टीम अन्ना के अहम सदस्य प्रशांत भूषण प्रखर जैन को बता रहे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन में अरविंद केजरीवाल की भूमिका हमेशा से बड़ी रही है इसलिए वे अनशन पर बैठे हैं. इसमें टकराव जैसी कोई बात नहीं है
पिछली बार आपकी मांग सिर्फ लोकपाल तक सीमित थी. इस बार आप एसआईटी और मंत्रियों के खिलाफ जांच की मांग भी कर रहे हैं. आपने अपना दायरा और फैला लिया है.
बिल्कुल, हमने लक्ष्य बदल दिया है. हम जन लोकपाल चाहते हैं. यह आंदोलन लोकपाल की जरूरत को रेखांकित करता है. हालांकि हमें पता है कि वे इतनी आसानी से लोकपाल नहीं लाएंगे.
क्या आपके पास ऐसी कोई पुख्ता जानकारी है कि सरकार लोकपाल बिल हाल-फिलहाल नहीं लाने वाली?
हम 15 मंत्रियों के खिलाफ जांच चाहते हैं. इस देश के भविष्य के लिए यह जरूरी है. इन मंत्रियों को हटाए बिना लोकपाल नहीं मिलेगा हमें.
क्या ये वही मंत्री हैं जिन्होंने लोकसभा में लोकपाल बिल पेश किया था और इसे कानूनी शक्ल देने की कोशिश की थी?
उन लोगों ने संसद में जो बिल पेश किया था वह भ्रष्ट जनसेवकों को जेल भेजने के बजाय उन्हें सुरक्षा प्रदान करने वाला था.
इस बार अरविंद केजरीवाल बड़ी भूमिका तलाश रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि अन्ना अरविंद के ही इशारे पर काम करते हैं.
केजरीवाल शुरुआत से ही इस पूरे आंदोलन के सूत्रधार रहे हैं. उनकी हमेशा से बड़ी भूमिका रही है. इस बार हमने अन्ना के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए उनसे उपवास न रखने का अनुरोध किया था. हालांकि उन्होंने चार दिन बाद से उपवास शुरू करने पर जोर दिया.
क्या एनसीपीआरआई और अरुणा रॉय जैसे दूसरे संगठनों और सिविल सोसाइटी के लोगों को साथ लाने की कोशिश हुई है?
हम एक-एक एनजीओ के पास तो जा नहीं सकते हैं लेकिन हमने अपना संदेश सब तक पहुंचाने की कोशिश जरूर की है. यह एक साथ मिलकर काम करने का मामला नहीं है लेकिन आप देखेंगे कि वे लोग भी हमारा समर्थन कर रहे हैं.
पिछले छह महीने के दौरान, लोकसभा में बिल पास हो जाने के बाद आप लोगों ने सरकार की आलोचना कम कर दी है. क्या यूपीए के प्रति आपके रुख में नरमी आ गई है?
हमने सरकार के 15 मंत्रियों को भ्रष्ट बता कर सरकार के प्रति अपना कठोर रवैया पहले ही जाहिर कर दिया है. हम सरकार में फैले भ्रष्टाचार का मुद्दा उठा रहे हैं. क्या मीडिया के हद से ज्यादा हस्तक्षेप ने आम लोगों में लोकपाल का आकर्षण कम किया है? क्या इसी वजह से कम लोग आ रहे हैं? ऐसा नहीं है. धीरे-धीरे लोगों की समझ में आने लगा है कि सरकार लोकपाल लाना ही नहीं चाहती. लोगों को समझ आने लगा है कि अगर उन्होंने आगे बढ़कर चीजों को अपने हाथ में नहीं लिया, अगर वे खड़े नहीं हुए तो देश गर्त में चला जाएगा.
पिछले एक साल के अनुभवों से आपने जो सीखा है उससे अलग अब क्या करेंगे ताकि लोकपाल का सपना वास्तविकता में बदल सके?
इस बार हम नई बात कह रहे हैं कि मंत्रिमंडल का बड़ा हिस्सा भ्रष्ट है. इनसे बचने के लिए हमें लोकपाल की जरूरत है. इसी वजह से सरकार लोकपाल लाने में आनाकानी कर रही है.
यही बात टीम अन्ना के बारे में कही जा सकती है. पहले एक विस्तृत कमेटी हुआ करती थी. अब एक कोर कमेटी है. फैसले लेने का अधिकार कुछेक सदस्यों के हाथ में सिमट गया है. इस वजह से कई सदस्य साथ छोड़ चुके हैं.
कई नहीं, कुछेक लोग गए हैं. फैसला तो हमेशा कुछ लोग ही लेते हैं; इसके बाद ही कोर कमेटी इस पर ठप्पा लगाती है. टीम के बीच इसे लेकर कोई मतभेद नहीं है.
आंदोलन से बाबा रामदेव के जुड़ाव का क्या अर्थ है?
हमने हमेशा कहा है कि हम काले धन के खिलाफ चल रहे अभियान का समर्थन करते हैं. बाबा रामदेव भी जन लोकपाल आंदोलन का समर्थन करते हैं.