घर घर लाया दीपावली: मोदी

modi1

‘घर-घर मैं जल्दी लाया दीपावलीÓ। यह कहना था, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का । उनके इस दावे पर खामोश है पूरा विपक्ष। वामपंथी अपने गुणा-भाग में लगे हैं । उन्हें फुर्सत नहीं है। कांग्रेस अपने टूटे -फूटे हथियारों को दुरुस्त करने में लगी है जिससे उसकी साख बची रहे। जनता दल (यू) के बागी बुजुर्ग नेता शरद यादव अपनी मजबूरियां जानते हैं।

जनता में अब उनका नाम पुराना हौसला नहीं जगा पाता। फिर भी वे हिम्मत जुटा रहे है। पत्रकारों से कह रहे हैं कि अगली लड़ाई अर्थव्यवस्था पर ही केंद्रित होगी।

बहरहाल प्रधानमंत्री के कहने पर वित्त मंत्री ने पहले की जीएसटी को कुछ हद तक सरल,सहज और बेहतर बनाने का कोशिश की है। छोटे और मझोले व्यवसायियों ने इसे पसंद किया है। सरकार की इस कोशिश से जनता का एक बड़ा हिस्सा अब देश की अर्थव्यवस्था का गहन अध्ययन करने में लगा है। इससे देश की सही तस्वीर जनमानस में बन सकेगी। मंदिर-मस्जिद धर्म के बहाने जनांदोलनों के गुबार का भी खुलासा होगा और वास्तविकता का एहसास देश की बेसिक ज़रूरतों के साथ होगा।

नोटबंदी के बाद देश में निराशा और बेरोजगारी भी बढ़ी और जीएसटी के चलते देश में मंहगाई बढ़ी। छोटी मजदूरी और कामकाज पर असर पड़ा। घर-घर में छोटी – छोटी बचत पर असर रहा। छोटे मझोले कल-कारखाने बंदी की कगार पर पहुंच गए। जन असंतोष पर विपक्ष ने आवाज़ दी। आखिर प्रधानमंत्री तक सुगबुगाहट पहुंची। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने भी आगाह किया। प्रधानमंत्री ने अंधेरे में डूबे देश के चार करोड़ घरों में उजियारा लाने का भरोसा दिया। देश के वित्तमंत्री ने जीएसटी के तहत 90 वस्तुओं पर लगे टैक्स कुछ कम किए। देशवासियों में उम्मीद बंधी। प्रधानमंत्री ने कहा, ‘घर-घर दिवाली लाया हूं। इस बार थोड़ा जल्दी।Ó

प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि जब जीएसटी पर अमल शुरू हुआ था तो मैंने कहा था कि हम इसके नतीजों पर अगले तीन महीने नज़र रखेंगे। जिन इलाकों में बाधाएं थी। इसकी दरों को लेकर दुविधा थी। अन्य असुविधाएं थीं। उन सब को हमने जांचा-परखा। व्यापरियों को हो रही परेशानियों को जाना। हम कतई नहीं चाहते कि व्यापारी लालफीताशाही में उलझे। यह वाकई खुशी की बात है कि देश के हर हिस्से से बदलाव की गूंज सुनाई दे रही है।

सरकार द्वारा उठाए गए आर्थिक कदमों और विकास के एजेंडे पर हो रही आलोचना पर उन्होंने कहा कि उनकी सरकार के लिए विकास हमेशा एक मुख्य एजंडा रहेगा। उन्होंने कहा हो सकता है इस पीढ़ी ने गरीबी झेली हो लेकिन हम विकास को उस ऊंचाई तक ले जाना चाहते हैं जिससे अगली पीढ़ी का साबका गरीबी से न पड़े। इससे भारत के लोगों को मौका मिलेगा।

जीएसटी और नोटबंदी के चलते पूरे देश में लघु और मध्यम उपक्रमों के मालिकों और मजदूरों में छाई निराशा को दूर करने के लिए जीएसटी में किए गए फेरबदल पर हो रहे स्वागत से प्रधानमंत्री गदगद थे। गुजरात के दो दिन के दौरे में उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) की दरों और नियमों में खासा बदलाव किया है। गुजरात में इसी साल चुनाव भी हैं। उन्होंने कहा कि सरकार ने कर को काफी हद तक सरल कर दिया है। वे कतई नहीं चाहते कि नुकसान व्यापार का हो।

प्रधानमंत्री ने जीएसटी कौंसिल के उठाए गए कदमों को ‘दिवाली पर काफी पहले आया उपहारÓ बताया है और कहा है कि सरकार व्यवसाइयों को ‘लाल फीताशाही, फाइल और अफसरशाही के शिकंजे में नहीं फंसने देना चाहती। उनका यह बयान निश्चय ही स्वागत योग्य है क्योंकि देश को सहज, सरल और आसानी से कर देने की प्रणाली की ज़रूरत है। जिसके न होने पर देश के लघु और मझोले उद्योग और दस्तकारों की उत्पाद क्षमता सीमित होती है। पूरे देश में एक जैसी प्रणाली हो जिसमें बार-बार रिटर्न की फाइलिंग न हो। इस ज़रूरत को जीएसटी कौंसिल भी अब मानती है। इसी के तहत अब डेढ़ करोड़ तक के टर्न ओवर पर हर महीने रिटर्न भरने की बजाए सिर्फ तिमाही पर रिटर्न भरना पर्याप्त होगा।

इसी तरह कंपोजिशन स्कीम के तहत जिसमें छोटे उत्पादकों को माल भेजने-मंगाने वाले व्यवसाई और रेस्टोरेंट आदि को 1.5 फीसद की दर से कर अदा करना होगा। उन्हें जीएसटी की बारीकियों में उलझने की ज़रूरत नहीं है। इसकी सीमा भी 75 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ कर दी गई है। इसी तरह रिवर्स चार्ज मेकैनिज्म जिसके तहत गुड्स और सर्विसेज लेने वाले को गैर पंजीकृत वेंडर से माल लेने पर कर देना होता था उस प्रक्रिया को हतोत्साहित करते हुए बड़ी कंपनियों को ऐसी छोटी एजंसियों को बढ़ावा देने की नीयत के मुद्दे को 31 मार्च 2018 तक टाल दिया गया है। दूसरी महत्वपूर्ण राहत निर्यातकों को दी गई है। उन्हें इंटीग्रटेड जीएसटी जो निर्यात हुए माल पर दी जा चुकी है, उसके री-फंड की कार्रवाई जल्द से जल्द पूरी करने की सलाह दी गई है। साथ ही पहली अप्रैल से ‘ई-वैलेटÓ स्कीम भी शुरू होगी। इसमें आई जीएसटी और इनपुटस पर जीएसटी के भुगतान के लिए एडवांस री-फंड या नेशनल क्रेडिट की व्यवस्था रहेगी। अभी तक निर्यातकों को इसके न होने से वर्किग कैपिटल के ठहर जाने की शिकायतें मिलती रहीं हैं।

छोटे व्यवसायियों और लघु और मझोली कंपनियों को जीएसटी नियमों के पालन मे सुविधा देने के लिहाज से वित्तमंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी कौंसिल की शुक्रवार छह अक्तूबर को हुई बैठक में अनेक फैसले लिए गए। विशेषज्ञों के अनुसार ये फैसले गुजरात में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र लिए गए हैं।

परिषद ने मासिक तौर पर ब्यौरे जमा करने की अवधि को बढ़ा कर तीन माह कर दिया है। इसके साथ ही कंपोजिशन स्कीम के तहत जीएसटी का भुगतान करने और टैक्स री फंड की भी व्यवस्था है। तकरीबन नौ घंटे चली इस बैठक में दो दर्जन से भी ज़्यादा वस्तुओं पर लगे करों के ढांचे की समीक्षा की गई। बैठक की अध्यक्षता अरूण जेटली ने की साथ ही रेवेन्यू सचिव हसमुख अधिया भी इस बैठक में थे।

प्रधानमंत्री ने जीएसटी पर अमल पर व्यापक चिंताओं पर परिषद से अपील की थी कि लघु और मझोले उद्योगों के सामने क्या परेशानियां है उनकी पहचान और निदान करें। उन्होंने कहा था कि सरकार छोटे व्यवसायियों की मदद के लिए तैयार है। अधिया ने कहा कि तमाम तौर-तरीकों और दरों को उत्पाद स्तर पर ही दुरूस्त कर लेने पर विचार हुआ है। परिषद की बैठक के बाद वित्तमंत्री ने कहा कि जो फैसले लिए गए हैं उनसे90 फीसद टैक्स अदा करने वालों पर से दबाव घटा है। ये कंपनियां और व्यक्ति अप्रत्यक्ष कर संग्रह में सिर्फ दस फीसद का योगदान करते हैं। हालांकि कर अदा करने वालों में खास तौर पर जो बड़ी कंपनियां है वे जीएसटी संग्रह में 90 फीसद अदा करती हैं उनके लिए नियमों में कोई बदलाव नहीं है।

छोटे लोगों के पास टैक्स अदा करने का दबाव काफी कम है लेकिन उन पर नियमों के पालन करने का दबाव ज़रूर है। वित्तमंत्री ने बताया कि परिषद ने छोटे उद्योग-धंधों और व्यवसायियों के लिए सीधा और सरल जीएसटी ज़रूर पेश किया। खास तौर पर उनके लिए जिनका टर्न ओवर डेढ़ करोड़ से कम है। वे मासिक रिटर्न की बजाए अब तिमाही में रिटर्न दायर कर सकेंगे। अब इनकी अवधि अक्तूबर-दिसंबर की तिमाही से शुरू होगी। पंजीकृत खरीददार इन छोटे पर टैक्स अदा करने वालों से जब खरीददारी करेंगे तो वे मासिक आधार पर इनपुट टैक्स क्रेडिट पा सकेंगे।

सरकार ने छोटे सर्विस प्रोवाइडर को भी विभिन्न राज्यों में कामकाज करने की अनुमति दे दी है। भले ही वे जीएसटी नेटवर्क से न जुड़े हों। छोटे गैर पंजीकृत व्यवसाय की यातायात समस्याओं को कम करने के लिए परिषद ने गुड्स ट्रांसपोर्ट एजेंसी की गैर पंजीकृत व्यक्ति को सर्विस पर जीएसटी देने से रियायत दे दी है।

परिषद ने यह तय किया है कि जिन करदाताओं का सालाना टर्न ओवर 1.5 करोड़ होगा उन्हें साल की सप्लाई के समय एडवांस की रसीद देते हुए जीएसटी नहीं देना होगा। माल की सप्लाई होने पर ही ऐसी सप्लाई पर जीएसटी लगेगी।

निर्यातकों को भी तुरत-फुरत टैक्स रिफंड की व्यवस्था की गई है। वित्तमंत्री ने कहा कि जुलाई और अगस्त महीने के रिफंड की छानबीन भी इसी महीने कर ली जाएगी। परिषद ने इन्हें इंटरस्टेट जीएसटी पर भी 31 मार्च 2018 देने पर रियायत दी है। अगले साल पहली अप्रैल से सरकार की योजना है कि निर्यातकों के लिए ई-वैलेट प्रणाली शुरू की जाए। जिससे उन्हें नेशनल टैक्स क्रेडिट मिलेगा इसे बाद में वास्तविक रिफंड में एडजस्ट किया जा सकेगा। इसी तरह ई वे बिल नाम से एक प्रणाली शुरू की गई है जिससे अंतरराष्ट्रीय ट्रांस्फर कम हो। वित्तमंत्री ने कहा कि यह प्रणाली समुचित तौर पर पहली जनवरी से काम करेगी और अगले साल पहली अप्रैल से पूरी तौर पर अमल में आ जाएगी।