जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति हैं। ऐसे में कई लोग घर से अपनी-अपनी कम्पनियों का काम कर रहे हैं। मेरे पड़ोस की दीक्षा नाम की एक लडक़ी एक डाटा एंट्री कराने वाली कम्पनी में नौकरी करती है। वह आजकल घर से ही अपने मोबाइल से कम्पनी का काम करती है। शायद आपको पता हो कि जब आप मोबाइल या लैपटॉप या कम्प्यूटर पर ऐसे काम करते हैं, तो न केवल कम्पनी पर, बल्कि आपके बैंक अकाउंट, ईमेल आईडी, सोशल एक्टिविटीज और आपकी निजी ई-सम्पत्ति पर भी साइबर क्रिमिनल्स की नज़र रहती है।
मतलब यह है कि घरों में रहकर कोरोना से भले ही लोग सुरक्षित हों, लेकिन संस्थानों के सिस्टम पर साइबर हमले के खतरे बढ़ गये हैं। माना जा रहा है कि इससे कम्पनियों के डाटा पर खतरा मँडरा रहा है। क्योंकि कम्पनियों के निजी आँकड़ों को उनके कर्मचारी अपने घर से मोबाइल या लैपटॉप या कम्प्यूटर से एक्सेस कर रहे हैं। ऐसे में ज़ाहिर है कि ऑफिस में मौज़ूद रहने वाले फायरवॉल अथवा सिक्योरिटी सिस्टम घरों में न के बराबर ही होते हैं, जिसके न होने पर साइबर क्रिमिनल्स को डाटा उड़ाने में आसानी हो जाती है।
दरअसल, अगर आपका मोबाइल, लैपटॉप और कम्प्यूटर हैक हो जाता है, तो डाटा करप्ट होने की सम्भावना ज़्यादा रहती है, जिसके चलते कई बार बड़ा नुकसान भी हो जाता है। यह नुकसान कर्मचारी की मेहनत और कम्पनी की सिक्योरिटी का होता है। हालाँकि, साइबर हमले से हुए नुकसान की भरपाई के लिए एसबीआई साइबर डिफेंस बीमा भी मुहैया कराती है, लेकिन क्यों न हम साइबर हमले से बचने के उपायों का इस्तेमाल करें, ताकि इससे बचा जा सके।
जहाँ तक हो सके ऑफलाइन करें काम
साइबर हमला हमेशा ऑनलाइन काम करने पर ही होता है। ऐसे में समझदारी इसी में है कि हम जहाँ तक सम्भव हो सके ऑफलाइन काम करें। ऑफलाइन (इंटरनेट और नेटवॄकग से बिना जुड़े) काम करने से आप किसी भी साइबर क्रिमिनल की पहुँच से दूर और सुरक्षित रहते हैं। इतना ही नहीं, इससे आपके इंटरनेट की भी बचत होती है।
काम भर को रहें ऑनलाइन
साइबर क्राइम का शिकार होने से बचने का यह भी एक बहुत अच्छा और सुरक्षित तरीका होता है कि आप जब ऑनलाइन काम की ज़रूरत हो, तभी अपना इंटरनेट ऑन करें। साथ ही जितनी जल्दी सम्भव हो सके ऑनलाइन काम निपटाने का प्रयास करे, क्योंकि हमेशा इंटरनेट ऑन रखने से साइबर हमले का खतरा बढ़ जाता है। यदि आप अपने डाटा सुरक्षा का बन्दोबस्त कर चुके हैं, तब तो आप जितना चाहें ऑनलाइन रह सकते हैं। वैसे यह बात आजकल शायद सभी जानते हैं कि क्रिमिनल बहुत ही शातिर दिमाग के होते हैं और अच्छी-अच्छी सिक्योरिटी पिन तोडऩे में माहिर होते हैं। ऐसे में सतर्कता और सावधानी में ही आपकी भलाई है।
हैकिंग के दौरान सिस्टम कर दें बन्द
करीब तीन महीने पहले को मेरे एक दोस्त छत्रपाल सिंह का मोबाइल अचानक हैक होने लगा। सभी एप्स ने, यहाँ तक कि कॉलिंग सिस्टम ने काम करना बन्द कर दिया। उस समय उसका इंटरनेट ऑन था। उसने सोचा कि शायद नेटवॄकग समस्या हो; यही सोचकर वह मोबाइल को एक्टिव करने की कोशिश में लगा रहा। छत्रपाल ने बताया कि चार-पाँच मिनट में मेरे फेसबुक अकाउंट पर अपडेट का अलर्ट आया, जिसे मैंने बिना सोचे अपडेट कर दिया। उसके बाद मेरा फेसबुक अकाउंट मेरी मोबाइल स्क्रीन से गायब हो गया। व्हाट्सअप एप ने भी काम करना बन्द कर दिया और मोबाइल ने भी। जब मैंने फेसबुक एप डिलीट करके दोबारा डाउनलोड करके उस पर खुद को सर्च कर एक्टिवेट होने का प्रयास किया, तो मेरा वह फेसबुक अकाउंट नहीं मिला, बल्कि बिना नया अकाउंट बनाये एक नया अकाउंट बन गया। अब मुझे समझते देर नहीं लगी कि मेरे मोबाइल के साथ-साथ मेरी सोशल साइट्स हैक हो चुकी हैं।
छत्रपाल कहते हैं कि मैंने मोबाइल को स्विच ऑफ कर दिया। करीब 10 मिनट बाद खोला पर हैकर के चंगुल से आज़ाद न हो सका। करीब 20-22 घंटे बाद मैं अपना फेसबुक अकाउंट दोबारा एक्टिबेट कर पाया। जब मेरा फेसबुक अकाउंट एक्टिवेट हुआ, तो उसमें एक नयी प्रोफाइल एक्टिवेट थी, जिसे इससे पहले न तो मैंने कभी देखा और अपने से जोड़ा। खैर, छत्रपाल सिंह फेसबुक एडमिन को उसकी ऑनलाइन शिकायत कर दी। जैसा कि आप भी जानते हैं कि आजकल हमारे एन्ड्रायड मोबाइल फोन में हमारी कितनी कीमती जानकारियाँ, डाटा आदि रहता है। ऐसे में हैकिंग को समझने की यह देरी भी महँगी पड़ सकती है।
कहने का मतलब यह है कि छत्रपाल सिंह ने मोबाइल स्विच ऑफ करने में काफी देर कर दी, जिससे उसकी निजी जानकारी चोरी भले ही हुई हो अथवा नहीं, लेकिन साइबर क्रिमिनल तक पहुँच ज़रूर गयी होगी, जिसका भविष्य में कभी भी उसे नुकसान हो सकता है।
सिस्टम हैक होने पर बदल लें पासवर्ड
वैसे तो अपने सिस्टम, डाटा और निजी जानकारी की सुरक्षा के सभी एहतियात बरतें, लेकिन अगर कभी आपका मोबाइल या लैपटॉप या कम्प्यूटर हैक हो जाता है, तो तसल्ली से काम लें और ऊपर बताये गये नियमों का पालन करते हुए पहले सिस्टम को अपने कन्ट्रोल में लें। उसके बाद सबसे पहला काम अपने पासवर्ड बदलने का करें। यदि आप हैकिंग का शिकार हो जाते हैं, तो अपनी सभी साइट्स का पासवर्ड बदल लें। खासतौर पर अगर आप ऑनलाइन बैंकिंग इस्तेमाल करते हैं, तो उसका पासवर्ड तुरन्त बदलें।
कैसा हो पासवर्ड?
जब हम अपने किसी अकाउंट का पासवर्ड बनाते हैं, तो हम अपने या अपने किसी परिचित या अपनी पसन्द की किसी चीज़ के इर्दगिर्द रहकर पासवर्ड तैयार करते हैं। जबकि हमें इससे बचने की कोशिश करनी चाहिए। यदि हम ऐसे पासवर्ड बनाते भी हैं, तो उनके कोडवर्ड को कठिन तरीके से इस्तेमाल करें। इसके अलावा अपने पासवर्ड में ऐसे नाम शामिल करें, जिन नामों पर जल्दी किसी का ध्यान न जाता हो। जैसे किसी अजीब या लोगों के ज़ेहन से उतरी हुई चीज़ का नाम… वगैरह-वगैरह।
समय-समय पर बदलते रहें पासवर्ड
यह बात आपको पहले भी शायद किसी ने बतायी हो कि समय-समय पर अपने सभी अकाउंट्स के पासवर्ड बदलते रहें। यह ज़रूरी भी है। क्योंकि, पासवर्ड बदलते रहने से हैकिंग के खतरे कम हो जाते हैं।
पब्लिक वाई-फाई के इस्तेमाल में है जोखिम
आजकल सरकारों ने कई सार्वजनिक स्थानों पर वाई-फाई सिग्नल लगा दिये हैं। इन जगहों पर आप अपना मोबाइल कनेक्ट करके मुफ्त इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। ऐसी जगहों पर अधिकतर समय भीड़भाड़ रहती है। इसलिए हम ऐसी जगहों को पब्लिक वाई-फाई एरिया भी कह सकते हैं। लेकिन इन जगहों पर साइबर क्रिमिनल की खासी नज़र रहती है। ऐसे में मुफ्त इंटरनेट के चक्कर में सार्वजनिक वाई-फाई सेवा का इस्तेमाल करना आपको महँगा पड़ सकता है।
मैसेज और ईमेल के ज़रिये होते हैं हमले
आजकल हमारी ईमेल आईडी पर तरह-तरह के प्रलोभन वाली ईमेल आती हैं। इन मेल से आपको सावधान रहना चाहिए और इन मेल को रिपोर्ट स्पैम में शिकायत मोड पर डालकर डिलीट कर देना चाहिए। क्योंकि साइबर अपराधी अक्सर ई-मेल के माध्यम से आपके निजी डाटा और जानकारियों पर फिशिंग हमले करते हैं। मोबाइल पर आने वाले कई मैसेज से भी आप साइबर क्रिमिनल का शिकार हो सकते हैं। इसलिए सावधान रहें।
कीमती डाटा है, तो कराएँ बीमा
आप कितने भी चतुर क्यों न हो, कोई बड़ी बात नहीं कि कब साइबर हैकर आपको शिकार बना लें। क्योंकि हैकर्स काफी एक्सपर्ट होते हैं। आप सोचिए, जब कड़ी साइबर निगरानी में रहने वाले बैंक अकाउंट से भी कई बार अचानक पैसा उड़ जाता है, तो हम-आप कैसे बचे रह सकते हैं? हमारे पास तो सुरक्षा के उतने इंतज़ाम भी नहीं होते। इसका एक कारण यह भी है कि सुरक्षा जितनी मज़बूत की जाती है, हैकर्स उसमें सेंध लगाने के उतने ही नये-नये तरीके ईज़ाद कर लेते हैं। इसीलिए अगर आपके पास कीमती डाटा है, कीमती ई-सम्पत्ति है या अच्छा-खासा बैंक बैलेंस है, तो साइबर बीमा (इंश्योरेंस) करा लेने में ही भलाई है। ऐसा करने से आपकी आईडेंटिटी, डाटा, आईटी, निजी जानकारी की चोरी, मालवेयर अटैक, साइबर एक्सटोर्शन आदि कवर हो जाते हैं, जो हैकिंग से हुए नुकसान की भरपाई कर सकते हैं। ऐसे नुकसानों से बचने के लिए आप कानूनी खर्च, डेटा या कम्प्यूटर प्रोग्राम रि-इन्स्टॉल करवाने के खर्च पर भी बीमा करा सकते हैं।
सुरक्षा डिवाइस या सॉफ्टवेयर का करें इस्तेमाल
आजकल बाज़ार में कई तरह की सुरक्षा डिवाइस मिल जाती हैं, उन्हें लगा लें। हालाँकि, अच्छी क्वालिटी की सुरक्षा डिवाइस काफी महँगी भी आती हैं। ऐसे में आप अच्छी कम्पनी के साफ्टवेयर लगवाकर खुद को सुरक्षित कर सकते हैं। इस तरह के सॉफ्टवेयर भी आपको खरीदने पड़ते हैं। कुछ सॉफ्टवेयर मुफ्त में डाउनलोड किये जा सकते हैं, लेकिन ये सुरक्षित नहीं होते, बल्कि कई सॉफ्टवेयर डाउनलोड करना साइबर क्रिमिनल को बुलावा देने जैसा साबित हो सकता है। इसलिए आप पर्सनल डिवाइस पर एप में कीमती और संवेदनशील डाटा स्टोर करते समय आप सिक्युरिटी टूल का इस्तेमाल करें। यह सुरक्षा टूल साइबर क्राइम का पता लगाने में सक्षम होते हैं। यदि आप घर पर काम करते हैं, तो फायरवॉल और एनक्रिप्शन का उपयोग कर सकते हैं।