अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के तेवर एकदम बदले हुए थे। बिना किसी दुराव- छिपाव के उन्होंने बड़ी ही शालीनता से अपनी बात सदन में रखी। वे तकरीबन 50 मिनट बोले। उनके भाषण के दौरान टोका-टाकी, शोर और खिसियाई हंसी के बावजूद अपनी बात रखने से राहुल नहीं चूके।
उन्होंने अपने भाषण में किसानों, दलितों और महिलाओं के साथ ही छोटे उद्योगों, बेरोजगारी और भ्रष्टाचार पर सबका ध्यान खींचा। राहुल ने अपने भाषण में कहा कि रक्षामंत्री ने कहा था कि वे देश को राफेल हवाई जहाज का दाम बताएंगी। लेकिन फिर उन्होंने कहा कि करार के चलते वे ऐसा नहीं कर सकती। जबकि फ्रांस के राष्ट्रपति ने मुझसे कहा कि ऐसा कोई करार भारत पाक के बीच है ही नहीं।
प्रधानमंत्री का कुछ कारोबारियों के साथ अच्छे संबंध है। तो खर्च प्रधानमंत्री की मार्केटिंग में लगता है वह कौन उठाता है, यह सभी जानते हैं। चुनाव बाद ऐसे कारोबारियों को ही फिर हजारों करोड़ रुपए का लाभ मिलता है।
जुमले याद कीजिए- पहला था, हर व्यक्ति के खाते में 15 लाख रुपए मात्र आएंगे। दूसरा था,दो करोड़ युवाओं को रोज़गार मिलेगा। लेकिन पांचवा साल शुरू हो गया किसी को कुछ भी नहीं मिला।
दलितों-आदिवासियों पर अत्याचार होते हैं तो प्रधानमंत्री कुछ नहीं बोलते। उनके सहयोगी मंत्री ही हमलावरों को जाकर हार पहनाते हैं।
अपने आलोचकों द्वारा उन्हें हंसी का पात्र बनाने के लिए इस्तेमाल किए जा रहे शब्दों का भरे सदन में उन्होंने उल्लेख भी किया। उन्होंने खुद को शिवभक्त और हिंदू भी बताया। उन्होंने अपने भाषण और पूरे बॉडी लैंग्वेज से यह जता दिया कि वे मुद्दों पर भाजपा और आरएसएस का विरोध करते रहे हैं। उनके दिल में किसी के लिए कोई बैर नहीं है।
मेरे दिल में पीएम के खिलाफ गुस्सा या नफरत नहीं है। मैं तो पीएम, भाजपा और आरएसएस के प्रति आभारी हंू जिन्होंने मुझेे हिंदुस्तानी होने का अर्थ समझाया। वे लाठी मारें या झूठ बोलें लेकिन देश के प्रति प्यार होना चाहिए। आपने मुझे हिंदू होने का मतलब समझाया। आपका धन्यवाद। यह हमारे देश का इतिहास है। आपके लिए मैं पप्पू हंू। लेकिन मेरे दिल में आपके लिए नफरत नहीं है। मैं कांग्रेस हूं। आपके दिल से नफरत बाहर निकालूंगा। आप सबको कांग्रेस में बदलूंगा।
राहुल ने कहा, देश में जिस किसी को उठाकर पीट दिया जाता है पीएम चुप रहते हैं। उन्होंने कहा जब ऐसी बात होती है तो फजऱ् बनता है, देश को बताएं। सत्ता के शोर के बावजूद राहुल ने बोलना जारी रखा, जब भी किसी को पीटा कुचला जाता है तो यह अंबेडकर के संविधान पर हमला होता है। जब आपके मंत्री संविधान बदलने की बात करते हैं, तो देश के संविधान की ‘इंसल्टÓ करते हैं। हम ऐसा नहीं होने देंगे।
कुछ ही दिन पहले एक नया जुमला सुनने मे आया। यह एमएसपी का जुमला था। प्रधानमंत्री ने पूरे देश में दस हजार करोड़ मात्र का फायदा दिया। कर्नाटक की सरकार ने सिर्फ एक प्रदेश में 34 हजार करोड़ का फायदा दिया। किसान कहता है, प्रधानमंत्री जी हिंदुस्तान के सबसे अमीर लोगों का ढाई लाख करोड़ का कजऱ् माफ किया। हमारा भी थोड़ा कजऱ् माफ कीजिए। लेकिन वित्तमंत्री कहते हैं नहीं, किसानों का कर्जा माफ नहीं होगा।
‘सोशल मीडिया पर विपक्ष को ऑफेंसिव होकर जवाब देंÓ
विपक्ष जब भी सोशल मीडिया पर भाजपा के खिलाफ बोले तो कार्यकर्ता और नेता आफेंसिव होकर उसका जवाब दें। यह कहना है उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत का। उन्होंने कहा विपक्ष सरकार को बदनाम करने के लिए सोशल मीडिया पर तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। जिसका मुकाबला पार्टी कार्यकर्ताओं को करना है। हमारा साथ 2014 के लोकसभा चुनाव में सोशल मीडिया ने भी दिया। लेकिन जनता दरबार में व्यापारी की खुदकुशी और शिक्षिका उत्तरा के मामलों के सकारात्मक संदेश भाजपा पार्टी के कार्यकर्ता नहीं पहुंचा सके।
बूथ मजबूती व लोकपर्वों में कार्यकर्ताओं का मेलमिलाप बढ़े
भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा गया है कि वह एक-एक बूथ के मतदाताओं से लगातार संपर्क रखें। हर एक बूथ के मतदाता का डाटा मोबाइल पर हो। भाजपा सरकार की योजनाओं को मतदाताओं के वे बता सकें।
उत्तराखंड में और दूसरे प्रदेशों में छोटे-बड़े सभी लोकपर्वों में भाजपा कार्यकर्ता बढ़-चढ़ कर हिस्सा लें। इससे अपनत्व बढ़ सकेगा। उत्तराखंड सरकार के कामों को भाजपा कार्यसमिति की दो दिन की काशीपुर में हुई बैठक में मंजूरी मिल
गई।
१५ साल बाद आया अविश्वास प्रस्ताव
भारतीय संसद के इतिहास में मोदी सरकार के दौर में पेश अविश्वास प्रस्ताव 27वां है। जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थी तो 15 बार अविश्वास प्रस्ताव आया। दो प्रस्ताव लालबहादुर शास्त्री के प्रधानमंत्री होने के दौरान, दो मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्रित्व में और तीन पीवी नरसिंहराव के प्रधानमंत्री रहने पर। राजीव गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी को भी नरेंद्र मोदी की तरह एक-एक अविश्वास प्रस्ताव का सामना करना पड़ा।
पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहरलाल नेहरू के प्रधानमंत्रित्व में जेबी कृपलानी ने रखा था। सोनिया गांधी ने 2003 में अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया। तब वाजपेयी सरकार ने इस्तीफा दिया। मोरारजी देसाई ने 1979 में अधूरी बहस के दौरान ही इस्तीफा दे दिया था।
फसलों के बढ़े न्यूनतम समर्थन मूल्य की जानकारी किसानों को दें
केंद्र सरकार ने फसलों के बढ़े न्यूनतम समर्थन मूल्य की घोषणा की है वह ऐतिहासिक है। उत्तराखंड सरकार यह व्यवस्था करेगी कि राज्य में वह अमल में आती दिखे। इससे किसानों के घर-घर जाकर कार्यकर्ताओं को बताना चाहिए।
कांगे्रस ने रविवार को अहम बैठक में लोकसभा की 300 सीटों पर जीत की रणनीति बनाई है। एनडीए के खिलाफ रणनीतिक गठबंधन होगा। लेकिन शर्त होगी नेतृत्व राहुल गाधी को और केंद्र में कांग्रेस।
चिदंबरम का मानना है कि 12 राज्यों में कांग्रेस मजबूत है। अगर अपनी क्षमताओं में तीन गुना इजाफा करे तो 150 सीटें मिल सकती हैं। दूसरे राज्यों में गठबंधन से 150 सीटें मिल सकती हंै।
राहुल का चेहरा और केंद्र में कांग्रेस की वकालत सचिन पायलट, शक्तिसिंह गोहील और रमेश ने की। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं में जनार्दन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह इस बैठक में नहीं दिखे। इन्हें राहुल ने नई सीडब्लूसी में शामिल नहीं किया। हालांकि इन्हें न्यौता गया। सोनिया गांधी मनमोहन वरिष्ठ सदस्य है। इस साल के विस चुनाव 2019 की लोकसभा के लिए पार्टी की कोर टीम गाठित होगी। पिछले दिन 31 सदस्यों की कार्यसमिति गठित हुई थी जिसमें 23 सदस्य 18 स्थाई आमंत्रित और दस विशेष आमंत्रित सदस्य थे। पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस की कमान राहुल ने संभाली अनुभवी युवा नेताओं में संतुलन रखने की कोशिश की
पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा 2022 तक किसानों की आमदनी दो गुनी करने के लिए कृषि क्षेत्र में 14 फीसद सवृद्धि दर की दरकार है जो कहीं दिखती नहीं। सोनिया ने कहा नरेंद्र मोदी की भाषण शैली में अब मायूसी नज़र आती है इससे लगता है उलटी गिनती शुरू हो गई है।
राहुल ने नई कांग्रेस कार्यकारिणी समिति (सीडब्लूसी) की पहली बैठक में पार्टी कार्यकर्ताओं से देश के दलितों और गरीबों के लिए लडऩे का आग्रह किया। उन्होंने कांग्रेस को भारत की आवाज बताते हुए कहा कि पार्टी पर भविष्य और वर्तमान की जिम्मेदारी है। सीडब्लूसी के पास अनुभव और ऊर्जा है यह अतीत वर्तमान और भविष्य के बीच एक सेतु है।