सर्वोच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश पिनाकी चंद्र घोष भारत के पहले लोकपाल हो सकते हैं। उनके नाम की घोषणा अभी आधिकारिक रूप से नहीं की गयी है।
लोकपाल नियुक्त करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन, सर्विच्च न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और एडवोकेट मुकुल रोहतगी वाली चयन समिति ने घोष के नाम पर मुहर लगाई है। जस्टिस घोष के अलावा इस लोकपाल में न्यायपालिका से हाईकोर्ट के चार पूर्व न्यायाधीश, चार आईएएस और आईपीएस और अन्य सेवाओं के सेवनिबृत्त अधिकारी होंगे।
गौरतलब है कि न्यायमूर्ति पीसी घोष मई २०१७ में सर्वोच्च न्यायालय के नयायधीश के रूप में सेवनिबृत्त हुए थे। इससे पहले वे कोलकाता और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं।
सर्वोच्च न्यायालय से सेवनिबृत्त होने के बाद वह जून २०१७ से मानवाधिकार आयोग के सदस्य हैं। लोकपाल चयन समिति की बैठक में उनका नाम अंतिम किया गया। पुदुचेरी की ले. गवर्नर किरण बेदी ने लोकपाल की नियुक्ति पर खुशी जाहिर करते हुए अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा – ”लोकपाल की घोषणा के बारे में जानकार बहुत खुशी हुई। यह देश की सभी भ्रष्टाचार विरोधी प्रणालियों को मज़बूत करेगा और सभी स्तरों पर सतर्कता के काम को बढ़ावा देगा।”
गौरतलब है कि लोकपाल के सर्वप्रथन और सबसे मजबूत लड़ाई स्वयंसेवी अण्णा हजारे ने लड़ी और कांग्रेस शासन के समय आंदोलन चलाया जिसे समर्थन मिला। हालाँकि भाजपा शासन के समय अण्णा हज़ारे ने कई बार आंदोलन की बात की। उन्होंने फरवरी में इस मांग के लिए अनशन भी शुरू किया हालांकि इसे कुछ दिन बाद हे ख़त्म कर दिया क्योंकि उन्हें आश्वाशन दिया गया कि केंद्र सरकार लोकपाल नियुक्त करने को तैयार है। वैसे अण्णा जिस तरह का लोकपाल चाहते हैं वैसी शक्तियां मोदी सरकार लोकपाल को देगी या नहीं यह देखना होगा।