भाजपा की जम्मू कश्मीर में अलगाववादी नेता से मुख्य धारा के नेता बने सज्जाद लोन को आगे करके सरकार बनाने की कोशिशों को झटका देते हुए भाजपा की दो साल तक सरकार में साझीदार रही पीडीपी ने पुराने सहयोगी को झटका देते हुए दशकों से अपनी प्रतिद्वंदी रही नैशनल कांफ्रेंस से हाथ मिलाने की तैयारी कर ली है। कांग्रेस भी इस गठबंधन की सहयोगी होगी।
”तहलका” की जानकारी के मुताबिक पीडीपी और कांग्रेस मिलकर सरकार बना सकते हैं और नैशनल कांफ्रेंस इस सरकार को बाहर से समर्थन दे सकती है। पता चला है कि अल्ताफ बुखारी इस सरकार में मुख्यमंत्री हो सकते हैं। गुरूवार को बुखारी राज्यपाल से इस सिलसिले में मिलकर सरकार बनाने का दावा कर सकते हैं।
हालाँकि ”तहलका” को यह भी जानकारी मिली है कि भाजपा की कोशिश है कि यह गठबंधन किसी भी सूरत में सरकार न बना सके ऐसे में हो सकता है कि भाजपा विधानसभा भंग करवाने की कोशिश करे। इस समय जम्मू कश्मीर विधानसभा निलंबित अवस्था (सस्पेंडेड एनिमेशन ) में है और यदि जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक १९ दिसंबर तक वहां सरकार नहीं बन पाती है तो विधानसभा भंग होगी ही।
पीडीपी नेतृत्व की नैशनल कांफ्रेंस के सर्वेसर्वा फ़ारूक़ अब्दुल्ला से सरकार में शामिल होने को लेकर बात हुई लेकिन उन्होंने इस पर हामी नहीं भरी। फ़ारूक़ इस समय सिक्किम में हैं। हालांकि वे सरकार को कुछ मुद्दों की शर्त पर बाहर से समर्थन देने को तैयार हो गए हैं। फ़ारूक़ की हाँ के बाद पीडीपी के वरिष्ठ नेता और विधायक अल्ताफ बुखारी श्रीनगर में नैशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह से मिले और इस मसले पर विस्तार से बातचीत की। वैसे यह बातचीत आधिकारिक रूप से किसी भी दल ने स्वीकार नहीं की है।
कांग्रेस आलाकमान ने भी इस मामले में सक्रियता दिखाई। सूत्रों के मुताबिक राज्य में पीडीपी के टॉप नेताओं ने जब दिल्ली में इस बाबत संपर्क किया तो उनका रुख सकारात्मक रहा। इसके बाद इस मसले पर गंभीरता से चिंतन हुआ। शुरू में कांग्रेस लीडरशिप कुछ हिचकिचा रही थी लेकिन बाद में राज्य के बड़े नेताओं के साथ बातचीत हुई और सरकार को लेकर सकरात्मक रुख का फैसला किया गया।
जम्मू कश्मीर की विधानसभा में ८९ सदस्य होते हैं और सरकार बनाने का बहुमत ४५ से पूरा हो जाता है। पीडीपी, एनसी और कांग्रेस का जोड़ ५५ हो जाता है। वैसे पीडीपी के दो विधायक आबिद अंसारी और इमरान रजा पार्टी नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं। यह माना जाता है कि वे सज्जाद लोन को समर्थन दे रहे हैं।
पहले एनसी धारा-३७० और ३५ए जैसे मुद्दों को समर्थन की शर्त में जोड़ना चाहती थी हालाँकि बाद में यह तये हुआ कि सरकार का मुख्य एजेंडा जम्मू कश्मीर में खराब हो रहे हालात होगा। एनसी बाद में, कहते हैं, इसके लिए सहमत हो गयी।
दिलचस्प यह भी है कि पीडीपी से भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद नैशनल कांफ्रेंस तीसरा मोर्चा बनाकर सरकार बनाने के हक़ में तैयार हो गयी थे हालाँकि बाद में यह बात सिरे नहीं चढ़ी। इसके बाद भाजपा ने बड़ा दांव चलते हुए अलगाववादी से मुख्या धरा के नेता बने सज्जाद लोन को सरकार बनाने के लिए तैयार किया। इस पर बात लगातार जारी थी और गठबंधन कुछ आकार लेता भी दिखा रहा था। भाजपा के २५ सदस्य हैं और उसे लगता था कि यदि कुछ तोड़-फोड़ हो जाती है तो बहुमत का आंकड़ा छुआ जा सकता है।
यह चर्चा चल ही रही थी कि पीडीपी- एनसी-कांग्रेस का तिकोन सामने आ गया। देखना दिलचस्प होगा कि गुरूवार तक क्या राजनीतिक घटनाक्रम होता है। भाजपा भी अपने स्तर पर कोशिश में है और यह भी किसी सूरत में नहीं चाहती कि इस तिकोन गठबंधन की सरकार बन पाए।