कभी जयपुर राजघराने की संपत्ति रहा जयगढ़ किला जयपुर के नजदीक स्थित है. यह किला राजा जयसिंह (द्वितीय) ने 1726 में बनवाया था. 1975-76 में देश में लागू हुए आपातकाल के समय जब आयकर विभाग ने जयपुर राजघराने के महलों पर छापे मारे और सेना ने इस किले की तलाशी ली तब यह किला देश भर में चर्चा का केंद्र बन गया था.
ऐतिहासिक स्रोत बताते हैं कि अकबर के दरबार में सेनापति जयपुर के राजा मानसिंह (प्रथम) ने मुगल शहंशाह के आदेश पर अफगानिस्तान पर हमला किया था. इस इलाके को जीतने के बाद राजा मानसिंह को काफी धन-दौलत मिली, लेकिन उन्होंने इसे दिल्ली दरबार में सौंपने के बजाय अपने पास ही रख लिया. इस घटना के बाद से ये चर्चाएं चलती रहीं कि राजघराने ने यह संपत्ति गुप्त स्थानों पर छिपाकर रखी है. जयगढ़ किले के निर्माण के बाद कहा जाने लगा कि इसमें पानी के संरक्षण के लिए बनी विशालकाय टंकियों में सोना-चांदी और हीरे-जवाहरात छिपा कर रखे गए हैं.
जयगढ़ किले में खजाने की बात देश को आजादी मिलने के बाद भी गाहे-बगाहे चर्चा में आती रही. इस वक्त जयपुर राजघराने के प्रतिनिधि राजा सवाई मान सिंह (द्वितीय) और उनकी पत्नी गायत्री देवी थे. ‘स्वतंत्र पार्टी’ के सदस्य ये दोनों लोग कांग्रेस के धुर विरोधी थे. गायत्री देवी तीन बार जयपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी को हराकर लोकसभा सदस्य भी बनीं. इस दौरान राजघराने के कांग्रेस पार्टी से संबंध काफी खराब हो गए.
1975 में जब देश में आपातकाल लगा तब गायत्री देवी ने इसका मुखर विरोध किया और कहा जाता है कि इंदिरा गांधी सरकार ने इस वजह से आयकर विभाग को राजघराने की संपत्ति की जांच के आदेश दे दिए. 1976 में सरकार की इस कार्रवाई में सेना की एक टुकड़ी भी शामिल थी. इसे जयगढ़ किले में खजाना खोजने की जिम्मेदारी सौंपी गई. उस समय सेना ने तीन महीने तक जयगढ़ किले और उसके आस-पास खोजी अभियान चलाया.
लेकिन खोजी अभियान समाप्त होने के बाद सरकार ने औपचारिक रूप से बताया कि किले से किसी तरह की संपत्ति नहीं मिली.हालांकि बाद में सेना के भारी वाहनों को दिल्ली पहुंचाने के लिए जब दिल्ली-जयपुर राजमार्ग तीन दिन के लिए बंद किया गया तो यह चर्चा जोरों से चल पड़ी कि सेना के वाहनों में राजघराने की संपत्ति है. लेकिन बाद में इस बात की कभी पुष्टि नहीं हो पाई और अभी तक यह बात एक रहस्य ही है.
-पवन वर्मा