जासूसी की साज़िश का पर्दाफाश

पत्रकार राजीव शर्मा की जासूसी के पीछे कौन? जाँच होने पर कई चेहरे हो सकते हैं बेनकाब

जासूसी मामले को लेकर जिस साज़िश का पर्दाफाश हुआ है, उससे साफ है कि देश को नुकसान पहुँचाने के लिए काम करने वाले अपने भी लोग हैं। वैसे जासूसी को लेकर यह नया मामला नहीं है। इसके पहले पाकिस्तान और चीन के लिए जासूसी का काम करने में पत्रकारों, अफसरों की गिरफ्तारियाँ होती रही हैं। अब चीन के लिए जासूसी करने के आरोप में स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा सहित दो विदेशियों, जिनमें एक महिला किंग शी और शेर सिंह को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार किया है। इस मामले में कुछ पत्रकारों ने कहा कि देश में पत्रकारों के खिलाफ साज़िश का खेल चल रहा है। मीडिया के बीच दरारें पैदा करके एक पत्रकार को देश भक्त बताया जा रहा है, तो दूसरे को देशद्रोही। मौज़ूदा वक्त में मीडिया में भटकाव पैदा किया जा रहा है, जिससे मीडिया की विश्वनीयता पर सवाल उठ रहे हैं। इसके पीछे किसकी क्या मंशा है? यह तो आने वाला वक्त ही बतायेगा।

पीतम पुरा में जहाँ राजीव शर्मा का अपना घर है। वहाँ के निवासी भारत कपूर और हेमंत से राजीव शर्मा के बारे में तहलका संवाददाता ने पूछा तो उन्होंने बताया कि राजीव शर्मा एक पत्रकार हैं; लेकिन इस तरह की गतिविधियों में शामिल हो सकते हैं, उस पर किसी को कभी शक नहीं हुआ है। एक पत्रकार ने बताया कि राजीव शर्मा पर नज़र तबसे है, जब वह चीन अखबार ग्लोबल टाइम्स के लिए लेख लिख रहे थे। उनकी हर गतिविधि पर खुफिया एंजेसियों की नज़र थी। अगर सही मायने में राजीव शर्मा चीनी साज़िश में शामिल पाये जाते हैं, तो यह पत्रकारिता के लिए कलंक है। वैसे देखना तो यह होगा कि भारत के विरुद्ध आग उगलने वाले अखबार ग्लोबल टाइम्स में राजीव शर्मा ने अपने लेखों में क्या-क्या लिखा है? क्योंकि भारत चीन के बीच जो सीमा पर विवाद और तनाव चल रहा है। इस दौर में दोनों देशों के लिए मामूली-से-मामूली गतिविधियों पर ही नज़र रखी जा रही है। स्पेशल सेल के पुलिस उपायुक्त संजीव यादव ने बताया कि चीनी खुफिया एंजेसियों ने जनवरी, 2019 से सितंबर, 2020 के बीच राजीव शर्मा को लगभग 45 लाख रुपये दिये हैं। पत्रकार को हर सूचना के लिए 1000 डॉलर मिलते थे।

केंद्रीय खुफिया एजेंसियों ने दिल्ली पुलिस को शर्मा के बारे में जासूसी की सूचना दी थी। इसी आधार पर 14 सितंबर को पीतमपुरा से शर्मा को गिरफ्तार किया गया। बताते चलें कि राजीव किष्किंधा नाम से एक यू ट्यूब चैनल भी चलाते हैं। इस पर भारत-चीन के बीच हुई राजनयिक स्तर और मंत्रियों के वार्तालाप को वह न्यूज के ज़रिये साझा करते थे। इस समय चीन और भारत के बीच तनाव की खबरें भी उक्त पत्रकार ने चैनल पर दी हैं। वैसे यू ट्यूब चैनल चलाने वाले देश के कई और पत्रकार भी पुलिस-रडार पर हैं। दिल्ली प्रेस क्लब में पत्रकारों ने बताया कि राजीव शर्मा कई अखबारों में काम कर चुके हैं। लेकिन 2010 से वह स्वतंत्र पत्रकार के रूप में काम कर रहे हैं और तभी से चीन के मुखपत्र और प्रमुख समाचार पत्र ग्लोबल टाइम्स के लिए नियमित साप्ताहिक कॉलम लिख रहे थे। उसी दौरान चीन की खुफिया एजेंसियों ने उनसे सम्पर्क करके चीन बुलाया था और सूचना के आदान-प्रदान के लिए पैसों का लालच दिया व भारत से जुड़ी गतिविधियों को एकत्र करने वाले वहाँ के दलालों से सम्पर्क भी करवाया। तभी उसकी मुलाकात माइकल नामक एजेंट से होती है। माइकल ने पैसा देकर राजीव शर्मा को विश्वास में लेकर भारत की सीमा से जुड़ी और भारतीय सेना की जानकारी हासिल की, जानकारी सही प्राप्त होने पर उसे शर्मा पर भरोसा हो गया था। शर्मा चीनी एजेंटों के सहयोग से देश-दुनिया में घूमने जाते थे और वहीं पर मीटिंग कर भारत से जुड़ी अहम् जनकारी देते थे। धीरे-धीरे राजीव शर्मा की पकड़ चीनी एजेंटों पर मज़बूत होती जा रही थी। इसी क्रम में चीन के अन्य एजेंटों ने राजीव शर्मा से खुद सम्पर्क साधा और नेपाल के रास्ते कई बार चीन भी बुलाया फिर उसकी मुलाकात जॉर्ज नामक एजेंट से होती है। जॉर्ज ने ही दिल्ली के महिपालपुर में रहने वाले चीनी लोगों से मुलाकात करवायी, जो फर्ज़ी दवा कम्पनी चलाते हैं। फर्ज़ी कम्पनी चलाने वाली चीनी दम्पति झांगचांग और चांग ली ने अपनी कम्पनी में कार्यरत शेर सिंह और क्ंिवग शी के ज़रिये शर्मा से मुलाकात हुई, ये दोनों ही शर्मा के खाते में पैसा ट्रांसफर करते थे।

फिलहाल शर्मा के लेपटॉप की जाँच की जा रही है। शर्मा पीआईबी पत्रकार हैं, सो उनका मंत्रालयों में आना-जाना रहा है। उन्होंने रक्षा मंत्रालय की रिपोर्टिंग भी की है। इस लिहाज़ से सेना के अधिकारियों से उनका सम्पर्क भी है। अगर सही तरीके से जाँच होती है, तो सम्भव है कि नये चेहरे सामने आएँ। सम्भव है कि शर्मा जासूसी कड़ी में एक मोहरा साबित हों।

पत्रकार डी. प्रियरंजन का कहना है कि सोशल मीडिया की पहुँच बहुत तेज़ी से बढ़ रही है। ऐसे में कुछ लोग यू ट्यूब चैनल चला रहे हैं। कुछ लोग पैसे के लालच में यू ट्यूब चैनल के ज़रिये दुश्मन देशों को गोपनीय जानकारियाँ मुहैया करा रहे हैं। इसलिए सरकार को यू-ट्यूब चैनल वालों पर पैनी नज़र रखनी होगी और कोई गाइडलाइन बनानी होगी, ताकि वे मनमानी न कर सकें। चौंकाने वाली बात यह है कि राजीव शर्मा ने एक पत्रकार के तौर पर दुश्मन देश को वर्षों से अहम् जानकारियाँ मुहैया करायी हैं; पर उन पर किसी की नज़र नहीं गयी। सवाल है कि क्या यह सम्भव है कि वह अकेले इस जासूसी के खेल में ही शामिल हों? या इसमें कुछ ऐसे लोग भी शामिल हैं, जिनका नाम अभी तक सबके सामने नहीं आया है या आना ही नहीं है। जानकारों का कहना है कि कई बार ऐसे मामलों की जड़ें राजनीति की ज़मीन तक जाती हैं। कहीं शर्मा उसी कड़ी का हिस्सा तो नहीं?