यह 2018 के दिसंबर की बात है जब राजस्थान के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए कांग्रेस आलाकमान ने अशोक गहलोत का चयन किया। इसके तुरंत बाद तब कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने अपने ट्वीटर हैंडल पर अपने दाएं-बाएं गहलोत और सचिन पॉयलट की फोटो डालकर लिखा – ”यूनाइटेड कलर्स ऑफ राजस्थान”। आज करीब 19 महीने के बाद राजस्थान कांग्रेस की एकता का यह रंग दोनों की जंग खुलकर सामने आने के बाद थोड़ा ”मटमैला” हो गया है। अनुभवी अशोक गहलोत ने सोमवार को अपने से कहीं कम अनुभवी सचिन पॉयलट को सरकार बचाने की जंग में संख्या बल के आधार पर ”मात” दे दी। उनके साथ 108 विधायक (गहलोत समेत 109) हैं। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने कल और आज परदे के पीछे से ”रोल” निभाया है और सचिन पॉयलट के कांग्रेस में बने रहने की भी बहुत संभावना है।
सचिन पॉयलट इस ”हार” के बावजूद कांग्रेस से बाहर चले जायेंगे, अभी कहना मुश्किल है। हो सकता है सचिन कांग्रेस के भीतर ही रहकर अपनी लड़ाई लड़ें। हो सकता है कि उनके कुछ लोगों को मंत्री पद दे दिए जाएं। सुबह जयपुर में कांग्रेस दफ्तर के बाहर पॉयलट की तस्वीर वाले जो पोस्टर हटाए गए थे, उन्हें फिर लगाने की कोशिश दिखी है। यह दिलचस्प है। सचिन के कांग्रेस के भीतर रहने से गहलोत सरकार की मजबूती की ज्यादा गारंटी रहेगी, यह कांग्रेस भी समझती है।
भाजपा में उनके जाने की अटकलें सिर्फ इस आधार पर लगीं कि वे अपने समर्थक विधायकों को जयपुर से एक ऐसे राज्य के रिजॉर्ट (मानेसर, हरियाणा) में ले गए, जहाँ भाजपा की सरकार है। बहुत ज्यादा संभावना नहीं है कि ज़िंदगी भर भाजपा से लड़ने वाले पॉयलट मध्य प्रदेश के अपने पुराने साथी ज्योतिरादित्य सिंधिया की तरह भाजपा में चले जायेंगे। पिछले दो दिन के राजनीतिक संकट के दौरान पॉयलट ने एक बार भी कांग्रेस नेतृत्व, गहलोत या पार्टी की निंदा नहीं की है। न भाजपा या उनके बीच किसी गठजोड़ के कोई साफ़ संकेत मिले हैं, जैसा सिंधिया के मामले में हुआ था।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक संकट के इस दौर में सचिन पॉयलट की जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और अपनी पत्नी के भाई उमर अब्दुल्ला से भी बात हुई थी। इसमें क्या चर्चा हुई पता नहीं, लेकिन समझा जाता है कि अब्दुल्ला ने उन्हें सोच समझकर ही फैसला करने का सुझाव दिया। पक्का नहीं, लेकिन अब्दुल्ला ने उन्हें कांग्रेस नहीं छोड़ने की सलाह दी।
विधायक दल की बैठक के बाद भी सचिन ने राजस्थान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद या उपमुख्यमंत्री पद से इस्तीफा अभी नहीं दिया है। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक राहुल गांधी चाहते हैं कि सचिन पॉयलट कांग्रेस में रहें और उनकी कुछ ”नाराजगियों” को दूर किया जाये, भले गहलोत ”सरकार में सुपर बॉस” रहें। सारे घटनाक्रम में प्रियंका गांधी को राहुल ने ही आगे किया और कहते हैं उमर अब्दुल्ला का भी इसमें ”रोल” दिखा है।
विधायक दल की बैठक में 102 विधायक थे, और कुछ किन्हीं कारणों से नहीं आ सके। ”तहलका” की जानकारी के मुताबिक गहलोत संख्या बल के आधार पर सचिन पर भारी रहे हैं, और सचिन समर्थक विधायकों को छोड़कर भी उनके साथ 108 विधायक हैं। हालात बता रहे हैं कि संकट फिलहाल टल गया है। सचिन कांग्रेस में ही रहेंगे, यही ज्यादा संभावना है।
यह पॉयलट ही हैं जिनके नेतृत्व में कांग्रेस ने राजस्थान में विधानसभा चुनाव जीता था। ज़मीन पर सारा काम सचिन ने ही किया था, कांग्रेस में दिल्ली से लेकर जयपुर तक सभी इसे जानते हैं। गहलोत को शायद अब आलाकामन कहेगी, टकराव नहीं सचिन से प्यार के साथ चलें !