अब बात करते है छात्र-छात्राओं की माँगों की अगर जेएनयू प्रशासन मिल-बैठकर छात्रों से तय कर लेता, तो शायद मामला इतना तूल नहीं पकड़ता और नहीं हंगामा होता। लेकिन जेएनयू में गत दो-तीन साल से सब कुछ सही नहीं चल रहा है और ज़रा-ज़रा सी बात पर हंगामा और हड़ताल होना जेएनयू के लिए आम बात हो रही है। ऐसे में सियासी दाँव-पेंच के साथ, सियायत से जुड़े लोगों छात्रों की माँग पर और उनकी राजनीति में अहम् योगदान देने से नहीं चूकते हैं, जिसके कारण जेएनयू का मामला न होकर देश भर की यूनिवर्सिटी का मामला बनने लगता है।सोषल मीडिया के युग में जो छात्रों पर फीस बढ़ोतरी को लेकर तंज कसे गये उसे मामला दो विचारधाराओं में बटता गया। अब छात्रों और मानव संसाधन विकास मंत्रालय के बीच मामला फँसता दिख रहा है।
अब मामले की जड़ की ज़िाक्र करते हैं। जिस प्रकार 3 अक्टूबर को जिस प्रकार जेएनयू प्रशासन ने हॉस्टल के नियमों में बदलाव और फीस बढ़ोतरी को लेकर जो सर्कुलर जारी किया था और उसको 28 अक्टूबर को गुपचुप तरीके से पास कर दिया। बस इसी बात से अरहत होकर छात्रों ने समझा कि उसके अधिकारों का हनन और दमन किया जा रहा है। फिर छात्रों ने भी गुपचुप तरीके से जेएनयू प्रशासन के विरोध में आवाज़ बुलंद करने का फैसला लिया। मौके के इंतज़ार में छात्रों को 11 नवंबर को जेएनयू के दीक्षांत समारोह के अवसर पर मिला जिसमें उपराष्ट्रपति वैकेया नायडू और केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखिराल निशंक सहित जेएनयू के वीसी प्रो. एम. जगदीश कुमार को भाग लेना था, जिसमें 430 छात्र-छात्राओं को सम्मानित भी एआईसीटीई सभागार में किया जा रहा था। तभी छात्रों का उग्र प्रदर्शन और वी सी हटाओं जेएनयू बचाओं के नारे लगने थे। प्रदर्शन इनना उग्र था कि उपराष्ट्रपति तो दीक्षांत समारोह कर चले गये थे। फिर छात्रों ने उग्रता का सही रूप अपनाते हुए कारों और वाहनों के आगे लेट कर प्रदर्शन किया जिसके कारण केन्द्रीय मंत्री पोखिराल लगभग 5 घंटे से अधिक सभागार में बंधक रहे पुलिस की बड़ी मशक्कत वह निकल पाये। केन्द्रीय मंत्री पोखिराल के आश्वासन के बाद छात्रों ने तो प्रदर्शन तो रोक दिया था। लेकिन हड़ताल जारी कर वीसी हटाओ की माँग पर अडिग है। उसी दिन छात्र नेता आईसी घोष ने छात्रों से कहा कि आश्वासन से काम नहीं चलेगा माँग जब तक पूरी नहीं हो जाती है, तब तक हड़ताल जारी रहेगी। छात्र शुभम ने बताया कि सोशल मीडिया में छात्रों के अलावा आम नागरिकों द्वारा इस तरह के वीडियों वायरल किये गये कि ये छात्र पढ़ते कम है लड़ते ज्यादा है। इसी तरह के तंज कसे गये कि छात्र देश के आम नागरिकों के टैक्स के पैसा का दुरुपयोग कर रहे हैं।
छात्रा पूनम ने बताया कि जेएनयू से पढक़र ही नोबेल विजेता अभिजीत बनर्जी बने है। वह पढक़र अच्छा करेगे टैक्स अदाकर करेंगे, जिससे आने वाले छात्र भी हमारी तरह पढ़ाई कर सकें।
जेएनयू हड़ताल और हंगामा को लेकर को राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति और पीएमओ ने मामले को गम्भीरता से लेते हुये रिपोर्ट माँगी। फिर 13 नवम्बर को फीस बढ़ोतरी आंशिक रूप से कम व वापिस लेने की जानकारी मानव संशाधन विकास मंत्रालय के सचिव आर सुब्रमण्यम ने दी कि आर्थिक रूप से कमज़ोर छात्रों के लिए आर्थिक सहायता की एक योजना का प्रस्ताव भी दिया गया है। फीस वापसी के तौर और कम इस प्रकार किया गया, जिसमें अकेले रहने वाले छात्र के लिये जो कमरे की फीस 20 से बढ़ाकर 600 रुपये की गई थी उसको 300 रुपये कर दी गयी। और जो दो छात्र मिल कर रहते हैं, उनकी फीस 10 रुपये से बढ़ाकर 300 रुपये किया गया था, उसको अब 150 रुपये कम कर दिया गया। फीस कम किये जाने पर जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन और छात्रों ने कहा कि मंत्रालय का यह फैसला पल्ला झाडऩे वाला है। ऐसे में छात्र अपनी हड़ताल वापस नहीं ले सकते हैं। फिर इसके बाद मामले को एक नया मोड़ को अंजाम शरारती तत्त्वों द्वारा दिया गया, जिसमें विवेकानन्द की मूर्ति के नीचे अपशब्द का लिखा जाना और वीसी के िखलाफ जमकर नारेबाज़ी की गयी और कैम्पस की दीवारों में अमार्यादित शब्दों का लिखा जाना। इसके बाद शरारती तत्वों के िखलाफ पुलिस मे शिकायत दर्ज की जिसकी जाँच चल ही रही है।
छात्रों के उग्र प्रदर्शन को देखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने तीन सस्दीय उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है, जिसमें यूजीसी के पूर्व चैयरमेन वी.एस. चौहान, एसआईसीटीआई के अध्यक्ष प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे और यूजीसी के सचिव प्रो. रजनीश जैन शामिल हैं, जो शीघ्र ही छात्रों के हित को देखते हुए अपनी रिर्पोट मंत्रालय को सौपेगी। जेएनयू के वीसी प्रो. एम. जगदीश कुमार ने बताया कि वह छात्रों से कई बार अपील कार चुके हैं कि वे पढ़ाई पर ध्यान दे और हड़ताल को समाप्त करें जो भी छात्रों की माँगे हैं, उस पर वह जल्दी कोई समाधान करेंगे।
छात्रों की माँगों को लेकर आक्रोश तब भी शान्त नहीं हुआ, तो छात्रों ने संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही 18 नवंबर को संसद मार्ग तक प्रदर्शन किया जबकि पुलिस ने धारा 144 भी लगा दी थी। एसे में पुलिस और छात्रों के बीच काफी झड़प हुई एक छात्र शशि भूषण भी गम्भीर से घायल हुआ, जिसका उपचार एम्स के ट्रामा सेन्टर में चला। अन्य छात्रों को भी चोटें आयीं हैं, जिनका ट्रामा सेन्टर के अलावा सफदरजंग असपताल में इलाज हुआ। इलाज करा रहे छात्रों ने बताया कि जेएनयू के छात्रों के छात्र साथ पुलिस ने जिस तरीके लाठी बरसायी हैं। उससे छात्र देश की कानून व्यवस्था से आहत है। छात्र शुभम ने बताया कि आज देश में हालात ऐसे है कि किसके सामने अपने अधिकारों की बात रखें, जो उनको न्याय दिला सके।
स्ंासद में बीएसपी के सांसद दानिश अलरी ने संसद में जेएनयू में चल रही घटनाओं और फीस बढ़ोतरी का मामला उठाया और कहा कि भाजपा सरकार शिक्षा का निजी करण करने में लगी है।
छात्रों के हंगामा और प्रदर्शन को रोकनेे के लिए दिल्ली पुलिस के अलावा सीआपीएफ ,आरएएफ के जवान तैनात थे। जेएनयू कैम्पस कड़ी पुलिस व्यवस्था इस कदर थी। कि तीन स्तरीय वेरीकेडिंग की गई थी, जिसमें 33 एसएचओ 15 एसीपी और आधा दर्जन से अधिक डीसीपी और संयुक्त स्तर के आला अधिकारी मौके पर तैनात थे फिर छात्रों ने पुलिस को गुमराह कर संसद मार्ग तक जमकर प्रदर्शन किया। इसके कारण दिल्ली में यातायात व्यवस्था काफी प्रभावित रही है।
छात्रों पर लाठी चार्ज किये जाने को इन्कार करते हुए दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता और मध्य जिला पुलिस उपायुक्त मंदीप सिंह रंधावा ने बताया कि छात्रों से अपील की है कि प्रदर्शन न करें। न किसी प्रकार की कोई लाठी चार्ज की गयी है। स्पेषल सीपी लॉ एंड ऑर्डर दक्षिण दिल्ली आर.एस. कृष्णा ने बताया कि जब छात्र एम्स और सफदरजंग अस्पताल वाली रोड पर हंगामा कर रहे थे, तब उन्होंने छात्रों से अपील की थी की ये हंगामेबाज़ी करने से एम्स और सफदरजंग जाने वाले मरीज़ों को काफी दिक्कत हो रही है। ऐसे में उन्होंने छात्रों को प्रदर्शन न करने की बात की कहीं थी। पर लाठी चार्ज नहीं किया गया।
एबीवीपी के दिल्ली प्रदेश के महामंत्री सिद्वार्थ यादव ने बताया कि भी छात्रों की माँगों और बढ़ी हुई फीस को वापिसी को लेकर यूजीसी पर प्रदर्शन कर चुके और कहा कि गरीब छात्रों के लिए अतिरिक्त बजट निर्धारित की जाए, जिससे गरीब छात्र आसानी से पढ़ाई कर सकें।