केंद्र सरकार द्वारा आरटीआई कानून में किए गए संशोधन से नाराज वरिष्ठ सामाजिक नेता अन्ना हजारे नाराज दिख रहे हैं ।उन्होंने इस संशोधन को देश के नागरिकों के साथ धोखा करार दिया है।
अन्ना हजारे ने कहा किसी कानून का मसौदा तैयार करते समय सरकार को जनता की राय लेनी चाहिए। बिना जनता की राय लिए मसौदा और कानून दोनों को केवल सरकार बनाएगी तो यह लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही है। उन्होंने कहा कि 2005 में देश को सूचना का अधिकार मिला था उसमें संशोधन की कोई आवश्यकता नहीं थी ।वह अपने आप में एक मुकम्मल अधिकार था जो हिंदुस्तान की जनता को मिला था लेकिन कानून में संशोधन कर सरकार देश की जनता को धोखा दे रही है।
अन्ना ने कहा इसके पहले भी अन्य सरकार द्वारा आरटीआई कानून को कमजोर करने की कोशिश की गई थी लेकिन उस वक्त उन्होंने आंदोलन किया जिसके चलते कानून बना रहा और जनता के हाथ अधिकार बना रहा। सरकार द्वारा आरटीआई कानून में संशोधन के खिलाफ अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने कहा कि यदि देश के लोग आरटीआई कानून की स्वायत्तता बनाए रखने के लिए सड़कों पर उतरने तैयार हैं तो वह उनका एक बार फिर साथ देंगे हालांकि उनका स्वास्थ्य ठीक नहीं है।