अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने माल एवं सेवा कर (जीएसटी) को भारत का “महत्वपूर्ण सुधार” सुधार बताया पर साथ में यह भी कहा कि जीएसटी के ढांचे को और सरल बना कर इसमें कर की केवल दो दरें रखना अधिक लाभदायक होगा।
रिपोर्ट्स के मुताबिक़आईएमएफ ने कहा है कि इसमें कर की दरों की संख्या ज्यादा रहने से अनुपालन और कर प्रशासन की लगात बढ़ती है।
आईएमएफ ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा कि जीएसटी में दो दरों वाली कर संचरना (दो कर स्लैब) होनी चाहिये, जिसमें एक मानक दर हो जिसका स्तर कम हो तथा दूसरी दर चुनिंदा वस्तुओं के लिए हो जो ऊंची हो। इससे जीएसटी प्रणाली प्रगतिशील होगी और इसमें राजस्व निरपेक्षता भी बनी रहेगी।
मुद्रा कोष ने कहा कि भारत की कर नीति में जीएसटी एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। इसने केंद्र और राज्यों के विभिन्न अप्रत्यक्ष करों को एकीकृत करने और उनमें सामंजस्य बठाने का काम किया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ऐसे पांच देशों के समूह में शुमार है, जहां चार या उससे अधिक जीएसटी दरें हैं। अधिक दरों और अन्य सुविधाओं की वजह से भारत के जीएसटी प्रणाली में उच्च अनुपालन और अधिक प्रशासनिक लागत आ रही है।
पीटीआई भाषा की एक रिपोर्ट के मुताबिक़ भारत के आईएमएफ मिशन प्रमुख रानिल सलगादो ने कहा कि जीएसटी ने व्यापार के लिये आंतरिक बाधाओं को कम करके पहली बार एक एकीकृत राष्ट्रीय बाजार बनाया है। जिससे 1.3 अरब से अधिक आबादी वाले बाजार में एक मुक्त व्यापार समझौता स्थापित हुआ है।
जीएसटी में इस समय चार दरें , पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत लागू है। सरकार और जीएसटी परिषद के सदस्यों ने संकेत दिया है कि दरों की संख्या आगे चल कर घटायी जा सकती है।