जस्टिस शरद अरविंद बोबड़े देश सर्वोच्च अदालत के नए प्रधान न्यायाधीश बन गए हैं। उन्होंने सोमवार को देश के ४७वें मुख्य न्यायाधीश के तौर पर शपथ ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने उन्हें पद की शपथ दिलाई।
उनका कार्यकाल २३ अप्रैल, २०२१ तह होगा। जस्टिस बोबड़े रंजन गोगोई की जगह नए प्रधान न्यायाधीश बने हैं जो आज सेवानिवृत्त हो गए। जस्टिस बोबड़े अयोध्या रामजन्मभूमि- बाबरी मस्जिद जमीनी विवाद मामले में फैसला देने वाले पांच जजों के संविधान पीठ में शामिल रहे हैं। वे निजता के अधिकार के लिए गठित सात जजों की संविधान पीठ में भी शामिल थे।
जस्टिस शरद बोबड़े ”आधार” को लेकर उस बेंच में भी रहे जिसने कहा था कि जिन लोगों के पास आधार नहीं है उन्हें सुविधाओं से वंचित नहीं किया जाएगा। उन्होंने १९७८ में नागपुर विश्वविद्यालय से एलएलबी की डिग्री हासिल करने के बाद बार काउंसिल ऑफ महाराष्ट्र में नामांकन दर्ज किया।
उन्होंने २१ साल तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में प्रैक्टिस की और सुप्रीम कोर्ट में भी पेश हुए। उन्हें १९९८ में वरिष्ठ वकील के रूप में नामित किया गया और बाद में मार्च २००० में बॉम्बे उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया।