छत्तीसगढ़ राज्य की जनता ने जिस तरह भाजपा को खारिज किया है उससे जाहिर है कि वे इससे मुक्ति पाना चाहते थे। क्षेत्रीय दल राज्य की जनता की ज़रूरतें पूरी कर सकेंगे उस पर भी उन्हें यकीन नहीं था। इसी कारण राज्य के पहले मुख्यमंत्री रहे अजित जोगी की नई पार्टी (जेसीसी (जे)) ने मायावती की बीएसपी से तालमेल किया। इस के बावजूद बहुत कम यानी कुल छह सीटें यह मोर्चो हासिल कर पाया। इनका सीपीआई से भी तालमेल था लेकिन वह भी असरदार नहीं था।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को बड़ी जातियों, ओबीसी वर्ग और दलित-आदिवासियों का वोट मिला। भाजपा को उम्मीद थी कि कांग्रेस के वोट जेसीसी (जे)-बसपा-सीपीआई काटेगी लेकिन कांगे्रस ने इस बार जो रणनीति अपनाई उसे भाजपा समझ नहीं सकी। भाजपा ने 2013 में वादा किया था कि वे किसानों को धान पर रु पए 2,100 मात्र का समर्थन मूल्य देंगे साथ ही धान बोनस बतौर रु पए 300 मात्र। लेकिन किसानों को समर्थन मूल्य तो मिला लेकिन बोनस राशि कभी नहीं मिली। कांग्रेस ने इसका लाभ उठाया। कांगे्रस ने वादा किया कि दस दिन के अंदर सारे कर्ज माफ करेंगे और धान का समर्थन मूल्य रु पए 2,500 मात्र करेंगे। कांग्रेस को ग्रामीण छत्तीसगढ़ का मत मिला।
रमन सरकार में सरकारी अधिकारी और पुलिसकर्मी भी खासे दुखी थे। कांग्रेस ने अपने जन घोष पत्र में ऐसी नाइंसाफी को दूर करने का भरोसा दिया। विपक्ष के नेता के तौर पर टीएस सिंह देव ने पूरे राज्य का दौरा किया और सभी मांगों को मैनिफेस्टों में रु ख छत्तीसगढ़ में शहरी और ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की रैलियों में भी खासी हवा बंधी। कांग्रेस के प्रति छत्तीसगढ़ की जनता में खासा रुझान दिखा।
अंबिकापुर से उम्मीदवार बतौर खड़े टीएस सिंह देव को खास जनसमर्थन मिला। उन्होंने कांगे्रस के चुनाव घोषणा पत्र के साथ पूरे राज्य और अपनी सीट पर खासा प्रचार किया। यह उत्तर छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को 14 में 13 सीटें मिली। कांगे्रस ने दलित-आदिवासी-पिछड़े वर्गों में भी अच्छी पैठ बनाई।
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस जीत के बाद दस दिन में कर्ज माफी का वादा पूरा करेगी। बस्तर जो सेना-पुलिस की कार्रवाई में डेढ़ दो दशक से रोज चर्चा में रहा वहां भी कांगे्रस ने अपनी संख्या बढ़ाई। बस्तर में कांगेे्रेस को 11 सीटें हासिल हुई। बड़े पैमाने पर जंगल काट कर लोगों के घरों को तोड़ कर फसलों में आग लगवा कर ज़मीन जबरन लेकर रमन सिंह सरकार ने सड़के बनवाईं इससे स्थानीय जनता में खासी नाराजगी रही। अब कांग्रेस को इस पूरे इलाके में अपने वादे पूरे करने होंगे समस्याओं का समाधान करने पर जुटना होगा। नक्सलवाद पर कांगे्रस नेताओं का वादा है कि वे समस्याओं को बातचीत के जरिए हल करेंगे। माओवादी ऑपरेशन में कोई बढ़ोतरी नहीं की जाएगी।
भाजपा छत्तीसगढ़ में सरकार से जनता में बढ़ रही ऊब का ठीक-ठाक आकलन समय पर नहीं कर सकी। कांगे्रस ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न समस्याओं को जाना-समझा और उन्हें दुरूस्त करने का आश्वासन दिया। भाजपा सिर्फ भाषणों में उलझी रही। भाजपा की संचार क्रांति योजना, जिसके तहत पचास साल मुफ्त मोबाइल फोन दिए जाने थे वह भी मतदाताओं को नहीं लुभा सके। राज्य में बढ़ती बेरोज़गारी एक खास मुद्दा है। जिस पर कांगे्रस आलाकमान और राज्य कांग्रेस के नेताओं को मिलकर सोचना है।