जीएसटी राहत :सब धुआं

GST

जनता को नहीं मिल रहा जीएसटी कम होने का फायदा

जीएसटी कम करने की सरकारी घोषणा के बावजूद दिल्ली-एनसीआर में अधिकांश स्थानीय दुकानदार उपभोक्ताओं को जीएसटी छूट का लाभ नहीं दे रहे हैं, जिससे आम जनता की जेब पहले की तरह ही कट रही है। उपभोक्ताओं का बोझ कम करने के लिए केंद्र सरकार ने जीएसटी में कटौती की थी, लेकिन दिल्ली-एनसीआर में ज़्यादातर स्थानीय खुदरा विक्रेता जरूरी सामान पुरानी दरों पर ही बेच रहे हैं और ग्राहकों द्वारा जीएसटी कम होने की बात कहने पर भी उन्हें राहत देने से इनकार कर रहे हैं। इसी को लेकर इस बार तहलका ने पड़ताल की है। तहलका एसआईटी की रिपोर्ट :-

15 अगस्त 2025 को अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘अगली पीढ़ी’ माल और सेवा कर (जीएसटी) सुधारों की घोषणा की, जिसमें पर्याप्त दर में कटौती शामिल होने की घोषणा हुई। प्रधानमंत्री मोदी ने इन बदलावों को नागरिकों के लिए दीपावली उपहार और आम आदमी पर कर का बोझ कम करने का एक तरीका बताया। जीएसटी की नई दरें नवरात्रि के पहले दिन 22 सितंबर 2025 से लागू हो भी चुकी हैं। नई जीएसटी दरें लागू होने से एक दिन पहले भी प्रधानमंत्री मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए वादा किया था कि “अगली पीढ़ी के जीएसटी सुधार” कर ढांचे को सरल बनाएंगे और सैकड़ों रोजमर्रा की वस्तुओं और सेवाओं को अधिक किफायती बनाएंगे। इस तरह जीएसटी घटाने के लिए चार-स्तरीय संरचना- 5 प्रतिशत, 12 प्रतिशत, 18 प्रतिशत, 28 प्रतिशत को 5 प्रतिशत और 18 प्रतिशत की दो-स्तरीय सरल प्रणाली के बदल दिया गया है।

जीएसटी की दरों में कटौती की घोषणा के तुरंत बाद केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (सीसीपीए) को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा गया कि व्यवसायी जीएसटी दरों में कटौती का पूरा लाभ खरीदारों तक पहुंचाएं। उल्लंघनकर्ताओं पर अनुचित व्यापार प्रथाओं का आरोप में कार्रवाई की जा सकती है, क्योंकि ऐसा करना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत एक अपराध है। उपभोक्ता अधिकार निगरानी संस्था की एक विशेष शाखा को नए, निम्न राष्ट्रीय उपभोग कर (टैक्स) के बाद क्षेत्रीय निरीक्षण के माध्यम से 430 से अधिक सामान्यतः व्यापार की जाने वाली वस्तुओं की बाजार दरों पर निगरानी रखने का निर्देश दिया गया। केंद्रीय उपभोक्ता मामलों की सचिव निधि खरे ने मीडिया को बताया- ‘सीसीपीए यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी निगरानी रखेगा कि नई जीएसटी व्यवस्था के सभी लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचें। किसी भी उल्लंघन को अनुचित व्यापारिक व्यवहार माना जाएगा तथा कार्रवाई की जाएगी।’

जीएसटी दरों में कटौती के बाद बड़े धूमधाम से सरकार ने जीएसटी बचत उत्सव शुरू किया। लेकिन देश भर से मिल रही रिपोर्टों से पता चलता है कि दुकानदार इन कटौतियों का लाभ ग्राहकों को नहीं दे रहे हैं। व्यापारी पुरानी कीमतों पर ही चीजें बेच रहे हैं। जीएसटी कम होने से चीजों के बाजिव दाम लेने की बात कहने पर व्यापारी दावा कर रहे हैं कि वे पिछली जीएसटी दरों के तहत खरीदे गए पुराने स्टॉक को खत्म कर रहे हैं, जिसके चलते वे चीजों के दाम कम नहीं ले सकते। जीएसटी 2.0 सुधारों के तहत केंद्र सरकार ने यह दावा करते हुए कई श्रेणियों के उत्पादों पर कर की दरें कम कर दी थीं कि इससे त्योहारी सीजन से पहले आम नागरिकों पर बोझ कम होगा और उन्हें अधिक बचत करने में मदद मिलेगी। हालांकि उपभोक्ताओं का आरोप है कि व्यापारी ढीली व्यवस्था और कमजोर निगरानी प्रणाली का फायदा उठाकर उन्हें गुमराह कर रहे हैं और चीजों की अधिक कीमतें वसूल रहे हैं।

जमीनी हकीकत जानने के लिए तहलका ने दिल्ली-एनसीआर में एक रियलिटी चेक किया, ताकि पता लगाया जा सके कि क्या दुकानदार वास्तव में जीएसटी का लाभ आम आदमी को नहीं दे रहे हैं। इस दौरान तहलका ने कई बड़ी और छोटी दुकानों का दौरा किया और आम लोगों से बात की, जिनके लिए सरकार ने जीएसटी दर में कटौती के माध्यम से राहत का वादा किया था।

‘जीएसटी दरों में कटौती का फायदा ज्यादातर अमीरों को हो रहा है, गरीबों को नहीं। कटौती के बाद कारों की कीमतें कम हुई हैं, लेकिन कारें आम आदमी नहीं, बल्कि अमीर लोग खरीदते हैं। बड़े ब्रांडेड स्टोर जीएसटी का लाभ दे रहे हैं, लेकिन साधारण किराना दुकानदार दरों को कम नहीं कर रहे हैं। गरीब लोग आमतौर पर अपनी दैनिक जरूरत की चीजें स्थानीय किराना दुकानों से खरीदते हैं, ब्रांडेड दुकानों से नहीं।’ -नोएडा के सेक्टर 134 स्थित वाजिदपुर में मोबाइल की दुकान चलाने वाले सुधीर कुमार ने कहा। उन्होंने स्वीकार किया कि वे खुद भी पुरानी दरों पर सामान बेच रहे हैं।

‘मैं पुरानी दरों पर दवाइयां बेच रहा हूं, क्योंकि मेरा स्टॉक पुराना है। इसलिए मैं अपने ग्राहकों को कोई जीएसटी राहत नहीं दे रहा हूं। जब नया स्टॉक नए एमआरपी के साथ आएगा, तब हम देखेंगे।’ -नोएडा सेक्टर 134 के नागली में दुर्गा मेडिकल स्टोर के मालिक परविंदर मावी ने कहा।

‘जब मुझे दिल्ली की आजादपुर मंडी से खरीदे गए नारियल पर कोई जीएसटी राहत नहीं मिल रही है, तो मैं नारियल पानी कम कीमत पर कैसे बेच सकता हूं? जब भी मैं मंडी में व्यापारियों से जीएसटी कटौती का जिक्र करता हूं, तो वे इसे नजरअंदाज कर देते हैं और मुझसे कहते हैं कि या तो पुरानी कीमत पर खरीदो या चले जाओ।’ -नोएडा के सेक्टर 107 में नारियल पानी बेचने वाले नदीम खान ने कहा।

‘सभी दैनिक जरूरत की चीजें पुराने दामों पर ही बिक रही हैं। जीएसटी में कटौती के बाद कुछ भी नहीं बदला है, सब कागजों पर है। चाहे आप आटा खरीदें, दूध खरीदें या कुछ और, कीमतें अपरिवर्तित हैं। आम आदमी के लिए जीएसटी में कोई राहत नहीं है। यदि मैं चश्मे के फ्रेम पुरानी दरों पर बेच रहा हूं, तो यह समझ में आता है, क्योंकि वे पुराने स्टॉक से हैं। लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि दैनिक उपयोग की चीजें भी उसी कीमत पर बेची जा रही हैं।’ -नोएडा के सेक्टर 134 स्थित वाजिदपुर स्थित मलिक ऑप्टिकल शॉप के मालिक मुस्तकीम ने कहा।

‘जीएसटी कटौती के बाद मुझे कोई राहत नहीं मिली है। मैं दैनिक आवश्यक चीजों के लिए पहले की तरह ही कीमत चुका रहा हूं।’ -उपभोक्ता कृपाल मौर्य ने कहा।

‘मेरे सेल्समैन ने मुझे बताया कि मैं अपनी दुकान के लिए जो सामान खरीदता हूं, उसकी कीमत अभी भी वही है। सरकार द्वारा हाल ही में घोषित जीएसटी कटौती के बाद कोई कमी नहीं हुई है। इसलिए मैं बाल कटाने, शेविंग, हेयर कलर और अन्य सेवाओं के लिए समान दरें ले रहा हूं। जीएसटी में कटौती सिर्फ़ कागजों पर ही है। यहां तक कि चावल, आटा और खाने का तेल जैसी घरेलू चीजेंं भी अभी भी पुरानी दरों पर ही बिक रही हैं। कीमतों में कोई छूट नहीं दी गई है।’ -नोएडा के सेक्टर 134 में नाई की दुकान के मालिक नसीम ने कहा।

जीएसटी कटौती की पड़ताल के दौरान तहलका रिपोर्टर की मुलाकात नोएडा के सेक्टर 134 में दुर्गा मेडिकल स्टोर के मालिक परविंदर मावी से हुई। उनके साथ हुई संक्षिप्त बातचीत में रिपोर्टर को पता चला कि बहुप्रचारित जीएसटी दर में कटौती उपभोक्ताओं तक पहुंचने में विफल रही है। मावी ने स्वीकार किया कि वह पुरानी दरों पर ही दवाइयां बेच रहे हैं, जिसका कारण उनका न बिका हुआ स्टॉक है। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि नई आपूर्ति के साथ कीमतें गिर सकती हैं, लेकिन अभी तक यह लाभ तथाकथित ही है, जिससे आम खरीदार को कोई सैद्धांतिक राहत नहीं मिल रही है।
रिपोर्टर : अब तो रेट कम हो गए होंगे दवाई पर, जीएसटी हटने से?
परविंदर : अभी तो चल रहा है।
रिपोर्टर : चल रहा मतलब?
परविंदर : अभी मार्केट जाना नहीं हुआ ना, कुछ पर बढ़ेंगे, कुछ पर घटेंगे।
रिपोर्टर : तो आपके वही रेट हैं, …पुराने वाले?
परविंदर : हां।
रिपोर्टर : पुराना स्टॉक होगा, किसी पर जीएसटी कम नहीं हुई?
परविंदर : अभी मेरे पास तो नहीं, जो है पुराना ही है।
रिपोर्टर : दवाइयों पर तो लगभग सभी पर जीएसटी कम हुई है?
परविंदर : हां, अब जो माल आएगा ना, उस पर।
रिपोर्टर : अभी पुराना माल है?
परविंदर : अभी पुराना माल है।
रिपोर्टर : उसी रेट पर बेच रहे हो, …पुराने वाले?
परविंदर : हां, अब जो आएगा ना, एमआरपी कम होकर आएगा।
रिपोर्टर : तभी जनता को फायदा नहीं हो रहा आपसे?

परविंदर

अब हमारी मुलाकात नदीम से हुई, जो कई वर्षों से नोएडा के सेक्टर 107 में नारियल पानी बेचते हैं। हमने उनसे पूछा कि क्या जीएसटी में कटौती के बाद नारियल की कीमत कम हुई है? इस पर नदीम ने कहा कि दिल्ली की आजादपुर मंडी से वह नारियल खरीदता है, जहां नारियल के दाम कम नहीं हुए हैं। इसलिए वह भी कम दामों पर नारियल पानी नहीं बेच सकता। पिछले कई महीनों से उनकी दरें एक समान बनी हुई हैं- 80 रुपये प्रति नारियल। इस चर्चा में यह स्पष्ट हो गया कि जीएसटी कटौती का प्रभाव जमीनी स्तर पर नहीं हुआ है।

नदीम

रिपोर्टर : क्या रेट है नारियल पानी?
नदीम : 80 रुपए।
रिपोर्टर : अभी कम नहीं किए रेट तुमने?
नदीम : काफी टाइम से है।
रिपोर्टर : अरे पर अब तो जीएसटी कम हो गई?
नदीम : आज भी 72-71 रुपए है नारियल आजादपुर मंडी में।
रिपोर्टर : नारियल पानी पर भी तो जीएसटी कम हुई है?
नदीम : मंडी वाले जब कम दे तभी तो हो।
रिपोर्टर : मैं तो समझ रहा था कि तुम 60 रुपए का बेचोगे आज?
नदीम : आज भी 70-72 रुपए आजादपुर मंडी में है।
रिपोर्टर : नारियल की कीमत?
नदीम : हां।
रिपोर्टर : कहां से लाते हो?
नदीम : आजादपुर से।
रिपोर्टर : वहां भी कम नहीं हुआ?
नदीम : वहां भी कम नहीं हुआ।
रिपोर्टर : हमें कैसे पता, हो सकता है झूठ बोल रहे हो तुम?
नदीम : हमारा डेली का काम है।
रिपोर्टर : वहां जीएसटी कम हो गई हो पर तुम जीएसटी लगा रहे हो?
नदीम : आपकी बात मैं मानता हूं, मगर मंडी के अंदर कोई नहीं मानता। वहां तो पैसा मांगता है, कहते हैं ये रेट है, …लेना हो तो लो, नहीं तो जाओ।
रिपोर्टर : तुम तो 80 रुपए बहुत टाइम से बेच रहे हो?
नदीम : बहुत टाइम से।
रिपोर्टर : नहीं, जीएसटी कम हुई है, …तभ तो सस्ता होना चाहिए?
नदीम : जीएसटी कम हुई है, तो माल सस्ता होना चाहिए, मगर मंडी के अंदर सस्ता नहीं हुआ।

जब तहलका ने मलिक ऑप्टिकल से संपर्क कर यह जानना चाहा कि क्या उपभोक्ताओं को दुकान से सामान खरीदते समय जीएसटी राहत का लाभ मिल रहा है, तो उसके मालिक मुस्तकीम ने संवाददाता को बताया कि जीएसटी दर में कटौती के बाद दैनिक जरूरत की वस्तुओं की कीमतों में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा कि वे सभी आवश्यक वस्तुओं के लिए वही कीमत चुका रहे हैं जो वे कर छूट से पहले चुकाते थे। उनके अनुसार, जीएसटी दर में कटौती केवल कागजों पर ही है। उन्होंने कहा कि यहां तक कि वे जो सामान बेच रहे थे, जैसे कि चश्मे के फ्रेम, उनकी कीमतें भी पहले की तरह ही बनी हुई हैं – तथाकथित सुधारों से उन पर कोई असर नहीं पड़ा है।

मुस्तकीम

रिपोर्टर : अब तो रेट कम हो गए होंगे फ्रेम के, ,,,जीएसटी हट गई है?
मुस्तकीम : किस चीज के रेट कम हुए हैं बत दो? दूध आज भी 70 रुपए किलो ही आ रहा है, अनाज भी वही रेट आ रहा है, ..ये दिखाने के लिए ही है कागजों में, हकीकत में कुछ भी नहीं है।
मुस्तकीम (आगे) : दूध 70 ही आ रहा है अभी क्यूं, एक रुपया भी कम न हुआ, ये तो छोड़ो (रिफरिंग टू फ्रेम्स) रोज नहीं खरीदेगा आदमी, जो रोज की चीज है डेली की, उसमें एक रुपया भी कम नहीं हुआ है, कागजों में है बस।
रिपोर्टर : सरकार कह रही है जीएसटी हटा दी 22 सितंबर से।
मुस्तकीम : चलो फ्रेम तो ऐसी चीज है छ: महीने पहले खरीदा, चार महीने पहले खरीदी, लेकिन जो रोज पैकिंग में आ रही है उसमें एक रुपया कम न हुआ अभी तक, दूध का रेट वही है 70, जो पहले था।
मुस्तकीम (आगे) : जो पैकेट में आते हैं दूध उसकी बत कर रहा हूं।
रिपोर्टर : मदर डेयरी का भी वही रेट है?
मुस्तकीम : वही रेट है, एक पैसा भी कम नहीं हुआ।
रिपोर्टर : हमारी सोसायटी में जो मदर डेयरी है उसने तो कम कर दिया।
मुस्तकीम : किसी ने भी कम नहीं किया सर, एमआरपी चेर कर लो, उसी रेट पर मिल रहा है। एक चीज पर भी कम नहीं हुआ है, कागजों में है।
रिपोर्टर : मतलब अभी चश्मों में भी नहीं है, अभी कोई उम्मीद नहीं है?
मुस्तकीम : नहीं सर, अभी कागजों में ही है, …यही हकीकत है।
रिपोर्टर : कागज मतल आपके या सरकार के?
मुस्तकीम : सबके, …हमारे पास तो होकर ही जाएगा जब ऑर्डर आएगा तो।

पता लगाया जा सके कि क्या उन्होंने अपनी दुकान में इस्तेमाल होने वाली कई वस्तुओं पर जीएसटी कटौती के बाद अपनी दरें कम कर दी हैं। नसीम के अनुसार, उनके सप्लायर ने उनसे कहा कि दुकान के लिए वे जो उत्पाद खरीदते हैं, उनकी कीमतें अभी भी कम वही हैं और जीएसटी में छूट के बाद भी उनमें कोई कमी नहीं आई है। इसलिए वह बाल कटाने, शेविंग करने, बाल रंगने और अन्य सेवाओं के लिए पहले वाली ही दरें ले रहे हैं। अपने तर्क के समर्थन में नसीम ने कहा कि जीएसटी में कटौती केवल कागजों पर ही है, वह अभी भी चावल, आटा और खाना पकाने के तेल जैसी दैनिक घरेलू वस्तुएं पुरानी दरों पर ही खरीद रहे हैं। इन चीजों की कीमतों में किसी भी तरह की कोई राहत नहीं दी गई है। नसीम ने बताया कि वह तो दीपावली के बाद दरें बढ़ाने की योजना बना रहे हैं, क्योंकि उनके दुकान मालिक दुकान का किराया बढ़ाने वाले हैं।
रिपोर्टर : अब तो कटिंग के रेट कम कर दिए होंगे तुमने?
नसीम : दिवाली से बढ़ जाएंगे और।
रिपोर्टर : अरे! जीएसटी कम हो गई, सामान सस्ता हो गया, फिर भी?
नसीम : हमारी कम नहीं हुई।
रिपोर्टर : आपकी कम नहीं हुई? क्या चल रहा है कटिंग का रेट?
नसीम : वही, …70 रुपए।
रिपोर्टर : वही जो पहले था? और सेविंग?
नसीम : 60 रुपए स्ट्रेट बनाने का।
रिपोर्टर : कटिंग 70 रुपए जो पहले थी?
नसीम : हां दिवाली से रेट बढ़ जाएगा।
रिपोर्टर : क्यूं?
नसीम : दिवाली के बाद किराया बढ़ जाएगा।
रिपोर्टर : अच्छा, टुम्हारी दुकान का किराया बढ़ जाएगा?
रिपोर्टर : अब तो रेट कम कर दिए होंगे?
नसीम : हमारे सामान पर कम नहीं हुआ।
रिपोर्टर : कुछ कम नहीं हुआ? तुम उसी रेट पर ले रहे हो?
नसीम : वो कहता कहीं कम नहीं हुआ है, ….लाओ दिखाओ हमें, …कहीं कम नहीं हुआ है।
रिपोर्टर : वही रेट चल रहे हैं?
नसीम : राशन के कम हुए हैं? …अब राशन वाले ने भी बंद कर दिया है, …कह रहा है हमारे भी कम नहीं हुए, दिखाओ कहां है?
रिपोर्टर : तुम तो कह रहे हो कम हुए हैं राशन के?
नसीम : अखबार में लिखा है, मगर ये लोग मानते नहीं हैं, उस पर हुआ है… शैम्पू पर।
रिपोर्टर : आप राशन ले रहे हो पुराने रेट में?
नसीम : पुराने रेट में।
रिपोर्टर : आटा-वाटा सब, कोई कम नहीं हुआ? जीएसटी नहीं हटी?
नसीम : नहीं, हम तेल लेते हैं, एक रुपया भी कम नहीं करता है।
रिपोर्टर : एक बार जो बढ़ा देता है, कम नहीं करता है।

नसीम

इसके बाद हम नोएडा के गुलशन वन 29 मॉल स्थित मल्टीप्लेक्स मूवीमैक्स गए, जहां जॉली एलएलबी 3 फिल्म दिखाई जा रही थी, वहां सिनेमाघर में दर्शकों को बेचे जा रहे पॉपकॉर्न की कीमतों की जांच की। सेल्समैन ने हमें बताया कि जीएसटी कटौती के बाद भी मूवीमैक्स की कीमतें कम नहीं हुई हैं। उनके अनुसार, अभी तक किसी भी मल्टीप्लेक्स में दरें कम नहीं की गई हैं और कोई भी संभावित परिवर्तन प्रबंधन से प्राप्त मेल पर निर्भर करेगा। यदि उन्हें ब्याज दरों में कटौती की सूचना प्राप्त होती है, तो कीमतें कम कर दी जाएंगी।
रिपोर्टर : पॉपकॉर्न क्य रेट है?
सेल्समैन : 550 और 650।
रिपोर्टर : ओके विद बटर और विदआउट बटर?
सेल्समैन : विदाउट बटर।
रिपोर्टर : ओके कुछ कम नहीं हुए रेट जीएसटी के बाद?
सेल्समैन : नहीं, अभी इतना ही है।
रिपोर्टर : मूवीमिक्स में रेट ही कम नहीं हुए जीएसटी के बाद?
सेल्समैन : नहीं, कहीं भी अभी कम नहीं हुए, XXXX में भी नहीं हुए।
रिपोर्टर : XXXX में भी कम नहीं हुए।
सेल्समैन : हो जाएंगे, मेल आएगा तो उसके बाद हो सकते हैं।
रिपोर्टर : 22 सितंबर को ही जीएसटी कम हो गई थी।
सेल्समैन : मेल तो ऊपर से आता है।
रिपोर्टर : वाटर बोटल कितने की है आपकी?
सेल्समैन : 70 रुपए की, सर!
रिपोर्टर : उस पर भी कम नहीं हुए?
सेल्समैन : होगा तो सर बिलकुल आएगा।

सेल्समैन

चूंकि पनीर की कीमतें भी कम हो गई हैं, इसलिए हमने यह देखने के लिए नोएडा के सेक्टर 134 में एवरग्रीन स्वीट शॉप का दौरा किया कि क्या जीएसटी कटौती के बाद पनीर, समोसे की कीमतें कम हुई हैं या नहीं। हमें यह देखकर आश्चर्य हुआ कि काउंटर पर बैठे सेल्समैन ने बताया कि पनीर के दाम कम होने के बावजूद समोसे के दाम कम नहीं हुए हैं। उन्होंने बताया कि समोसे तलने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले गैस सिलेंडर की कीमत अभी भी वही है और समोसे तलने में लगे श्रमिकों के वेतन में कोई कटौती नहीं की गई है। इसलिए उन्होंने एक समोसे के लिए 17 रुपए वसूले, जो जीएसटी कटौती से पहले की दर के समान ही था। जब हमने समोसे तल रहे मजदूर से कीमतों के बारे में बात की, तो उसने कहा कि एक बार कीमतें बढ़ जाने पर कोई उन्हें कम नहीं करता। लेकिन जब लागत बढ़ जाती है, तो स्थिति के अनुसार कीमतें तुरंत बढ़ जाती हैं।
रिपोर्टर : ये पनीर का समोसा है ना?
सेल्समैन : हां।
रिपोर्टर : मिल जाएगा?
सेल्समैन : हां।
रिपोर्टर : कितने का एक?
सेल्समैन : 17 रुपए का।
रिपोर्टर : 17 रुपए? सस्ता नहीं हुआ अभी, जीएसटी हटने के बाद, पनीर से जीएसटी हट गई ना? हम समझ रहे थे कि सस्ता हो गया होगा?
सेल्समैन : पनीर से ही तो हटी है, कारीगरों से तो नहीं। कारीगर तो उतने का ही है, गैस सिलेंडर उतने का ही है। केवल पनीर से क्या होगा?
रिपोर्टर : समोसा अभी भी महंगा है, …17 रुपए का एक। मैं सोच रहा था जीएसटी हट गई है पनीर से, तो समोसा सस्ता हो गया होगा?
दूसरा सेल्समैन : रेट घट जाएं तो कम नहीं करते, बढ़ा देंगे।

सेल्समैन

नोएडा के सेक्टर 134 में हमारी मुलाकात मोबाइल दुकान के मालिक सुधीर कुमार से हुई। जीएसटी दरों में कटौती के बारे में पूछे जाने पर सुधीर ने कहा कि इससे ज्यादातर अमीरों को फायदा होगा, गरीबों को नहीं। जीएसटी में कटौती के बाद कारों की कीमतें कम हो गई हैं, लेकिन कारें आम आदमी नहीं, बल्कि अमीर लोग खरीदते हैं। बड़े ब्रांडेड स्टोर तो जीएसटी में कटौती का लाभ ग्राहकों को दे रहे हैं, लेकिन साधारण किराना दुकानें कोई छूट नहीं दे रही हैं। सुधीर कुमार ने कहा कि ‘गरीब लोग अपनी दैनिक जरूरत की वस्तुएं ब्रांडेड दुकानों से नहीं, बल्कि स्थानीय किराना दुकानों से खरीदते हैं।’

ड्राइवर कृपाल मौर्य ने हमें बताया कि स्थानीय किराना दुकानों से दैनिक जरूरत की चीजों पर जीएसटी कटौती के बाद कीमतों में कोई राहत नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि वे पहले की तरह ही कीमतें चुका रहे हैं। हम उत्तर प्रदेश के आगरा में फतेहाबाद रोड पर स्थित मल्टी-स्पेशलिटी अस्पताल शांति मांगलिक के गेट के पास स्थित एक मेडिकल स्टोर पर भी गए। जब पूछा गया कि क्या जीएसटी में कटौती के बाद दवाओं की कीमतें कम हुई हैं, तो काउंटर पर मौजूद सेल्समैन ने तुरंत जवाब दिया कि जीएसटी में छूट के बावजूद कीमतें अपरिवर्तित हैं।

हालांकि तहलका रिपोर्टर ने पाया कि सभी दुकानदार ग्राहकों से पुरानी कीमत नहीं वसूल रहे हैं, कुछ उन्हें जीएसटी लाभ दे भी रहे थे। अपोलो फार्मेसी के सेल्समैन मूनिस ने कहा कि वे दवाओं पर जीएसटी में कटौती की पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि कई स्थानीय मेडिकल स्टोर पुराने स्टॉक को कारण बताते हुए ग्राहकों को लाभ नहीं दे रहे हैं।

मूनिस

नीचे एक मेडिकल स्टोर के मालिक के साथ संक्षिप्त बातचीत से यह स्पष्ट हो जाता है कि जीएसटी कटौती का लाभ केवल कुछ ही लोगों को मिल रहा है, जबकि अधिकांश स्थानीय दुकानों पर ग्राहकों को राहत नहीं दी जा रही है। मूनिस बताते हैं कि अधिकांश दुकानें अभी भी पुराना स्टॉक खत्म करने में लगी हैं, जिससे कीमतों में कोई कमी नहीं हो पा रही है। हालांकि उन्होंने कहा कि उनका स्टोर लाभ दे रहा है, लेकिन अधिकांश व्यापारी पहले की तरह ग्राहकों से रेट ले रहे हैं, जो नीति के असमान कार्यान्वयन को उजागर करता है।
रिपोर्टर : आप तो जीएसटी का फायदा दे भी रहे हो, बहुत से नहीं दे रहे।
मूनिस : रोज सिस्टम अपडेट होता है। बहुत से लोग तो दे नहीं रहे हैं, अभी पुराना स्टॉक पड़ा हुआ है।
रिपोर्टर : बहुत सारे मेडिकल स्टोर नहीं दे रहे।
मूनिस : नहीं, लोकल वाले तो दे नहीं पा रहे, कहते हैं पुराना स्टॉक है।
रिपोर्टर : तो आप कैसे दे रहे हो?
मूनिस : हा.हा..।

नोएडा के गुलशन वन 29 मॉल में स्थित एक बड़ी खुदरा श्रृंखला, मॉडर्न बाजार में हमें उनके बिक्री कर्मचारियों ने बताया कि उनके स्टोर पर सभी किराना वस्तुओं पर जीएसटी कटौती पूरी तरह से लागू है। हालांकि उनके सेल्समैन सत्या ने स्वीकार किया कि स्थानीय किराना स्टोर जीएसटी का लाभ आम लोगों को नहीं दे रहे हैं और वह प्रभावित ग्राहकों में से खुद को भी एक मानते हैं।
रिपोर्टर : ग्रॉसरीज पर रेट कम हुए क्या?
सेल्सगर्ल : हां सर! हुई तो है।
रिपोर्टर : किस-किस पर हुई है?
सेल्सगर्ल : ये नहीं पता, डाल पर, …सारी ग्रॉसरीज पर, इनफेक्ट कितना कम हुआ है ये तो आपको सर बता सकते हैं।
रिपोर्टर : दाल, चावल… सब पर कम हुआ है?
सेल्सगर्ल : जी।
रिपोर्टर : हां ग्रॉसरीज पर रेट कम हुए हैं जीएसटी के बाद?
सत्या : आप रेट देख लीजिए बिल पर आपको रेट दे देता हूं।
रिपोर्टर : जैसे आटा है, दाल है, चावल?
सत्या : सब पर हुआ है, …ये देख रहे हो आप… जीएसटी रेट है। …आइए अभी तो ऑफर चल रहा है।
रिपोर्टर : नो पुराने रेट पर ही बेच रहे हैं?
रिपोर्टर (आगे) : आपने तो कम कर दिए हैं, पर जो नॉर्मल ग्रॉसरी स्टोर्स हैं, वो नहीं कर रहे। मॉडर्न बाजार ने तो कम कर दिए।
सत्या : हां, मैं भी गया था, मुझे भी वही रेट दिए हैं, …अभी पुराना स्टॉक निकल रहा है। मैंने बोला बिल भी तो दिखाना चाहिए।

तहलका ने अपनी इस पड़ताल में पाया गया कि किराने का सामान और दवाइयों का कारोबार करने वाले सभी ब्रांडेड स्टोर अपने ग्राहकों को जीएसटी का लाभ दे रहे हैं। लेकिन छोटे मेडिकल और किराना स्टोर अपने गरीब ग्राहकों को ये लाभ नहीं दे रहे हैं, उनका दावा है कि वे पिछली कर दरों के तहत खरीदे गए पुराने स्टॉक को खत्म कर रहे हैं। दिल्ली-एनसीआर में हमने जिन दुकानों का दौरा किया, उनमें से कई में कोई नोटिस बोर्ड नहीं था और व्यापारी खुलेआम नियमों का उल्लंघन करते मिले। अधिकांश चीजों पर सरकार के वादे के मुताबिक चीजों के मूल्यों में कम जीएसटी के हिसाब से कटौती करके ग्राहकों को बेचते नहीं मिले। उपभोक्ताओं का आरोप है कि निगरानी की कमी के कारण व्यापारी पुरानी दरों पर उत्पाद बेचकर उन्हें बेवकूफ बना रहे हैं और लूट रहे हैं। जीएसटी की नई दरों का क्रियान्वयन न होना विशेष रूप से दवाओं और आवश्यक वस्तुओं के मामले में गंभीर प्रतीत होता है। दुकानदार और मेडिकल स्टोर वाले अधिकारीयों की कार्रवाई के डर के बिना पुरानी दरें वसूल रहे हैं। तहलका में हमारा मानना है कि सरकार को तुरंत विशेष अभियान शुरू करना चाहिए। बाजारों का निरीक्षण करना चाहिए। उल्लंघन करने वालों को दंडित करना चाहिए और एक सार्वजनिक हेल्पलाइन शुरू करनी चाहिए, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि जीएसटी दर में बदलाव का लाभ आम लोगों तक पहुंचे। प्रवर्तन में थोड़ी-सी भी देरी से उपभोक्ताओं को भारी वित्तीय नुकसान होता है। इस मुद्दे पर त्वरित कार्रवाई और जन जागरूकता पैदा करना महत्वपूर्ण है। सरकार ने उन दुकानदारों और व्यवसायों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की घोषणा की है, जो ग्राहकों को जीएसटी का लाभ देने में विफल रहे हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन इरादे के अनुरूप होना चाहिए।