आखिरकार ऐसा क्या हो गया कि जेएनयू में आये दिन बवाल, मारपीट होने लगी है। जिस जेएनयू का पढ़ाई के मामले में दुनिया भर में नाम रहा है, वह अब इसलिए सुॢखयों में है कि उसमें अब पढ़ाई कम, मतभेद और मनभेद की लड़ाई ज़्यादा होने लगी है। हालात यह हैं कि कुछ गुट छात्रों का खून बहाने से भी नहीं चूक रहे। कभी प्रशासन और छात्रों के बीच मतभेद या विवाद शुरू होता है, तो कभी छात्रों के बीच और यह मतभेद या विवाद खूनी संघर्ष में बदल जाता है। ऐसा ही हुआ 5 जनवरी की शाम को, कुछ नकाबपोश छात्र जएनयू परिसर में घुसे और छात्रावास में पहुँचकर छात्र-छात्राओं पर हमला करने लगे। इस हमले में कई छात्र-छात्राओं और महिला प्रो. सुचारिता सेन को भी गम्भीर चोटें आयी हैं। नकाबपोशों को देखकर जेएनयू परिसर मेें छात्रावास से चीत्कार की आवाज़े गूँजने लगीं, छात्र-छात्राओं का भागना मुश्किल पड़ गया। इस घटना में जेएनयू की छात्र संघ की अध्यक्ष आईसी घोष सहित 18 छात्र गम्भीर रूप से घायल हुए, जिनका उपचार एम्स के ट्रामा सेंटर में चल रहा है। जेएनयू में जो भी हुआ उसे किसी भी तरह से सही नहीं कहा जा सकता है। लेकिन छात्रों की जंग को सियासी जंग में किस कदर बदला गया, इसका अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि जेएनयू से लेकर एम्स ट्रामा सेंटर तक में भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के नेताओं का आना-जाना शुरू हो गया। अपने-अपने राजनीतिक नफा-नुकसान के हिसाब से सब राजनीतिक बयानबाज़ी कर रहे हैं, तो किसी ने कहा कि जेएनयू को खत्म करने की साजिश की जा रही है। जेएनयू की घटना को गम्भीरता से लेते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक से बात की, वहीं मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि जेएनयू की घटना की जाँच करवायी जाएगी। तहलका संवाददाता ने जेएनयू से लेकर एम्स में भर्ती घायल छात्रों से बातचीत की, तो यह बात सामने आयी कि इस खूनी संघर्ष के पीछे सोची-समझी साज़िश है। लेकिन, यह केवल पीडि़तों के बयान हैं, सच्चाई क्या है? यह अभी नहीं कहा जा सकता।
जेएनयू छात्र संघ की अध्यक्ष आईशी घोष ने बताया कि नकाबपोश एवीबीपी के छात्रों द्वारा बुलाये गये थे। नकाबपोश गुण्डों ने उन्हें जान से मारने की कोशिश की थी। वहीं एवीबीपी के एक छात्र रमेश ने बताया कि ये लेफ्ट के कार्यकर्ताओं की देन है, जो काफी समय से लड़ाई और देश-विरोधी बातें करके हमसे लडऩे के िफराक में थे। ये सब उन्हीं की वजह से हुआ है।
इस घटना में सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि एक फोन पर जेएनयू परिसर में नकाबपोशों का झुंड कैसे घुस गया। बताया जा रहा है कि तकरीबन 50 नकाबपोशों ने जेएनयू में छात्र-छात्राओं पर अचानक हमला किया। क्या यह नकाबपोश हमले के लिए पहले से तैयार बैठे थे। हमले के जो वीडियो फुटेज सामने आये हैं, उससे यह प्रमाणित होता है कि हमलावरों में लड़कियाँ भी शामिल थीं। कुछ पीडि़तों का कहना है कि सभी हमलावर एबीवीपी के ही छात्र-छात्रा थे। अगर यह सच है, तो यह कहना गलत नहीं होगा कि नकाबपोश पहले से ही जेएनयू में मौज़ूद थे। इन नकाबपोशों ने न केवल छात्रावास में तोडफ़ोड़ भी की, पत्थरबाजी की और लाठियों-दंडों से छात्र-छात्राओं को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा। जेएनयू के प्रोफेसर्स ने बताया कि उन्होंने अपनी नौकरी के दौरान अभी तक ऐसा डरावना माहौल कभी नहीं देखा, जो 5 जनवरी को देखा। ऐसा लग रहा था जैसे कैम्पस किसी जंग का मैदान हो।
बताते चले जेएनयू में 8 अक्टूबर को हॉस्टल फीस वृद्धि को लेकर छात्रों ने लगभग एक महीने तक उग्र-प्रदर्शन कर अपनी माँगों को रखा था, जिसमें मानव संशाधन विकास मंत्रालय ने कुछ माँगों को मान लिया था। फिर मामला शान्त हो गया। लेकिन छात्र कुलपति प्रो. जगदीश कुमार के इस्तीफे और अन्य माँगों को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।
छात्र कुलदीप ने बताया कि छात्रों ने दिसंबर में परीक्षा का विरोध किया था। 5 जनवरी को विटंर सेमेस्टर का आिखरी दिन था। दो दिन तक लेफ्ट संगठनों ने सर्वर रूम में कब्ज़ा करके रजिस्ट्रेशन में बाधा पहुँचायी थी। फिर शाम 4 बजे साबरमती टी प्वाइंट पर छात्रों की बैठक हो रही थी, तभी अचानक एबीवीपी और लेफ्ट के छात्र आपस में भिड़ गये। फिर 6:00 से 7:00 बजे के बीच कुछ नकाबपोशों का एक बड़ा झुंड आया और हमला कर दिया। यह खूनी संघर्ष काफी देर चला। तकरीबन 8:00 बजे के बाद पुलिस आयी और घायलों को ट्रामा सेन्टर में भर्ती कराया गया। वहीं देर रात छात्रों ने नकाबपोशों की गिरफ्तारी के लिए पुलिस मुख्यालय पर धरना-प्रदर्शन किया।
जेएनयू जंग से सियासी जंग
जेएनयू मामले पर कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गाँधी बाड्रा ने कहा कि आज छात्रों की आवाज़ को फासीवादी सरकार दबा रही है। उन्होंने घायल छात्रों से ट्रामा सेंटर में मुलाकात कर कहा कि वे किसी की आवाज़ को दबने नहीं देंगी। वहीं कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने कहा कि सरकार ने आज ऐसा माहौल बना दिया है कि छात्रों तक को नहीं बख्शा जा रहा है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा कि यह बेहद दु:खद घटना है कि आज पढऩे वाले भी छात्र सुरक्षित नहीं हैं। केन्द्र सरकार को इस मामले में ठोस कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बाधित न हो। भाजपा के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष मनोज तिवारी ने कहा कि यह दु:खद घटना है। इसकी उच्चस्तरीय जाँच होनी चाहिए। घटना के बाद मामले की जाँच की ज़िम्मेदारी संयुक्त पुलिस आयुक्त शालिनी सिंह को सौंप दी गयी।