मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ४.५ फीसदी तक लुढ़क गया है। पिछले साल इसी तिमाही में यह ग्रोथ रेट ७ फीसदी था। शुक्रवार को सरकार ने जो आंकड़े जारी किये हैं वह अर्थव्यवस्था के मामले में चिंता जगाने वाले दिखते हैं।
इन आंकड़ों के मुताबिक मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट गिरकर ४.५ प्रतिशत पर पहुँच गया है। आंकड़ों के मुताबिक कोर सेक्टर (बुनियादी उद्योग) उत्पादन अक्ट्रबर में ५.८ प्रतिशत गिरा है जबकि जुलाई-सितंबर तिमाही में आर्थिक विकास दर ४.५ फीसदी रही। गौरतलब है कि पिछली तिमाही में यह पांच प्रतिशत थी।
सरकारी आकड़ों को देखा जाये तो पिछली २६ तिमाही में अर्थव्यवस्था की यह सबसे धीमी विकास दर है। राजकोषीय घाटे की बात करें तो 2018-19 के पहले सात महीनों ( अप्रैल से अक्टूबर के बीच) ही राजकोषीय घाटा मौजूदा वित्त वर्ष के लक्ष्य से ज्यादा हो गया है। पहले सात महीनों में राजकोषीय घाटा ७.२ ट्रिलियन रुपए (१००.३२ अरब डॉलर) रहा जो बजट में मौजूदा वित्त वर्ष के लिए रखे लक्ष्य का १०२.४ फीसदी है।
शुक्रवार को सरकार ने जो आंकड़े जारी किये हैं उनके मुताबिक अप्रैल से अक्टूबर की अवधि में सरकार को ६.८३ ट्रिलियन रुपए का राजस्व प्राप्त हुआ जबकि खर्च १६.५५ ट्रिलियन रुपए रहा। इस तरह मोदी सरकार के लिए अर्थव्यवस्था एक बड़ी चिंता के विषय के रूप में उभर रही है।