शनिवार तड़के की निराशा के बावजूद अच्छी खबर यह है कि चंद्रयान-२ ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है। वैज्ञानिकों को अभी भारत के मून लैंडर विक्रम की स्थिति और भविष्य में उसके पुनर्जीवित होने को लेकर भले कोई जानकारी नहीं है, उनका यह साफ़ कहना है कि चंद्रयान-२ मिशन का बड़ा हिस्सा अभी काम करने की स्थिति में है।
दरअसल अंतिम समय में संपर्क टूटने से मून लैंडर विक्रम को लेकर स्थति स्पष्ट नहीं है। वैज्ञानिकों को अभी यह जानकारी नहीं है कि यह दुर्घटनाग्रस्त हुआ है या उससे सिर्फ संपर्क टूटा है। यह पता नहीं नहीं कि उसकी क्रैश लैंडिंग हुई या सॉफ्ट लैंडिंग।
करीब ९७८ करोड़ रुपये लागत वाले चंद्रयान-२ मिशन को लेकर अभी पूरी जानकारी सामने आना बाकी है। इस सम्भावना (चमत्कार) से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि यह सुरक्षित लैंड हुआ हो और सिर्फ संपर्क सिस्टम फेल हुआ हो और विक्रम लैंडर जानकारियां भेजनी शुरू कर दे।
वैसे चंद्रयान-२ ऑर्बिटर अभी भी चंद्रमा का सफलतापूर्वक चक्कर काट रहा है। इसमें करीब २९० किलो फ्यूल है जिससे यह कमसे कम एक साल और एक्सटेंड करके दो साल तक वहां रहकर अपना काम कर सकता है। ऑर्बिटर चंद्रमा की तस्वीरें धरती पर भेज सकता है। ऐसे में यदि संयोगवश यह लैंडर की तस्वीर भी भेज दे तो उसकी स्थिति की जानकारी भारतीय वैज्ञानिकों को मिल सकती है।
याद रहे यह भारत का चंद्रयान -१ ही था जो २००८ में ही चाँद पर पानी होने की सम्भावना के चित्र भेज कर दुनिया को बड़ी जानकारी दे चुका है। चंद्रयान-२ अंतरिक्ष यान में तीन खंड हैं -ऑर्बिटर (२३७९ किलो, आठ पेलोड), विक्रम (१४७१ किलो, चार पेलोट) और प्रज्ञान (२७ किलो, दो पेलोड)। विक्रम दो सितंबर को आर्बिटर से अलग हो गया था।
इससे पहले सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष के सिवन ने संपर्क टूटने की घोषणा करते हुए कहा कि चंद्रमा की सतह से २.१ किलोमीटर पहले तक लैंडर का प्रदर्शन योजना के अनुरूप था। उन्होंने कहा कि उसके बाद उसका संपर्क टूट गया।
इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क केंद्र के स्क्रीन पर देखा गया कि विक्रम अपने निर्धारित पथ से थोड़ा हट गया और उसके बाद संपर्क टूट गया। लैंडर बड़े ही आराम से नीचे उतर रहा था, और इसरो के अधिकारी नियमित अंतराल पर खुशी जाहिर कर रहे थे। लैंडर ने सफलतापूर्वक अपना रफ ब्रेक्रिंग चरण को पूरा किया और यह अच्छी गति से सतह की ओर बढ़ रहा था। वैज्ञानिक के अनुसार, लैंडर का नियंत्रण उस समय समाप्त हो गया होगा, जब नीचे उतरते समय उसके थ्रस्टर्स को बंद किया गया होगा और वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया होगा, जिसके कारण संपर्क टूट गया।
इसरो ने कहा – ”यह मिशन कंट्रोल सेंटर है। विक्रम लैंडर योजना अनुरूप उतर रहा था और गंतव्य से २.१ किलोमीटर पहले तक उसका प्रदर्शन सामान्य था। उसके बाद लैंडर का संपर्क जमीन पर स्थित केंद्र से टूट गया। डेटा का विश्लेषण किया जा रहा है।”
खुद पीएम मोदी ने इस मौके पर रतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के नियंत्रण कक्ष से राष्ट्र को संबोधित किया। मोदी ने वैज्ञानिकों से कहा – ”आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए, उसकी जय के लिए जीते हैं। आप वो लोग हैं जो मां भारती के लिए काम कर रहे हैं।” पीएम को कार तक छोड़ने जाते हुए इसरो प्रमुख रो पड़े और पीएम ने उन्हें ढ़ाढस बधाया।