मोदी सरकार के ५ ट्रिलियन की इकॉनमी की बातों के बीच देश में जीडीपी की दर पिछले छह साल में सबसे कमजोर स्थिति में पहुँच गयी है। आज जारी आंकड़ों के मुताबिक देश की आर्थिक वृद्धि दर चालू माली साल की पहली तिमाही में कमजोर होकर ५ प्रतिशत रही है। एक साल पहले इसी तिमाही में यह वृद्धि दर आठ प्रतिशत थी। उधर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार शाम एक प्रेस कांफ्रेंस की जिसमें उन्होंने जानकारी दी कि सरकार ने १० सरकारी बैंकों का विलय करके उन्हें चार बैंक बना दिया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक जीडीपी दर पहली तिमाही में ५.८ फीसदी से घटकर ५ फीसदी पर पहुंच गई। अधिकांश संकेतक कमजोर घरेलू मांग और सुस्त निवेश माहौल की ओर इशारा कर रहे थे, ऐसे में पहले से ही भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में और घटने की आशंका जताई जा रही थी।
देश में नौकरियां जाने के बढ़ते भय के बीच यह आंकड़े आये हैं। गौरतलब है किसरकार ने २३ अगस्त को अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और निवेश बढ़ाने के उपायों की घोषणा की थी। इस दिशा में बैंकों की स्थिति में सुधार लाने के लिए सरकारी बैंकों को अग्रिम भुगतान के तौर पर ७० हजार करोड़ रुपये दिए जाने की घोषणा भी की गई थी। सरकार कुछ रोज पहले ही आरबीआई के रिज़र्व से करीब ७० हजार करोड़ रुपए लिए हैं।
इस बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को भारतीय इकॉनमी की सुस्ती को दूर करने के लिए पंजाब नेशनल बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया और ओरिएंटल बैंक के विलय का ऐलान करते हुए कहा कि विलय के बाद पीएनबी देश का दूसरा बड़ा सरकारी बैंक बन जाएगा। सीतारमण ने केनरा बैंक और सिंडिकेट बैंक के विलय का भी ऐलान किया। निर्मला के मुताबिक यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, आंध्रा बैंक और कॉरपोरेशन बैंक का भी विलय होगा। इसके अलावा इंडियन बैंक का मर्जर इलाहाबाद बैंक के साथ किया जाएगा।
सीतारमण के मुताबिक १८ में से १४ सरकारी बैंक प्रॉफिट में हैं। वित्त मंत्री ने कहा – ”हाउसिंग फाइनेंस को सरकार ३३०० करोड़ रुपये का सपोर्ट देगी। अब तक तीन लाख से अधिक शेल कंपनियां बंद हो चुकी हैं। नीरव मोदी जैसे भगोड़ों की संपत्ति के जरिए रिकवरी जारी है।”