कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर सात महीने से डटे किसानों के आंदोलन को आठ महीने पूरे हो चुके हैं। इस दौरान बराबर की साझेदार रहीं महिलाएं जंतर-मंतर पर सोमवार को किसान संसद का संचालन कर रही है। आधी आबादी इस दौरान भारतीय कृषि व्यवस्था और आंदोलन को लेकर अपनी बेबाक राय रख रही है।
देश की राजधानी के ऐतिहासिक धरना स्थल जंतर-मंतर पर किसान संसद में शामिल होने के लिए आज कई राज्यों से महिला किसान मोर्चे पर पहुंची हैं। किसान संसद के तीन सत्र के दौरान महिलाएं कृषि कानून, खासकर मंडी एक्ट पर अपने विचार रखेंगी। किसान संसद के तीन सत्रों की अध्यक्षता की जिम्मेवारी तीन महिला प्रतिनिधियों को सौंपी गई है।
संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से बताया गया कि महिला किसान संसद में 200 किसान प्रतिनिधि शामिल है। इनमें पंजाब की 100 जबकि अन्य राज्यों की 100 अन्य महिला प्रतिनिधि शामिल है । इस दौरान तीन सत्रों में अध्यक्ष और उपाध्यक्ष भी महिलाएं ही है।
इसमें नए कृषि कानूनों से किसानों के साथ ही उपभोक्ताओं यानी आम लोगों पर क्या असर होने वाला है, इस पर भी चर्चा की जायेगी ।
किसानों की मौत का आंकड़ा न होने पर सरकार की निंदा
संयुक्त किसान मोर्चा ने केंद्र सरकार की ओर से किसानों की मौत का आंकड़ा न होने के बयान की निंदा की है। पंजाब सरकार ने पंजाबी प्रदर्शनकारियों की मौत की आधिकारिक संख्या 220 रखी है, लेकिन मोर्चा ने इस संख्या की पुष्टि नहीं की है। मोर्चा का कहना है कि किसान आंदोलन के दौरान अब तक 540 किसान जान गंवा चुके हैं।