तमिलनाड के नीलगिरी में हुए हेलिकॉप्टर हादसे में पत्नी और 11 अन्य के साथ जान गंवाने वाले देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत शुक्रवार शाम पंचतत्व में विलीन हो गए। बराड़ स्क्वायर में रावत को नम आंखों के बीच अंतिम विदाई दी गई। उनकी बेटियों ने अंतिम संस्कार की सभी रस्में पूरी कीं।
रावत और उनकी पत्नी की पार्थिव देह को एक ही चिता पर रखकर अंतिम क्रियायें निभाई गईं। बेटियों कृतिका रावत और तारिणी रावत ने अपने माता-पिता की देह को मुखाग्नि दी। सैन्य सम्मान के साथ हुए अंतिम संस्कार के दौरान 17 तोपों की सलामी दी गई। श्रद्धांजलि के बाद जनरल रावत की बेटियों ने रीति के मुताबिक अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में हिस्सा लिया।
दोनों की पार्थिव देह को अंतिम विदाई के लिए घाट पर बनी चिता तक ले जाया गया। जनरल रावत और पत्नी मधुलिका को एक ही चिता पर लिटाया गया। इससे पहले पार्थिव देह को सेना के तीनों अंगों के मिलिट्री बैंड के साथ धौलाकुआं के बरार स्कावयर के लिए रवाना किया गया जहाँ उन्हें श्रद्धांजलि दी गई। श्रद्धांजलि देने वालों में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह सहित कई नेता उपस्थित थे।
दोपहर को 11 से 2 बजे तक जनरल रावत और उनकी पत्नी ही पार्थिव देह उनके सरकारी आवास 3 कामराज मार्ग में अंतिम दर्शन के लिए रखी गईं। जनरल रावत की यूनिट 5/11 गोरखा राइफल्स ने अंतिम संस्कार की सारे व्यवस्था का जिम्मा संभाला।