हिमाचल की राजधानी शिमला में जल संकट बरकरार है। यह रिपोर्ट लिखे जाने तक लोगों को चौथे दिन पानी मिल रहा था। अभी तक के सबसे गंभीरतम संकट सेे स्थानीय लोगों और सैलानियों को भी दिक्कत झेलनी पड़ी है। नई समस्या बारिश शुरू हो जाने के बाद गाद (सिल्ट) की आई है जिससे पानी लिफ्ट करने में दिक्कत आ रही है। सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए पांच विभागों के समन्वय से एक योजना बनाई है।
ब्रिटिश काल में अंग्रेजों ने शिमला को भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी बनाया था तब इसे सिर्फ 16-17 हजार की आबादी के हिसाब से विकसित किया गया था। शिमला नगर की आबादी 2011 की जनगणना में 1,69,570 बताई गयी है जो अब निश्चित ही कुछ हजार ज्यादा होगी। पर्यटन सीजन में यह एक लाख के आसपास आबादी बढ़ जाती है। इन दशकों में आबादी तो दस गुणा बढ़ गयी लेकिन सुविधाओं का विकास उस हिसाब से नहीं हो पाया।
राजधानी में पानी की कुल जरूरत 450 लाख लीटर प्रति दिन (एमएलडी) है। यह रिपोर्ट लिखे जाने के वक्त नगर को 31-32 एमएलडी के करीब ही पानी मिल रहा है। पानी के पाँच स्रोत गुम्मा, गिरी, अश्वनी खड्ड, चुरट, चेयड़ और कोटी ब्रांडी हैं जिनमें सबसे ज्यादा 17-18 एमएलडी के करीब गुम्मा से मिलता है। जल आपूर्ति के मुख्य स्रोत अश्वनी खड्ड से सप्लाई दो साल से बंद है जब इसके पानी के गंदले होने से करीब 24 लोगों की पीलिया से मौत हो गयी थी। सर्दियों में कम बर्फबारी और बारिश भी इस बार मुसीबत का कारण बनी है।
कनेक्शन कटने शुरू
हाई कोर्ट की सख्ती के बाद नगर निगम ने वे सभी कनेक्शन काटने शुरू कर दिए हैं जिन्हें सीधे लाइन से अवैध रूप से लिया गया है। प्रभावशाली लोगों ने इस तरह के अवैध कनेक्शन का जुगाड़ किया था। यह ज़रूर हैरानी की बात है जो सरकारी अफसर और कर्मचारी इसके लिए जिम्मेदार हैं, उनके खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई अभी तक नहीं की गयी है। निगम अधिकारियों के मुताबिक अब तक दो दर्जन से ज्यादा अवैध कनेक्शन काटे जा चुके हैं। इसके आलावा सीधे लाइन में टुल्लू पम्प लगाने वाले लोगों पर भी कार्रवाई की जा रही है।
सरकार की योजना
जय राम सरकार की बड़ी पेयजल योजना पर सेंट्रल वाटर कमीशन (सीडब्ल्यूसी) के फैसले का इन्तजार है। प्रदेश के आईपीएच विभाग ने इसी महीने 4751 करोड़ की पेयजल योजना का ड्राफ्ट केंद्र सरकार को भेजा था। इसकी डीपीआर तैयार होने जा रही है। इस योजना पर केंद्र सरकार के साथ पहली बैठक 13 जून को दिल्ली में सेंट्रल वाटर कमीशन के साथ हुई। सरकार उम्मीद कर रही है कि इसका बेहतर नतीजा सामने आएगा और इसके लागू होने से शिमला से पानी की समस्या कमोवेश खत्म हो जाएगी।
केंद्र में बीजेपी और प्रदेश में भी बीजेपी की सरकार होने के नाते सबसे बड़ी पेयजल और सिंचाई योजना पर सीडब्ल्यूसी मुहर लगा सकती है। विभाग के मंत्री महेंद्र सिंह का दावा है कि इस योजना के शुरू होने से प्रदेश में पेयजल और सिंचाई के लिए संकट से नहीं गुजरना पड़ेगा। ‘इस योजना के तहत प्रदेश में चैकडैम, रेन वाटर हार्वेस्टिंग सहित सूखे प्रोजेक्ट्स को रिचार्ज करने का प्रावधान हैÓ।
जसबीर का जीवट
शिमला में गंभीर जल संकट है, एक महिला टैंकर चालक ने अपनी जीवट से लोगों की मदद की है। पंजाब के संगरूर जिले की जसबीर कौर अपने पति लक्खा सिंह के साथ शिमला में पानी का टैंकर चला रही है। वह हर रोज 16 घंटे ड्राइविंग कर 25000 लीटर के करीब पानी सतलुज से गुम्मा पहुंचा रही है जहाँ से यह पानी फिल्टर करके शिमला में सप्लाई किया जाता है। जसबीर के इस जज्बे के लिए उन्हें 11 जून को सम्मानित किया गया। वैसे तो जसबीर मैदानी इलाके में ट्रक चलाने की अभ्यस्त है परन्तु शिमला में लोगों की दिक्कत देखते हुए उसने यह साहस भरा फैसला किया। जसबीर कौर इन दिनों काफी चर्चा में है और शिमला के लोगों की वह हीरो बन चुकी है। वह पति लक्खा सिंह के साथ टैंकर चलाकर शिमला में लोगों की प्यास बुझा रही है। लोगों की सहायता के लिए कई स्वयंसेवी संस्थाएं आगे आई हैं जो टैंकर्स से पानी सप्लाई कर पानी उपलब्ध करवा रही हैं। जसबीर 35 साल की हैं और दिलचस्प यह है कि उन्हें ड्राइविंग करते हुए तीन महीने ही हुए हैं। उनके पास ड्राइविंग का हेवी मोटर व्हीकल (एचएमवी) लाइसेंस है।