हर साल की भाँति इस साल भी विश्व जल दिवस पर दिल्ली में अनेक कार्यक्रम आयोजित किये गये।जो अपने आप में परम्परा के तौर पर ही एक रस्म की तरह है। जिसका धरातल से कोई लेना –देना नहीं है। तहलका संवाददाता को जल बचाओं और पर्यावरण अभियान के लिये काम करने वाले केन्द्रीय फिल्म बोर्ड के सदस्य राजकुमार सिंह ने बताया कि देश में कोरोना काल 2020 में जब लाँकडाउन लगा था। तब देश में जल और पर्यावरण की जो साफ छवि देखने को मिली थी वैसी ही छवि देश में दो दशक पहले देखने को मिलती थी।
क्योंकि तब देश का नागरिक देसी रीति- रिवाज और जल, जगंल और जमीन पर भरोसा करता था और उसकी पूजा करता था। मानता था कि जल है तो कल है। लेकिन अब परिस्थितियां बदली है। लोगों में आधुनिकता हावी हुई है। लोगों ने विकास के नाम पर जल, जंगल और जमीन का दोहन किया है। प्रकृति से छेड़खानी हुई है। राजकुमार सिंह का कहना है। सरकार के साथ -साथ जनमानस को जल,जंगल और जमीन को बचाने के लिये आगे आना होगा, तब जाकर जल बचेगा। अन्य़था आने वाले दिनों में जल का संकट गहराता जायेगा।
राजकुमार सिंह का कहना है कि आज भी गांव-गांव में जल का संकट है। शहरों में देख रेख के अभाव में पानी बर्बाद होता है। उन्होंने लोगों से अपील की है। जल बचाये और देश में खुशहाली लाने में योगदान दें।