जनरल मनोज पांडे शनिवार को देश के नए सेनाध्यक्ष बन गए। उन्होंने जनरल एमएम नरवणे के रिटायर होने के बाद 29वें थल सेना प्रमुख के तौर पर पदभार संभाल लिया। उप थल सेना प्रमुख के तौर पर सेवा दे चुके जनरल पांडे सेना की इंजीनियर कोर से सेना प्रमुख बनने वाले पहले अधिकारी हैं।
पहली फरवरी को थल सेना का उप-प्रमुख बनने से पहले मनोज पांडे थल सेना की पूर्वी कमान का नेतृत्व कर रहे थे। कमान पर सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा की रक्षा की जिम्मेदारी है।
जनरल पांडे ने सेनाध्यक्ष का जिम्मा ऐसे समय में संभाला है, जब भारत और चीन के बीच तनाव चल रहा है और पाकिस्तान में नई सरकार ने जिम्मा सभाला है। इन सीमाओं पर सुरक्षा की बड़ी चुनौतियां हैं। सेना प्रमुख के रूप में, उन्हें थिएटर कमांड को तैयार करने की सरकार की योजना पर नौसेना और वायु सेना के साथ समन्वय करना होगा।
भारत के पहले प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत थिएटर कमांड तैयार करने पर काम कर रहे थे, जिनका पिछले साल दिसंबर में हेलीकॉप्टर दुर्घटना में निधन हो गया। अभी यह तय नहीं है कि क्या सरकार जनरल एमएम नरवणे को सीडीएस का जिम्मा देती है या नहीं।
जनरल पांडे अंडमान निकोबार कमान के प्रमुख के तौर पर भी काम कर चुके हैं जो भारत में तीनों सेनाओं की एकमात्र कमान है। पांडे राष्ट्रीय रक्षा अकादमी के पूर्व छात्र हैं और उन्हें दिसंबर 1982 में कोर ऑफ इंजीनियर्स (द बॉम्बे सैपर्स) में शामिल किया गया था।
करियर में जनरल पांडे ने आतंकवाद रोधी अभियानों में हिस्सा लेने के अलावा जम्मू कश्मीर में ऑपरेशन पराक्रम के दौरान नियंत्रण रेखा के पास एक इंजीनियर रेजिमेंट की कमान भी संभाली है। वे पश्चिमी लद्दाख के ऊंचाई वाले इलाकों में एक पर्वतीय डिवीजन और पूर्वोत्तर में एक कोर की भी कमान संभाल चुके हैं।