उन्होंने बता दिया कि जुनून हो तो ”स्काई इज द लिमिट।” बात सुपर मैरीकॉम की है। तीन बच्चों की मां मैरीकॉम ने एक और विश्व खिताब जीत लिया। लेकिन यह महज एक खिताब नहीं है। और यह महज एक रेकार्ड खिताब भी नहीं है। यह एक जुनून की जीत है। जुनून जिसमें देश भक्ति है, खेल के प्रति समर्पण और प्यार है और है कठिन हालत में भी हार न मानने का सन्देश। यह सुपर मैरीकॉम की जीत है, आओ इसका जश्न मनाएं।
उनका पूरा नाम एमसी मैरीकॉम है। अपना छठा विश्व चैम्पियनशिप खिताब जीतने के बाद मैरीकॉम के चेहरे पर जीत का गौरव साफ़ झलक रहा था। और इस महान मुक्केबाज ने जीत के बाद सबसे पहले अपने देश को याद किया। देश की राजधानी दिल्ली में मैरीकॉम का खेलों में यह देशवासियों के लिए इन दशकों का एक और सबसे बड़ा तोहफा है।
उन्हें ”मेग्नीफिसेंट मैरी” भी कहा जाता है। ३५ साल की उम्र में मैरीकॉम ने दिल्ली के इंदिरा गांधी स्टेडियम के केडी जाधव हॉल में १०वीं आईबा महिला विश्व चैम्पियनशिप के ४८ किलो भार वर्ग के फाइनल में यूक्रेन की हना ओखोटा को ५-० से मात देकर गोल्ड मेडल ही नहीं जीता बल्कि दुनिया भर में बॉक्सिंग के दीवानों का दिल भी जीत लिया। वे एक सिल्वर भी जीत चुकी हैं।
मैरी का विश्व चैम्पियनशिप में यह छठा गोल्ड और कुल मिलकर सातवां मेडल था। एक अंतराल के बाद मैरी विश्व चैम्पियनशिप में उतरीं और गोल्ड के साथ इसका अंत किया। उनका अपना सफर अभी जारी है और जैसा वे खेल रहीं हैं उससे उम्मीद बंधी है कि अगले ओलिंपिक में भी वे मैडल जीतेंगीं।
छह गोल्ड मेडल जीतने वाली मैरी दुनिया की पहली महिला मुक्केबाज बन गई हैं। आयरलैंड की कैटी टेलर ने ६० किलो भार वर्ग में २००६ से २०१६ के बीच पांच गोल्ड और एक कांस्य पदक जीते थे।
सबसे ज्यादा मैडल जीतने में अब उनका मुकाबला किसी महिला नहीं पुरुष मुक्केबाज से है। क्यूबा के फेलिक्स सेवोन (९१ किलो भार वर्ग) की मैरी ने आज बराबरी कर ली। फेलिक्स ने १९८६ से १९९९ के बीच छह गोल्ड और एक रजत मेडल यानि कुल जमा सात मैडल जीते थे। मैरीकॉम अब महिला और पुरुष मुक्केबाजों में विश्व चैम्पियनशिप की कतार में सबसे आगे खड़ी हैं।
आज के मुकाबले की बात करें तो पहले राउंड में मैरी और ओखोटा ने एक-दूसरे के खेल को तौला। पहले राउंड में आकर्मण काम दिखा। अपने राइट पंच पर मैरी को हमेशा भरोसा रहा है और आज भी उन्होंने इसका बेहतर इस्तेमाल किया अपनी प्रतिद्वंदी के खिलाफ। मैरी और हना दोनों ने लेफ्ट-राईट का अच्छा इस्तेमाल किया। मैरी की फुर्ती भी उनकी खेल में शक्ति है। हना के कई पंच मैरी ने नाकाम किये।
दूसरा राउंड आकर्मण भरा दिखा। दोनों तरफ से। शुरुआत में हना कुछ भारी होती दिखीं लेकिन बाद में टेक्टिकली प्रतिद्वंदी से दूरी बनाकर खेलीं और मौका मिलते ही पंच भी मारे। यह पंच अंक के रूप में उनके खाते में जुड़े। तीसरे राउंड में मानों मैरी कुछ फैसला करके आईं थीं। एक मिनट के भीतर ही मैरी ने राइट-लेफ्ट जैब का कलात्मकता दिखाई।
उनके लगातार तीन-चार पंच स्कोरिंग एरिया में लगे और अंक भी उनके खाते में जुड़े। लेकिन हार के दर ने हना को आक्रमक कर दिया। एक मौके पर तो मैरी उनके मुक्कों से परेशान दिखीं। लेकिन यहाँ अनुभव काम आया। मैरी का धैर्य काम कर गया। हना थोड़ी पस्त सी दिखीं नहीं कि मैरीकॉम के उनपर पंच पर पंच पड़ गए। जजों का काम आसान हो गया। पांचवां राउंड मैरी की जीत से पहले का शंखनांद था। और उसे कुछ ही क्षण के बाद हमारी मैरीकॉम विजेता के पोडियम पर विराजमान थीं। सच में मैरीकॉम गोल्डन मैरीकॉम हैं।