पूरी दुनिया की नाराजगी झेल रहे चीन के खिलाफ अब अमेरिका के राज्य की एक अदालत में बुधवार को नोवेल कोरोना वायरस से जुड़ी सूचनाएं दबाने, इस वायरस की जानकारी दुनिया को बताने वालों के खिलाफ गिरफ्तार करने जैसी कार्रवाई करने और दुनिया में इससे हुए इंसानी और आर्थिक नुकसान को लेकर मुकदमा दायर कर दिया गया है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक यह मुक़दमा अमेरिका के सूबे ईस्टर्न डिस्ट्रिक्ट मिसौरी की एक अदालत में मिसौरी के अटॉर्नी जनरल एरिक शिमिट की ओर से दायर किया गया है जिसमें चीन की सरकार, वहां की सत्तारूढ़ चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और अन्य चीनी अधिकारियों के अलावा स्थानीय संस्थानों को पार्टी बनाया गया है। मुकदमे में आरोप लगाया कि दिसंबर के अंतिम हफ्ते तक चीन के स्वास्थ्य अधिकारियों के पास मनुष्यों के बीच संक्रमण के पर्याप्त प्रमाण थे लेकिन इस जानकारी को छिपा लिया गया।
इस मुकदमे दस्तावेजों में आरोप लगाया गया है कि कोरोना वायरस फैलने के शुरू के सप्ताहों में चीनी अधिकारियों ने कथित तौर पर जनता से धोखा किया और उनसे और दुनिया से बहुत अहम जानकारियों को छिपा दिया गया।
इसमें यह भी आरोप लगाया गया है कि चीन सरकार ने ऐसे लोगों को प्रताड़ित किया जिन्होंने कोरोना वायरस की जानकारी को दुनिया के सामने लाने की कोशिश की।
इन लोगों को गिरफ्तार तक किया गया। यही नहीं तमाम सबूत होते हुए भी कोरोना के मनुष्य से मनुष्य में संक्रमण फैलाने के क्षमता से इनकार किया और अहम मेडिकल रिसर्च अनुसंधानों नष्ट कर दिए गए।
चीन पर आरोप लगाया गया है कि लाखों लोगों को संक्रमण से पीड़ित होने दिया गया और इसके इलाज या जांच में काम आने वाले पीपीई किट जैसे उपकरणों को मार्केट में नहीं आने दिया ताकि जमाखोरी हो सके।
अपने मुकदमे में शिमिट ने कहा कि कोविड-१९ ने दुनिया भर में अपूर्णीय क्षति पहुंचाई है। यह इंसानी जिंदगियों से लेकर आर्थिक स्तर तक है। हजारों-हजार लोग मारे गए, लोग प्रियजनों से बिछड़ गए, अगहु उद्योग ठप्प हो गए हैं और करोड़ों लोगों के सामने रोटी का मसला पैदा हो गया है।