बिहार में लोक जनशक्ति पाटी यानी लोजपा में टूट को लेकर लंबी लड़ाई तय है। संस्थापक रामविलास पासवान के भाई पशुपति कुमारपारस और चिराग पासवान के बीच जंग थमने का नाम नहीं ले रही है। बुधवार को लोजपा नेता चिराग पासवान ने अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को लोकसभा में पार्टी के नेता के तौर पर मान्यता दिए जाने का विरोध किया है। साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर कहा कि यह लोजपा के विधान के विरुद्ध है।
पासवान ने लिखा कि उनकी अध्यक्षता में पार्टी ने पारस समेत उन पांच सांसदों को लोजपा से निष्कासित कर दिया है जो उनके खिलाफ एकजुट हुए हैं। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष से अनुरोध किया कि वह अपने फैसले पर पुनर्विचार करें और सदन में उन्हें लोजपा के नेता के तौर पर मान्यता देने का नया परिपत्र जारी करें।
बिहार के जमुई से लोकसभा सदस्य पासवान ने कहा कि लोजपा के संविधान के अनुच्छेद 26 के तहत केंद्रीय संसदीय बोर्ड को यह अधिकार है कि वह यह फैसला करे कि लोकसभा में पार्टी का नेता कौन होगा। ऐसे में पशुपति पारस को संसदीय दल का लोजपा का नेता बनाया जाना हमारी पार्टी के संविधान के प्रावधान के खिलाफ है।
बता दें कि पिदले दिनों लोजपा के छह सांसदों में से पांच ने चिराग पासवान की जगह पारस को अपना नेता चुना था। अब दोनों समूह यह दावा कर रहे हैं कि उनका गुट ही असली लोजपा है। इस पार्टी की स्थापना रामविलास पासवान ने की थी जिनका कुछ महीने पहले निधन हो गया था। वह चिराग पासवान के पिता और पारस के बड़े भाई थे।अब पार्टी में अध्यक्ष पद को लेकर भी जंग शुरू हो चुकी है। मंगलवार को पटना में चिराग समर्थकों ने पारस के आवास काघेराव भी किया गया।