रंधावा ने फोटो और नाम जारी किये। रंधावा ने कहा कि अभी जांच चल रही है। उन्होंने ‘आरोपियों’ के रूप में जिन जेएनयू छात्रों के नाम लिए उनमें सात बामपंथी और दो एबीवीपी संगठन से ताल्लुक रखते हैं। हालांकि, ख़बरों के मुताबिक पुलिस ने एक छात्र की पहचान गलत बताई।
पुलिस के दावे के मुताबिक आरोपियों में जेएनयू के पूर्व छात्र चुनचुन कुमार, जेएनयूएसयू अध्यक्ष आईशी घोष, डोलन समान्ता, विकास विजय, प्रिया रंजन, सुचेता तालुकदार, पंकज मिश्रा (लेफ्ट) और योगेंद्र भारद्वाज, विकास पटेल (एबीवीपी) शामिल हैं। इनके फोटो प्रेस कांफ्रेंस में जारी किये गए। पुलिस अधिकारी ने दावा किया कि इन सभी लोगों के खिलाफ सबूत जुटाने में सीसीटीवी कैमरों ने मदद की।
यहाँ यह दिलचस्प है कि साबरमती हॉस्टल में तोड़फोड़ का जो वीडियो सबसे ज्यादा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ था, पुलिस ने उसकी फोटो जारी नहीं की है।
पुलिस ने आरोप लगाया कि बहुत सारे छात्र पढ़ना चाहते हैं, लेकिन लेफ्ट के चार ग्रुप के छात्र उन्हें रजिस्ट्रेशन नहीं कराने दे रहे और स्टाफ के साथ भी धक्का-मुक्की कर रहे हैं। सर्वर को बंद कर दिया गया। लेफ्ट छात्र संगठनों ने ही पेरियार हॉस्टल पर हमला किया था। पुलिस ने यह जरूर माना कि साबरमती हॉस्टल पर किया गया हमला सुनियोजित था और कमरों को टार्गेट करके ही हमला किया गया था। हालांकि, आज पुलिस ने जो फोटो आज प्रेस कांफ्रेंस में जारी किये उनमें एक तस्वीर को लेकर गलत जानकारी दे दी।