ताइवान पर लगातार हमलावर तेवर अपनाए हुए चीन को लेकर भारत ने अपना रुख साफ़ करते हुए शनिवार को कहा कि यदि चीन सीमावर्ती क्षेत्र में शांति भंग करता है तो इसका असर द्विपक्षीय संबंधों पर पड़ेगा। भारत ने कहा कि चीन के साथ हमारी 15 दौर की बातचीत हुई है, हालांकि, अभी कुछ क्षेत्र हैं जहाँ वे पीछे नहीं हटे हैं।”
विदेश मंत्री जयशंकर ने पीईएस विश्वविद्यालय के छात्रों के एक कार्यक्रम में कहा कि चीन के साथ संबंधों को लेकर कहा – ‘मैंने पिछले दो साल में कहा है और 2022 में भी कह रहा हूं कि हमारे संबंध सामान्य नहीं। यदि सीमा पर स्थिति सामान्य नहीं है तो यह (संबंध) सामान्य नहीं रह सकते और सीमा की स्थिति अभी सामान्य नहीं है।’
जयशंकर ने कहा – ‘अभी भी कुछ क्षेत्र हैं जहां वे पीछे नहीं हटे हैं। हालांकि, हम लगातार इस रुख पर कायम हैं कि अगर चीन सीमावर्ती इलाकों में शांति भंग करता है, तो इसका संबंधों पर असर पड़ेगा। कमांडर स्तर पर हमारी 15 दौर की बातचीत हुई है। दोनों पक्षों के उन स्थानों से पीछे हटने के संदर्भ में कुछ महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जहां वे बहुत करीब हैं।’
विदेश मंत्री ने स्वीकार किया कि सीमा की स्थिति एक बड़ी समस्या बनी हुई है क्योंकि सेना पिछली दो सर्दियों से वहां डटी हुई है। उन्होंने कहा कि यह बहुत तनावपूर्ण स्थिति है और यह एक खतरनाक स्थिति भी हो सकती है इसलिए हम बातचीत कर रहे हैं। जयशंकर ने कहा कि चीन जैसी क्षेत्रीय शक्ति महाशक्ति बनने की राह पर हो तो भारत को इससे होने वाले ‘अस्थिरतापूर्ण बदलावों’ के लिए तैयार रहना होगा।
चीन-ताइवान तनाव पर जयशंकर ने कहा – ‘हिंद महासागर क्षेत्र समेत तटीय क्षेत्रों के आसपास चीन की व्यापक मौजूदगी को देखें तो मेरा मानना है कि इस बारे में भारत को आकलन और मूल्यांकन करना होगा। इसमें हमारी अपनी सुरक्षा पर पड़ने वाला असर भी शामिल है, क्योंकि ऐतिहासिक रूप से हमने चीन को हमेशा हमारे उत्तर में स्थित देश की तरह देखा है। इस स्थिति पर हम नजर रखे रहते हैं।’