किसानों का कहना है, कि सरकार तमाम दावे करें, कि नये कृषि कानून किसान के हित में है। लेकिन किसानों को नये कानून में किसान विरोधी साजिश दिखती है। किसानों ने नोएड़ा में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान तहलका संवाददाता को बताया। किसान जोगेद्र सिंह और जगतनारायण ने बताया कि सरकार छल ,बल और दल के दम पर किसानों के आंदोलन को कुचलने का प्रयास कर रही है। लेकिन किसानों का आंदोलन कम होने के बजाय बढ़ेगा।
जगतनारायण का कहना है कि ना जाने क्यों, क्या ऐसी जरूरत सरकार को पड़ी, कि कृषि कानून को थोप कर किसानों को दबाया और धमकाया जा रहा है।उन्होंने कहा कि आंदोलन के दौरान किसानों की मौत हो रही है। और सरकार सो रही है। किसान आत्म हत्या कर रहे है। तो भी सरकार कोई ध्यान नहीं देती है। लेकिन पूंजी पतियों को कैसे लाभ मिले और किसानों की जमीन को कैसे पूंजी पतियों को सौपीं जाये । उस पर सरकार तुरन्त कानून बनाती है। लेकिन किसानों की सुनवाई के लिये कोई समय नहीं है। बल्कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा रहा है। जगतनारायण ने बताया कि किसानों के संगठन को तोड़ा जा सकता है, लेकिन किसानों को नहीं । इसलिये किसान आंदोलन करते रहेगे। वो भी तब तक जबतक कानून वापस नहीं हो जाता है।