अजीब बिडम्बना है, कि देश में सबको बचपन से पढ़ाया और रटाया जाता रहा है, कि भारत देश कृषि प्रधान है। किसान के बलबूते पर देश की अर्थ व्यवस्था टिकी हुई है, फिर भी आज देश का किसान अपने अधिकारों के खातिर इस कड़कड़ाती सर्दी में खुले आसमान में 23 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर डटा हुआ है। सरकार की ओर से किसानों को अभी तक सकारात्मक जबाव ना मिलने से किसानों को काफी परेशानी हो रही है।
किसान नेता राकेश टिकैत ने तहलका संवाददाता को बताया कि सरकार जब तक कृषि कानून को वापस नहीं ले लेती है। तब तक तो आंदोलन ये समाप्त नहीं होगा। चाहे तो सरकार उठा कर देख लें।
किसान नेता वीरेन्द्र सिंह वीरू ने बताया कि कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर तामाम दावे करें कि कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को सरकार के इस कानून पर भरोसा नहीं है। वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि आज पूंजीपति इस लिये गोदामों को बनवा रहे है। ताकि किसानों की सस्ती फसल को जमा (जमाखोरी) करके मंहगे दामों में बेंच सकें।उनका कहना है कि आने वाले दिनों में आंदोलन जरूर बड़ा और उग्र होगा। तब सरकार के रोकने से नहीं रूकेगा।