विपक्ष की तरफ से चुनाव आयोग के रोल पर लगातार सवाल उठाने के क्रम के बीच अब आयोग में ही घमासान मच गया है। चुनाव आयोग की ओर से पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह को आचार संहिता उल्लंघन के मामलों में ”क्लीन चिट” देने पर असहमति दर्ज़ करने वाले चुनाव आयुक्त अशोक लवासा ने आयोग की बैठकों में जाना छोड़ दिया है। उधर केंद्रीय चुनाव आयोग के सदस्यों में मतभेद की रिपोर्ट्स को खारिज करते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने कहा कि ”चुनाव आयुक्तों से यह उम्मीद नहीं की जाती है कि वे एक-दूसरे के क्लोन बन जाएं।”
चुनाव आयोग को अशोक लवासा के कथित पत्र पर बयान जारी करते हुए अरोड़ा ने कहा कि चुनाव आयोग के तीन सदस्य एक-दूसरे के क्लोन तो नहीं हो सकते हैं। ”पहले भी ऐसा कई बार हुआ है जब विचारों में मतभेद देखने को मिले हैं। ऐसा हो सकता है। ऐसा होना भी चाहिए।”
गौरतलब है कि कुछ मीडिया रिपोर्ट में कहा गया है कि चुनाव आयुक्त लवासा ने हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त को एक पत्र लिखकर अपना विरोध दर्ज कराते हुए कहा है कि जब तक उनके असहमति वाले मत को ऑन रिकॉर्ड नहीं लिया जाएगा तब तक वह आयोग की किसी भी बैठक में हिस्सा नहीं लेंगे।
रिपोर्ट के मुताबिक, पीएम मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के खिलाफ मिली शिकायतों की जांच के लिए गठित की गई समिति में मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, अशोक लवासा और सुशील चंद्रा शामिल थे। इन मामलों में चुनाव आयुक्त लवासा का मत अन्य दोनों सदस्यों से अलग था और वह उन्हें आचार संहिता के उल्लंघन के दायरे में मान रहे थे। लेकिन बहुमत से किये फैसले में आचार संहिता का उल्लंघन नहीं मानते हुए ”क्लीनचिट” दी गई थी।
कहा गया है कि लवासा चाहते थे कि उनका मत रिकॉर्ड पर लिया जाए, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके चलते विरोध में लवासा ने ४ मई से आयोग की बैठक खुद को अलग कर लिया। मुख्य चुनाव आयुक्त को लिखे पत्र में लवासा ने कहा है कि वह बैठकों में तभी आएंगे जब आदेश में बहुमत से लिए फैसले के साथ अल्पसंख्यक मत यानी एक सदस्य की राय को भी रिकॉर्ड पर लाया जाएगा।
उधर चुनाव आयोग के सदस्यों के बीच इस विवाद पर देश के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के प्रमुख प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा – ”चुनाव आयोग मोदीजी का पिट्ठू बन चुका है। अशोक लवासाजी की चिट्ठी ये साफ है सीईसी और उनके सहयोगी लवासाजी का जो भी मत है मोदीजी और अमित शाह को लेकर उसको भी रिकॉर्ड करने को तैयार नहीं हैं।”
इधर मुख्या चुनाव आयुक्त ने विवाद की ख़बरें मीडिया के बीच आने के बाद कहा – ”आज मीडिया में चुनाव आयोग की आंतरिक कार्यप्रणाली पर ख़बरें आई हैं। इस विवाद को टाला भी जा सकता था। मैं जरूरत पड़ने पर व्यक्तिगत रूप से कभी भी डिबेट से नहीं कतराता हूं लेकिन हर किसी चीज का एक समय होता है। यह बातें ऐसे समय में आई हैं जब सभी सातवें और आखिरी चरण के चुनाव की तैयारी में जुटे हैं।”