नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) में कथित भड़काऊ भाषण देने के मामले में डॉ. कफील खान की मुश्किलें कम नहीं ही रही हैं। जमानत मिलने के बाद रिहाई से पहले ही अब योगी सरकार ने उन पर रासुका लगा दिया है। इससे अब उनका जेल से जल्द बाहर आने का रास्ता लगभग बंद हो चुका है। मथुरा जेल से जमानत पर शुक्रवार को ही रिहा होने वाले थे। देशभर में सीएए के विरोध में रासुका लगाए जाने की यह पहली कार्रवाई है।
डॉ. कफील को सीजेएम कोर्ट से सोमवार को ही जमानत मिली थी, लेकिन उनकी रिहाई नहीं हुई थी। डॉ कफील ने 12 दिसंबर को एएमयू में कथित तौर पर भड़काऊ भाषण दिया था। इसके बाद थाना सिविल लाइंस में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ था। इस मामले में यूपी एसटीएफ ने उन्हें 29 जनवरी को मुबंई एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया था।
इस पर अलीगढ़ के डीएम चंद्रभूषण सिंह ने कहा कि डॉ. कफील खान पर रासुका तामील कर रिपोर्ट गृह मंत्रालय को भेज दी गई है।
क्या है रासुका
रासुका यानी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम-1980 देश की सुरक्षा के लिए सरकार को किसी व्यक्ति को हिरासत में रखने का अधिकार देता है। यह केंद्र और राज्य सरकार दोनों को समान रूप से मिला है। रासुका लगाकर किसी भी व्यक्ति को एक साल तक जेल में रखा जा सकता है। पर, तीन महीने से ज्यादा समय तक जेल में रखने के लिए एडवाइजरी बोर्ड की मंजूरी लेनी पड़ती है। देश की सुरक्षा के लिए खतरा होने और कानून व्यवस्था बिगड़ने की आशंका पर रासुका लगाया जा सकता है।