हरियाणा में ज़मीन, प्लॉट और मकानों की रजिस्ट्री के घोटाले से स्पष्ट हुआ कि राज्य में अनियमितताएँ और भ्रष्टाचार चरम पर है। भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस के दावे वाली सरकार की कथनी और करनी में भारी अन्तर है। लॉकडाउन में शराब घोटाले से किरकिरी करा चुकी हरियाणा सरकार के सामने अब रजिस्ट्री घपला आया है। सरकार इसे घोटाला नहीं, कुछ सरकारी अफसरों की अनियमितताओं का मामला कह रही है; जबकि यह करोड़ों रुपये की हेराफेरी का मामला है। फिलहाल एक तहसीलदार व पाँच नायब तहसीलदारों को निलंबित करके उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज करने के बाद सरकार इसकी जाँच अपने स्तर पर करा रही है। जबकि विपक्ष इसकी जाँच सीबीआई या उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों से कराने की माँग कर रहा है।
लोगों की माँग पर लॉकडाउन के दौरान सम्पत्तियों की रजिस्ट्री का काम सरकार ने शुरू किया; लेकिन संशोधन की आड़ में अफसरों ने इसका गलत इस्तेमाल करके गुडग़ाँव (गुरुग्राम), फरीदाबाद, सोनीपत और झज्जर में अनापत्ति प्रमाण-पत्र के बिना ही रजिस्ट्रियाँकरके करोड़ों के वारे-न्यारे कर डाले। सवाल यह कि राजधानी क्षेत्र में इतनी बड़ी गड़बड़ी क्या तहसीलदार या नायब तहसीलदार स्तर के अधिकारी अपने दम पर कर सकते हैं? पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा राज्य सरकार को घोटालेबाज़ों सरकार की कहते हैं। उनका आरोप अपनी जगह सही है; लेकिन वह खुद भी कमोबेश ऐसे ही आरोपों में घिरे हैं और मामला अदालत में लम्बित है।
यह घोटाला सामने आने से पहले भी सरकार के पास रजिस्ट्री में गड़बड़ी की शिकायतें आ रही थीं; लेकिन इस पर कार्रवाई नहीं की गयी। रजिस्ट्री घोटाले की तरह ही लॉकडाउन में सरकारी शराब गोदामों से शराब चोरी का मामला सामने आया। दोनों ही विभागों का ज़िम्मा जननायक जनता पार्टी (जजपा) नेता और उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के पास है। उन पर उँगलियाँ उठ रही हैं, पर वह जाँच समिति गठित करने, आरोपियों पर दोष साबित होने पर कड़ी कार्रवाई करने और भविष्य में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न होने देने की बात कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं।
लॉकडाउन में राज्य के 32 शहरों में हज़ारों रजिस्ट्रियाँ हुईं। इसमें कितने मामलों में गड़बडिय़ाँ हुई हैं? इसका खुलासा तो जाँच के बाद ही होगा। फिलहाल सरकार ने ज़िला उपायुक्तों को सन् 2017-2019 में हुई सम्पत्तियों की रजिस्ट्रियों की भी जाँच करके इसकी रिपोर्ट जल्द पेश का आदेश भी दिया है। यह रजिस्ट्री घोटाला हरियाणा डवलपमेंट ऐंड रेगुलेशन ऑफ अर्बन एरिया एक्ट में संशोधन की वजह से खुला। इसकी आड़ में गुरुग्राम, सोहना, बादशाहपुर, मानेसर और वजीराबाद में तहसीलदारों और नायब तहसीलदारों ने गड़बड़ी को अंजाम दिया। ऐसे प्लॉटों की रजिस्ट्री भी कर दी गयी, जो अनधिकृत कॉलोनियों में थे। राजस्व विभाग के पास सम्पत्तियों का पूरा ब्यौरा डिजिटल नहीं है। फाइलों पर होने वाले काम में पारदर्शिता नहीं रहती और फिर लॉकडाउन में शीर्ष अधिकारियों की निगरानी भी कहाँ थी। इसी का गलत इस्तेमाल हुआ।
कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने इस मामले को गम्भीर बताते हुए कहा है कि अधिकारियों की शीर्ष अधिकारी जाँच करेंगे, तो रिपोर्ट में क्या आयेगा? मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भ्रष्टाचार पर ज़ीरो टॉलरेंस की बात अक्सर कहते हैं। अगर वह वाकई रजिस्ट्री मामले में गम्भीर हैं, तो जाँच उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों या फिर किसी स्वतंत्र एजेंसी से कराएँ। ऐसी ही जाँच शराब घोटाले में हुई, पर क्या निष्कर्ष निकला?
घोटाले के बाद सरकार अब पूरे राजस्व रिकॉर्ड को डिजिटल बनाने की बात कह रही है। यह काम तो पहले भी किया जा सकता था। सम्पत्तियों की रजिस्ट्री आदि से सरकार को बड़ा राजस्व मिलता है। सब जानते हैं कि ऐसे महत्त्वपूर्ण विभागों में भ्रष्टाचार ज़्यादा होते हैं, बावजूद इसके काफी सम्पत्तियाँ डिजिटल नहीं, बल्कि फाइलों में ही हैं।
मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने टाउन और कंट्री प्लानिंग और अर्बन लोकल बॉडीज को जल्द रिपोर्ट देने को कहा है। वह कहते हैं कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार पर गम्भीर है। मामला प्रकाश में आते ही तुरन्त कार्रवाई शुरू कर दी गयी। अभी कुछ अधिकारियों पर ही प्रथम दृष्टया आरोप साबित होने पर कार्रवाई की गयी है। उन्होंने कहा कि उन पटवारियों की भी जाँच होगी, जिन्होंने कानूनी प्रावधानों की आड़ में कृषि भूमि के उपयोग को बदला है। सरकार मामले के प्रति कितनी गम्भीर है, इसका अंदाज़ा इसी से लगता है कि हम तीन साल के दौरान हुई रजिस्ट्रियों की जाँच करा रहे हैं। जहाँ-जहाँ अनियमितताएँ मिलेंगी, अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई होगी। विपक्ष के आरोपों को वह राजनीति से प्रेरित बताते हैं।
परेशानी यह है कि जिस तरह से कृषि भूमि पर छोटे प्लॉटों में काटकर उनकी रजिस्ट्री की गयी है, उसका सबसे बड़ा नुकसान खरीदारों को होने वाला है। ऐसे कामों में बड़े उपनिवेशवादी संलिप्त होते हैं, जो किसी तरह से कृषि भूमि को गैर-कृषि भूमि में बदलवाकर छोटे प्लॉट काटकर लोगों को ऊँचे दाम पर बेच देते हैं। बाद में प्लॉट मालिकों को नक्शे पास कराने लेकर कई तरह की दिक्कतें आती हैं। फिर सरकार ऐसे मकानों को अनधिकृत मानकर कार्रवाई करती है; जिसमें लोगों की सारी जमा पूँजी चली जाती है।
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने मेवात क्षेत्र में जाकर सरकार के खिलाफ होने वाले प्रदर्शनों में हिस्सा लिया। उनका कहना है कि कांग्रेस सरकार पर घोटाले के आरोप लगाने वाली भाजपा-जजपा सरकार को अपने गिरेबान में भी झाँकना चाहिए। राज्य में कितने घोटाले हो गये, पर मुख्यमंत्री अब भी भ्रष्टाचार से मुक्त सरकार होने का दम्भ भर रहे हैं। किसी भी घोटाले में कोई बड़ी कार्रवाई नहीं हुई। छोटे अधिकारियों और कर्मचारियों पर कार्रवाई करके सरकार बेदाग होने का दावा करती है। लेकिन प्रदेश के लोग सच्चाई अच्छी तरह जानते हैं। कांग्रेस अब प्रदेश स्तर पर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलेगी।
इंडियन नेशनल लोकदल के विधायक अभय चौटाला कहते हैं कि भाजपा-जजपा लोगों की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर रही है। मुख्यमंत्री को अपनी कुर्सी की चिन्ता है। जब कोई घोटाला सामने आता है, तो जाँच समिति गठित करके कार्रवाई की बात ही कहते हैं। आिखर इतने घोटाले हो क्यों रहे हैं? मतलब साफ है कि सरकार हर मोर्चे पर नाकाम साबित हो रही है। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन में दो घोटाले हुए और दोनों दुष्यंत के विभाग में हुए। रजिस्ट्री घोटाले की किसी स्वतंत्र एजेंसी से जाँच करायी जाए, तो सरकार में बैठे कई लोग बेनकाब हो जाएँगे। मगर सरकार अपने ही स्तर पर जाँच कराकर कुछ छिटपुट लोगों पर कार्रवाई करके पल्ला झाड़ लेना चाहती है। इधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल, विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता, इंद्री (करनाल) के विधायक रामकुमार, अंबाला शहर से विधायक असीम गोयल और रतिया के लक्ष्मण नापा कोरोना संक्रमित पाये गये हैं। विधायक सुभाष सुधा और महिपाल ढांढा, सांसद वृजेंद्र सिंह और संसाद नायब सिंह सैनी संक्रमण मुक्त हो गये हैं। स्वास्थ्य विभाग ने 26 और 27 अगस्त को दो दिवसीय विधानसभा सत्र से पहले सभी विधायकों और अन्य स्टाफ समेत कुल 361 लोगों की जाँच की थी। लेकिन कई लोगों के संक्रमित पाये जाने पर एक दिवसीय सत्र ही बुलाया गया।
इन पर हुई कार्रवाई
रजिस्ट्री में हुई अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के आरोप में सरकार ने सोहना के तहसीलदार बंसीलाल और नायब तहसीलदार दलबीर दुग्गल को तुरन्त प्रभाव से निलंबित किया है। इनके अलावा बादशाहपुर के नायब तहसीलदार हरिकृष्ण, वजीराबाद के नायब तहसीलदार जयप्रकाश, गुरुग्राम के नायब तहसीलदार देशराज कंबोज और मानेसर के नायब तहसीलदार जगदीश पर भी निलंबन की कार्रवाई की गयी है। इनके खिलाफ हरियाणा सिविल सर्विस रूल्स के तहत जार्चशीट दायर की गयी है। इनके अलावा कादीपुर के सेवानिवृत्त नायब तहसीलदार ओमप्रकाश भी मामले में आरोपी हैं।
जब-जब गड़बडिय़ाँ सामने आयीं, तब-तब कार्रवाई करके सरकार ने अपना इरादा जताया है। मामला प्रकाश में आने के बाद उनकी सरकार न केवल जाँच कराती है, बल्कि रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई भी करती है। पूर्व की सरकारों में मामले रफा-दफा ही किये जाते रहे हैं। जो नेता आज घोटालों की बात करके सरकार को बदनाम करने की कोशिश कर रहे हैं, उनकी असली छटपटाहट सत्ता में आने की है। लोगों ने उन्हें पूरी तरह से नकार दिया है। हताशा में राजनीति से प्रेरित होकर सरकार की छवि को खराब करना चाहते हैं।’
मनोहर लाल खट्टर
मुख्यमंत्री, हरियाणा
भाजपा-जजपा सरकार हर मोर्चे पर नाकाम है। आज हरियाणा भ्रष्टाचार-मुक्त नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार-युक्त है। राज्य में चावल खरीद, शराब, अवैध खनन, भर्ती, पेपर लीक, स्कॉलरशिप और बिजली मीटर खरीद जैसे घोटाले हुए हैं। प्रदेश में पारदर्शिता नहीं है। सरकार का ब्यूरोक्रेसी पर नियंत्रण नहीं रह गया है। जब भी कोई मामला आता है, जाँच बैठा दी जाती है और फिर हरियाणा को नयी ऊँचाइयों पर ले जाने की बयानबाज़ी शुरू हो जाती है।’
भूपेंद्रसिंह हुड्डा
पूर्व मुख्यमंत्री एवं विपक्ष के नेता