क्रिकेट के इतिहास में ऐसा कम ही हुआ है कि किसी टीम ने पहले दो मैच कार कर पांच मैचों की सीरीज़ अपने नाम कर ली है। पर इस बार आस्ट्रेलिया ने भारत की धरती पर यह कर दिखाया। उसने हैदराबाद, और नागपुर में पहले दो मैच गंवाने के बाद सीरीज़ जीत ली। विश्व कप से पूर्व भारत के लिए यह अंतिम सीरीज़ थी। इस दौरान क्रिकेट बोर्ड ने विश्व काप को ध्यान में रखकर कुछ नए खिलाड़ी भी आजमाए।
भारत और आस्ट्रेलिया के बीच निर्णायक मैच दिल्ली के फिरोजशाह कोटला मैदान में खेला गया। इस में मेहमान टीम ने वह कर दिखाया जिसकी किसी को भी बिलकुल उम्मीद नहीं थी। आस्ट्रेलिया ने वह किया जो वनडे क्रिकेट के इतिहास में भारत की धरती पर कोई टीम नही कर सकी। भारत में आज तक कोई टीम 0-2 से पिछडऩे के बाद वनडै सीरीज़ नहीं जीत पाई थी। अपने ही घर में जिस टीम को कुछ समय पहले भारत के हाथों करारी हाल मिली थी उसी टीम ने भारत को उसकी सरजमी पर पांच मैचों की सीरीज़ में 3-2 से पटखनी दी। फिरोजशाह कोटला में भारत को आखिरी वनडे में 35 रन से हराकर आस्ट्रेलिया ने 10 साल बाद भारत में वनडे सीरीज़ जीती। इससे पहले 2009 में उसने छह मैचों की सीरीज़ 4-2 से जीती थी। विराट कोहली को पहली बार वनडे सीरीज़ में अपने ही घर में हार सहनी पड़ी है।
पंाचवे व अंतिम मैच में आस्ट्रेलिया की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को 273 रनों का लक्ष्य दिया। भारतीय टीम इस लक्ष्य का पीछा करने में असफल रही। इस मैच में बल्लेबाजों का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। अकेले रोहित शर्मा ने अर्धशतक (52) रन बनाए। घरेलू मैदान पर न तो शिखर धवन (12) चले और न ही कोहली (20) के बल्ले से रन निकले। 132 के स्कोर पर भारत के 6 विकेट गिर गए थे। उस समय ऐसा लग रहा था कि भारतीय पारी जल्दी ही सिमट जाएगी। लेकिन केदार जाधव (44) के साथ भुवनेश्वर कुमार (46) ने 91रन जोड़ कर कुछ उम्मीद जगाई। लेकिन इनके आउट होते ही भारत की उम्मीदें धराशायी हो गई।
आस्ट्रेलिया की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए शानदार प्रदर्शन किया। उस्मान ख्वाजा (100) ने सीरीज़ के दूसरे शतक से टीम ने बड़े स्कोर की आधारशिला रखी। 33 ओवर में स्कोर एक विकेट 175 रन था। इसके बाद भारतीय गेंदबाजों ने विकेट चटकाना आरम्भ किया और स्कोर सात विकेट पर स्कोर 229 रन हो गया। आस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों ने नौ विकेट पर 272 रनो का स्कोर बनाया। हैड्सकॉम्ब ने 53, फिंच ने 27 व स्टोइनिस और टर्नर ने 20-20 रन बनाए। उस्मान ख्वाज मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज़ बने। उन्होंने पूरी सीरीज़ में दो शतक लगाकर 383 रन बनाए।
सीरीज़ का तीसरा मैच रांची में खेला गया था जिसमें भारत को हार का सामना करना पड़ा। मेहमान टीम ने 32 रन से मैच जीता था। आस्ट्रेलिया की टीम ने 50 ओवरों में 313 रन का विशाल स्कोर बनाया। लक्ष्य का पीछा करने उतरी भारतीय टीम कवेल 281 रन ही बना सकी, विराट कोहली ने 123 रन बनाकर वनडे करियर का 41वां शतक लगाया। उस्मान ख्वाजा (104) मैन ऑफ द मैच चुने गए।
चौथा मैच मोहाली में खेला गया। भारत ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 9 विकेट पर 358 रनों का विशाल स्कोर बनाया। लक्ष्य का पीछा करते हुए आस्ट्रेलिया की टीम ने 47.5 ओवर में 6 विकेट गंवा कर 359 रन बनाए और मैच जीत कर सीरीज़ में बराबरी हासिल कर ली। धवन ने 143 रनों की शानदार पारी खेली उन्होंने 115 गेंदों में 18 चैके और तीन छक्के लगाए। मेहमान टीम के पीटर हैड्सकॉम्ब पे 117 औश्र उस्मान ख्वाजा ने 91, एश्टन टर्नर ने 84 रन बनाए। दोनों टीमें दो-दोमैच जीत कर बराबरी के स्थान पर थी। सीरीज़ का अंतिम मैच निर्णायक मैच था।
भारत ने दूसरा एक दिवसीय ८ रन से जीता
नागपुर में आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे एक दिवसीय मैच में भारत की आठ रन की जीत ने न केवल पांच मैचों की श्रंखला में भारत को 2-0 की बढ़त दिला दी बल्कि कुछ आयाम भी स्थापित किए।यहां भारतीय कप्तान विराट कोहली ने 120 गेंदों में 116 रन बना कर अपना 40वां शतक पूरा किया और भारत ने एक दिवसीय मैचों में अपनी 500वीं जीत दर्ज की। इसके अलावा वीसीए स्टेडियम पर भारत की आस्ट्रेलिया के खिलाफ चार मैचों में चैथी जीत भी रही।
कोहली के 116 रनों की बदौलत नागपुर की इस पिच पर निर्धारित ओवरों में 250 रन बनाने में सफल रहा। इस लक्ष्य का पीछा करती आस्ट्रेलिया की टीम 49.3 ओवर में 242 रन पर आउट हो गई। भारत के लिए कुलदीप यादव ने 54 रन देकर तीन विकेट, विजय शंकर ने 15 रन पर दो बुमरा ने 29 रन देकर दो विकेट लिए और भारत की जीत में अहम भूमिका निभाई।
भारत के लिए खेल की शुरूआत ठीक नहीं रही। सलामी बल्लेबाज रोहित शर्मा पहले ही ओवर की अंतिम गेंद पर बिना कोई रन बनाए पेवलियन लौट गए। उस समय भारत का खाता भी नहीं खुला था। उसके बाद कप्तान विराट कोहली और शिखर धवन के बीच 38 रन की छोटी सी भागेदारी हुई। नौवें ओवर में शिखर धवन 21 रन बना कर मैक्सवेल का शिकार बने। रायडु भी ज़्यादा देर नहीं टिके और 32 गेंदों में 18 रन बना कर चलते बने। उस समय भारत का स्कोर 75 रन था। कप्तान विराट कोहली एक छोर पर डटे हुए थे। यह विकेट 17वें ओवर में गिरी। इसके बाद नए खिलाडी विजय शंकर और कोहली के बीच 81 रन की भागेदारी हुई। इससे भारत का स्कोर 29 वें ओवर में 156 तक पहुंच गया। इस स्कोर पर विजय शकंर रन आउट हो गए। उन्होंने ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 41गेंदों पर 46 रन बना डाले।
इसके बाद केदार जाधव (11) और धोनी (0) सस्ते में निपट गए। धोनी तो पहली ही गेंद पर एडम जंपा का शिकार बन गए। लेकिन रविंद्र जाडेजा ने संभल कर खेलते हुए 40 गेंदों में न केवल 21 महत्वपूर्ण रन बनाए बल्कि कोहली के साथ सातवें विकेट के लिए 67 रन की साझेदारी भी निभाई। जब यह विकेट गिरा उस समय भारत का स्कोर 238 पर था। जाडेजा का विकेट कुमिंस ने लिया। इसके बाद भारतीय पारी 250 रन पर सिमट गई। उस पिच पर यह चुनौतीपूर्ण स्कोर था। आस्ट्रेलिया के लिए पैट कुमिंस ने 29 रन देकर चार विकेट लिए। एडम ज़ंपा ने दो खिलाड़ी आऊट किए।
भारत के इस स्कोर के सामने आस्ट्रेलिया ने काफी सधी हुई शुरूआत की। उनके सलामी बल्लेबाज ऐरोन फिंच और उसमान ख्वाजा ने पहली विकेट के लिए 14.3 ओवर में 83 रन जोड़ दिए। उस समय फिंच 37 रन बना कर कुलदीप यादव की गेंद पर पगबाधा आऊट हो गए। अगले ही ओवर में ख्वाजा भी 38 रन बना कर केदार जाधव की गेंद पर विराट कोहली को कैच दे बैठे। शॉन मार्श और पीटर हैंडसकॉब के बीच 39 रन की साझेदारी हुई जिसे रविंदर जाडेजा ने तोड़ दिया। मार्श का कैच धोनी ने लपका। मार्श 27 गेंदों पर 16 रन बना सके। ग्लेन मैक्सवेल को भी कुलदीप ने चार के निजी स्कोर पर बोल्ड कर दिया। उस समय आस्ट्रेलिया काफी संकट में लग रहा था। पर माक्र्स सोटोनिस ने अर्धशतक जमा कर अपनी टीम को फिर से बराबरी पर ला दिया। जब तक स्टोनिस रहे तब तक आस्ट्रेलिया की जीत की संभावना बरकरार रही। सोटोनिस का उनके विकेटकीपर ऐलेक्स कैरी ने अच्छा साथ निभाया। कैरी ने 24 गेंदों पर 22 रन बनाए। पर बाद के खिलाड़ी दहाई का आंकड़ा भी पार नहीं कर पाए। इसके बावजूद टक्कर अंतिम ओवर तक चली। अंतिम ओवर में आस्ट्रेलिया को जीत के लिए 11 रन चाहिए थे और उसके दो विकेट शेष थे। यह ओवर फेंकने की जिम्मेदारी दी गई हरफनमौला खिलाडी विजय शंकर को। उसने पहली ही गेंद पर जमे हुए बल्लेबाज टोनेस को पगबाधा आऊट कर दिया। अब उन्हें पांच गेंदों पर 11 रन चाहिए थे। दूसरी गेंद पर आस्ट्रेलिया के एडम ज़ंपा ने दो रन लिए। अब चार गेंदों पर नौ रन बनाने थे पर तीसरी गेंद पर विजय शंकर ने ज़ंपा को बोल्ड आऊट कर दिया। इस प्रकार उनकी टीम 242 रन पर आऊट हो गई और भारत आठ रन से यह मैच जीत गया।