दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष ने आरोप लगाया था कि दिल्ली में चुनाव के समय गन्दे पानी की आपूर्ति की जा रही थी और इसे एक राजनीतिक साज़िश करार दिया था। दिनेश मोहनिया ने बयान में कहा था- ‘दिल्ली में सप्लाई किया जाने वाला पानी दूसरे राज्यों से आता है, जिसमें हरियाणा सबसे बड़ा स्रोत है। चुनावों की घोषणा के बाद से हरियाणा से आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा बहुत बढ़ गयी है। इससे दिल्ली के कई हिस्सों में पानी की आपूर्ति प्रभावित हुई है। क्योंकि हरियाणा में भाजपा का शासन है, चुनाव के दौरान ये घटनाक्रम एक राजनीतिक साज़िश है।’
हरियाणा के मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार अमित आर्य ने मोहनिया के इस बयान को गलत बताते हुए कहा है- ‘यह राज्य की छवि को खराब करने का प्रयास था। आर्य ने यह भी कहा कि दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के पूर्व में लगाये गये ऐसे ही आरोप केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने निराधार पाये थे।’
विशेषज्ञों के अनुसार, अमोनिया की ज़्यादा मात्रा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के कामकाज को प्रभावित कर सकती है; क्योंकि वे 0.7 पीपीएम से अधिक अमोनिया वाले पानी को साफ करने में असमर्थ होते हैं। पानी में अमोनिया की बढ़ती उपस्थिति दोनों राज्यों के बीच एक ज्वलंत मुद्दा है; विशेष रूप से जनवरी और मार्च के बीच नदी में बहने वाले पानी की मात्रा आवश्यक पारिस्थितिक (इकोलॉजिकल) प्रवाह की तुलना में बहुत कम होती है। कई रिपोर्ट और विशेषज्ञों के अनुसार, पानीपत औद्योगिक क्षेत्र से नदी में प्रदूषकों का बड़ा हिस्सा मिल जाता है। अधिकारियों के मुताबिक, दो जल उपचार संयंत्र – चंद्रावल और वज़ीराबाद – प्रदूषकों के कारण अपनी क्षमता से आधी मात्रा में ही पानी उत्पादित करने में सक्षम थे। यह कमी रोजाना लगभग 100 मिलियन गैलन थी। डीजेबी करीब 1,200 एमजीडी की माँग के विपरीत 940 एमजीडी पानी की ही आपूर्ति करता है।
दिनेश मोहनिया ने आरोप लगाया कि पिछले कुछ दिन से दिल्ली में पानी की समस्या फिर शुरू हो गयी है। भाजपा शासित हरियाणा से आने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा अधिक होती है। अमोनिया का स्तर लगातार 8 जनवरी को 1.2 पीपीएम से 9 को 1.8 पीपीएम जबकि 10 जनवरी को 2.7 पीपीएम। इसके कारण, दिल्ली जल बोर्ड सामान्य उत्पादन की तुलना में 100 एमजीडी कम पानी का उत्पादन ही कर पाया।
चुनावों के दौरान हरियाणा से सप्लाई होने वाले पानी में अमोनिया की मात्रा में अचानक वृद्धि किसी तरह के राजनीतिक षड्यंत्र का संकेत देती है। भाजपा अक्सर दिल्ली जल बोर्ड पर शहर में गंदे पानी की आपूर्ति का आरोप लगाती है। डीजेबी के वाइस चेयरमैन ने कहा कि मैं सभी को बताना चाहता हूँ कि दिल्ली में जो पानी की आपूर्ति की जा रही है, वह भाजपा शासित राज्यों से आता है। उनके मुताबिक, दिल्ली में गंदे पानी की लगातार शिकायतों के पीछे एक बड़ा कारण हरियाणा के पानीपत औद्योगिक क्षेत्र से अपशिष्ट, सीवेज और दूषित पानी की आपूर्ति है।
मोहनिया ने आरोप लगाया कि इस समस्या के कारण, चंद्रावल और वज़ीराबाद में दिल्ली जल बोर्ड के दो बड़े संयंत्र अपनी क्षमता का केवल आधा उत्पादन करने में सक्षम हैं और परिणामस्वरूप दिल्ली में पानी की आपूर्ति प्रभावित हो रही है। उन्होंने कहा कि क्योंकि पानी का पूरी तरह से दिल्ली में उत्पादन नहीं हो रहा है, दिल्ली जल बोर्ड मध्य और दक्षिण दिल्ली के कुछ क्षेत्रों में पानी की आपूर्ति योजना के मुताबिक करने में सक्षम नहीं है। उनका कहना है कि चुनाव से ठीक पहले इस तरह के घटनाक्रम किसी के भी मन में संदेह पैदा करते हैं। इस संदेह का कारण यह है कि एक तरफ भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार में केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने दिल्ली जल बोर्ड पर दिल्ली में गंदे पानी की आपूर्ति का आरोप लगाया था और दूसरी तरफ दूषित पानी भाजपा शासित हरियाणा से सप्लाई किया जा रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा अक्सर दिल्ली जल बोर्ड पर शहर में गंदे पानी की आपूर्ति का आरोप लगाती है। मैं सभी को बताना चाहता हूँ कि दिल्ली में जो पानी सप्लाई किया जा रहा है वह भाजपा शासित राज्यों से आता है। नवंबर में भी दिल्ली के पानी की गुणवत्ता पर विवाद उठा था, जब भारतीय मानक ब्यूरो की एक रिपोर्ट में कहा गया था कि दिल्ली के विभिन्न स्थानों से पानी के सभी 11 नमूने, जिसमें कृषि भवन और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के घर भी शामिल हैं, फेल हो गये।
सर्वे को लेकर मोहनिया ने कहा कि इस संदेह का कारण यह है कि एक तरफ पासवान ने डीजेबी पर गंदे पानी की आपूर्ति करने का आरोप लगाया, और दूसरी ओर भाजपा शासित हरियाणा से दूषित पानी की आपूर्ति की गयी। दिल्ली में पानी की आपूर्ति हमेशा एक किसी न किसी विवाद से जुड़ी रही है। कुछ समय पहले हरियाणा की मुनक नहर से दिल्ली तक पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय ने एक निगरानी समिति का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता सेवानिवृत्त न्यायाधीश इंदरमीत कौर ने की थी। उच्च न्यायालय ने दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को निरीक्षण दल में सम्बन्धित विभागों से तीन और व्यक्तियों को नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था। यह विचार उन कमियों और चुनौतियों को उजागर करने के लिए था, जो दिल्ली को पर्याप्त पानी की आपूर्ति को रोकती हैं और यह भी कि क्या हरियाणा जानबूझकर पानी को रोकता है। दिल्ली सरकार ने हरियाणा पर आरोप लगाया था कि वह दिल्ली को उसके हिस्से के हिसाब से पानी जारी नहीं कर रहा, जबकि हरियाणा का कहना था कि वे स्वीकृत 719 क्यूसेक के मुकाबले 1049 क्यूसेक पानी की आपूर्ति कर रहा है। हरियाणा ने अपनी नाराज़गी व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी दिलचस्पी केवल आम आदमी को पानी उपलब्ध कराने में है।
न्यायालय ने हरियाणा को अपने 2014 के आदेश का पालन करने के लिए कहा, जिसमें राज्य को दिल्ली को पर्याप्त पानी उपलब्ध कराने के लिए कहा गया था। अदालत ने 25 मई को हरियाणा सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि राष्ट्रीय राजधानी में पानी की आपूर्ति बिना किसी बाधा के की जाए। अदालत ने यह तब कहा जब उसे बताया गया कि यमुना नदी पर बाँध बनाये गये हैं और वहाँ कई जगह खनन गतिविधियाँ भी होते हैं। अदालत का आदेश डीजेबी की तरफ से दायर एक याचिका पर आया, जिसमें दिल्ली के लिए पर्याप्त पानी की आपूर्ति की माँग की गयी थी। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति एजे भंभानी की पीठ ने अपने आदेश में कहा कि वहाँ (हरियाणा) से दिल्ली तक पानी के प्रवाह में कोई बाधा नहीं होनी चाहिए।
यह निर्देश तब आये जब, दिल्ली के लिए पानी लाने वाली नहरों में बँध डाले गये हैं या नहीं, इसका निरीक्षण करने के लिए उच्च न्यायालय की गठित एक समिति ने पीठ को बताया कि यमुना पर 11 स्थानों पर ऐसे अवरोध पाये गये। समिति, जिसमें उच्च न्यायालय की सेवानिवृत्त न्यायाधीश इंदरमीत कौर, एमिकस क्यूरी राकेश खन्ना और सेवानिवृत्त अतिरिक्त मुख्य सचिव निवेदिता हरन शामिल थे; ने एक रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें कहा गया था कि बन्ध डालने के अलावा यमुना और इसकी सहयोगी नदी सोम्ब के में बड़े पैमाने पर खनन हुआ है। रिपोर्ट में कहा गया कि यमुना में पानी के प्रवाह को बन्ध ने बुरी तरह प्रभावित किया है। मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि दिल्ली में वर्तमान में 1,113 एमजीडी की कुल अनुमानित माँग में 200 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) की कमी है।