हाल ही में सेंट्रल बोर्ड ऑफ इनडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम्स (CBIC) ने कपड़े और जूते उद्योग के इनवर्टेड शुल्क ढ़ांचे में बड़ा बदलाव किया हैं। जीएसटी परिषद ने कपड़े और जूते उद्योग पर एक जनवरी 2022 से नया शुल्क ढांचा लागु करने की बात कहीं है। इसमें जीएसटी को 5 से बढ़ाकर 12 किया गया है।
यदि जीएसटी लगातार कपड़ा और जूता पर बढ़ता रहा तो व्यापारियों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली के कपड़ा और जूता व्यापारियों ने तहलका संवाददाता को बताया कि, आगामी 1 जनवरी से जूता पर 5 से 12 प्रतिशत तक बढ़ाये जाने से जूता व्यापार पर काफी विपरीत असर पड़ेगा।
जूता व्यापारी रतन अग्रवाल ने कहा कि पहले कोरोना के चलते व्यापार टूटा है। वहीं लगातार महगांई के चलते और शादियों के कम होने से जूता का कारोबार काफी कम हुआ है। लक्ष्मी नगर व्यापार संघ के सचिव प्रदीप कुमार ने बताया कि सरकार न जाने क्या सोच कर जीएसटी को बढाने में लगी है। क्योंकि कपड़ा पर जीएसटी बढ़ाने से व्यापारी नाराज है। अब जूता पर जीएसटी ठोका जा रहा है। उनका कहना है कि अगर दिल्ली सरकार और केन्द्र सरकार ने जीएसटी संशोधन पर शीघ्र कार्रवाई नहीं की तो दिल्ली के व्यापारी सरकार की व्यापारी नीतियों के विरोध में प्रदर्शन करेगें।
बताते चलें व्यापारियों ने कई बार सरकार की जीएसटी नीतियों को लेकर विरोध किया है। लेकिन सरकार जीएसटी पर समय-समय पर संशोधन कर व्यापारियों को प्रोत्साहन देती रही है। लेकिन अब सरकार न जाने क्यों व्यापारियों की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। प्रदीप कुमार का कहना है ओमिक्रोन के कहर को लेकर व्यापार में डर का साया है। उस पर जीएसटी का बढ़ाया जाना व्यापार को संकट में डालने के बराबर है।उनका कहना है कि व्यापारी कोरोना काल से कर्ज में चल रहा है। ऐसे में छोटे –व्यापारियों के कारोबार पर विपरीत असर जरूर पड़ेगा।