सर्वोच्च न्यायालय ने कर्नाटक के बागी विधायकों को अयोग्य ठहराने का विधानसभा अध्यक्ष का फैसला सही ठहराया है, हालांकि, उन पर २०२३ तक चुनाव न लड़ने की पाबंदी के फैसले को पलटते हुए इन विधायकों को चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी है। साथ ही कोर्ट ने राजनीतिक दलों में नैतिकता को लेकर भी कड़ी टिप्पणी की है और कहा है कि यह तमाम दलों के लिए लागू होती है।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से विधायकों ही नहीं भाजपा को भी राहत मिली है, जिसने कांग्रेस-जेडीएस के विधायकों के बागी हो जाने के बाद सरकार गिर जाने से अपनी सरकार बनाई थी। यदि विधायकों को दुबारा चुनाव की पाबंदी लगी रहते तो भाजपा के लिए बड़ा सिरदर्द हो सकता था।
अपने फैसले में सर्वोच्च अदालत ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष विधायकों की सदस्यता रद्द करने का अधिकार रखते हैं लेकिन वे किसी के चुनाव लड़ने पर अनिश्चितकाल के लिए रोक नहीं लगा सकते। लिहाजा जो विधायक अपनी सदस्यता खो बैठे थे, वे चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस के १४ और जेडीएस के ३ विधायक अदालत में गए थे अब यह ५ दिसंबर के उपचुनाव में हिस्सा ले सकेंगे।