उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की कर्मभूमि और संसदीय जनपद गोरखपुर की अब सूरत बदलने की उम्मीदें काफी बढ़ गयी हैं। इस क्षेत्र में सडक़ों के विकास की ज़िम्मेदारी केंद्रीय सडक़ परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने ले ली है। इसी महीने की 26 तारीख को केंद्रीय मंत्री गोरखपुर को 1182 करोड़ रुपये की सौगात दी। इतना ही नहीं गोरखपुर के साथ-साथ बस्ती मंडल की भी सूरत बदलने वाली है। नितिन गडकरी करीब 1075 करोड़ रुपये की सडक़ परियोजना का लोकार्पण और 107 करोड़ रुपये की परियोजना का शिलान्यास करने वाले थे, लेकिन वह वर्चुअल रूप से समारोह में शामिल हुए। इन सडक़ों समेत नवनिर्मित कालेसर-जंगल कौडिय़ा फोरलेन का लोकार्पण प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया।
17.66 किलोमीटर लम्बे गोरखपुर की बहुप्रतीक्षित योजना कालेसर-जंगल कौडिय़ा फोरलेन बाईपास को बनाने में 866 करोड़ रुपये की लागत आयी है। कोरोना प्रकोप के चलते इस बाईपास के लोकार्पण के कार्यक्रम पहले दो बार टाला जा चुका है। लेकिन अब इसका लोकार्पण किया जा चुका है। इसके लिए भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) की ओर से कालेसर में भी एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसके अलावा गोरखपुर से गुज़रने वाले रामजानकी मार्ग के चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण के कार्य का शिलान्यास भी इसी कार्यक्रम में किया गया।
सिकरीगंज और गोला के बीच करीब नौ किलोमीटर लम्बाई में होने वाले इस काम पर 37.52 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। यह मार्ग राष्ट्रीय राजमार्ग 227-ए के तहत आता है। इस दौरान नितिन गडकरी के वर्चुअल कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के कई मंत्री व सत्ता दल के नेता भी शामिल हुए। इससे पहले भी योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर में कई विकास परियोजनाएँ चलायी हैं।
कुशीनगर और सिद्धार्थनगर में भी विकास के लिए शिलान्यास
एनएचएआई के परियोजना निदेशक श्रीप्रकाश पाठक ने मीडिया को बताया कि गोरखपुर के अलावा कुशीनगर ज़िले में भी तमकुहीराज एवं पडरौना के बीच राष्ट्रीय राजमार्ग-730 का चौड़ीकरण एवं सुदृढ़ीकरण किये जाने की योजना है, जिसका शिलान्यास भी केंद्रीय मंत्री ने किया। 19 किलोमीटर लम्बाई के इस राजमार्ग पर करीब 69.67 करोड़ रुपये की लागत आयेगी। इसके अलावा सिद्धार्थनगर ज़िले में करीब 209 करोड़ की लागत से बढऩी से कटाया चौक खण्ड तक 35 किलोमीटर लम्बे राष्ट्रीय राजमार्ग का चौड़ीकरण और इसके उन्नयन का काम पूरा हो चुका है। इस परियोजना का लोकार्पण भी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने किया। इन विकास योजनाओं के लोकार्पण और शिलान्यास की पुष्टि ज़िलाधिकारी के. विजयेंद्र पाण्डियन पहले ही कर चुके हैं।
गोरखपुर के विकास में मुख्यमंत्री योगी के प्रयास
गडकरी के सडक़ सुधार कार्यक्रमों के एक साल पहले ही उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गोरखपुर और सहजनवां के नागरिकों को 122 करोड़ की लागत से बनने वाली 177 विकास परियोजनाओं का ऑनलाइन शिलान्यास कर चुके हैं। दरअसल मुख्यमंत्री गोरखपुर के विकास में काफी समय से प्रयासरत हैं और चाहते हैं कि गोरखपुर की एक अलग पहचान बने। लेकिन उनके कार्यों में कुछ लोच तब नज़र आयी, जब उन्होंने अपने वर्चुअल कार्यक्रम में यह कहा था कि नकारात्मक सोच गोरखपुर के विकास में बाधा है। हालाँकि उन्होंने यह भी कहा था कि गोरखपुर के बारे में गलत धारणा से हमें बाहर निकलना है और कला, संस्कृति तथा आध्यात्म के इस महत्त्वपूर्ण केंद्र में विकास की आस को वह पूरा करेंगे। उन्होंने यह भी कहा था कि प्रदेश सरकार जिस नये गोरखपुर को आकार दे रही है, उसमें हर गली विकास की रोशनी से रोशन होगी। उन्होंने शहर को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से लेकर चिडिय़ाघर और खाद कारखाने की सौगात देने तक का वादा किया था। लेकिन अगर सरकार इन योजनाओं पर पूरी लगन से काम करती है, तो भी गोरखपुर वासियों को अभी ये सौगातें मिलने में शायद वक्त लगेगा।
क्या सैफई की तर्ज पर होगा गोरखपुर का विकास
कुछ लोगों का मानना है कि अपने संसदीय क्षेत्र सैफई का विकास करके मुलायम सिंह ने अपने क्षेत्र में एक चमक कायम की थी। अब योगी आदित्यनाथ भी अपने क्षेत्र गोरखपुर का विकास करके अपना चेहरा चमकाना चाहते हैं। सैफई के बारे में कहा जाता है कि यह एक गाँव है और आज विकास की ऐसी-ऐसी सुविधाएँ यहाँ हैं, जो अच्छे-अच्छे शहरों में नहीं हैं। हालाँकि सैफई को वीवीआईपी ग्राम पंचायत बनाने के पीछे सपा नेता मुलायम सिंह यादव के मित्र दर्शन सिंह का अहम योगदान माना जाता है। बताते हैं कि जब मुलायम सिंह ने सियासत में कदम रखा था, तब हर कदम पर उनका साथ देने वाले उनके मित्र दर्शन सिंह ही थे। आज सैफई में आधुनिक अस्पताल, चिकनी-चौड़ी सडक़ें और अच्छे स्तर का कॉलेज आदि सब है। सियासत के जानकारों का मानना है कि योगी आदित्यनाथ भी गोरखपुर का इसी तरह विकास करके अपने को विकास पुरुष बनाने की होड़ में लगे हुए हैं।
जो भी हो फिलहाल तो गोरखपुर के लोगों को विकास की काफी ज़रूरत है। क्योंकि पिछले साल गोरखपुर विकास प्राधिकरण (जीडीए) शहर के चारों तरफ अपनी सीमा का विस्तार करने की बात कही थी, जो अभी तक नहीं हो सका है। हो सकता है कि सडक़ों के विकास से इस परियोजना में पंख लग जाएँ। माना जा रहा था कि गोरखपुर की सीमा से लगे उसके 222 गाँव प्राधिकरण के दायरे में आ जाएँगे, जिससे उनका काफी विकास होगा। अब सडक़ों के विकास की खबर से गोरखपुर शहर के आसपास के गाँवों के लोगों में विकास की फिर एक उम्मीद जगी है। हालाँकि जीडीए ने महायोजना 2041 के निर्माण की तैयारी काफी पहले ही शुरू कर दी है; लेकिन अभी वह पूरी तरह परवान नहीं चढ़ी है। उम्मीद है कि जीडीए दो दशक तक इसे पूरा कर सके, क्योंकि जीडीए ने इस कार्य की घोषणा करते समय यह भी कहा था कि अगले 20 वर्षों में शहर के नियोजित विकास की रूपरेखा तैयार करने के साथ ही सीमा विस्तार का भी काम होगा। इस महायोजना की ही वजह से लम्बे समय से लटके 1700 एकड़ के विनियमित क्षेत्र के भी नियमित हो जाने के आसार हैं। बता दें कि तत्कालीन डीएम एवं गोरखपुर विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष रहे रवि कुमार एनजी ने पाँच साल पहले ही जीडीए का दायरा बढ़ाने को लेकर अच्छी पहल की थी; लेकिन सन् 2014 के लोकसभा चुनाव के खत्म होते ही उनका तबादला हो गया, जिसके चलते यह मामला ठंडा पड़ गया था। अब मुख्यमंत्री आदित्यनाथ से लोगों को इस परियोजना को पंख लगाने की उम्मीद है।
अभी भी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं गोरखपुर के गाँव
योगी आदित्यनाथ को उत्तर प्रदेश का मुख्यमंत्री बने हुए करीब चार साल बीत चुके हैं। गोरखपुर क्षेत्र के लोगों को भरोसा है कि मुख्यमंत्री इसी क्षेत्र के हैं और वे इस क्षेत्र और क्षेत्र के लोगों से बहुत लगाव रखते हैं, इसलिए अब इस क्षेत्र की काया पलटेगी। हालाँकि पिछले चार साल में जिस गति से गोरखपुर ज़िले और उसके गाँवों का विकास हो रहा है, उसे विकास की अच्छी रफ्तार नहीं कहा जा सकता। गोरखपुर ज़िले के कई गाँव अभी भी ऐसे हैं, जहाँ विकास तो दूर मूलभूत सुविधाओं की बेहद कमी है। कई गाँवों की कच्ची-पक्की सडक़ें अभी भी बदहाल पड़ी हैं और बिजली अभी भी 24 घंटे नहीं आती। कृषि के लिहाज़ से देखें, तो भी यहाँ की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। ऐसे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को यह देखना होगा कि उनके इस क्षेत्र का विकास तेज़ी से हो। उनके ही क्षेत्र का क्यों? वह पूरे प्रदेश के मुखिया हैं और उनकी ज़िम्मेदारी बनती है कि वह पूरे प्रदेश का विकास सुनिश्चित करें; ताकि उत्तर प्रदेश के लोग खुशहाल ज़िन्दगी जी सकें।
गोरखपुर पर गडकरी इतने मेहरबान क्यों
गोरखपुर में सडक़ों के सौंदर्यीकरण को लेकर भी अब वहाँ सियासत होने लगी है। कुछ सियासी लोगों और जानकारों का मानना है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ काफी समय से अपने को राष्ट्रीय नेता बनाने की कोशिश में लगे हुए हैं। ऐसे में अपने क्षेत्र में कुछ विकास कार्य कराकर वह गोरखपुर का नाम चमकाना चाहते हैं, ताकि उन्हें विकास पुरुष का तमगा मिल सके। हालाँकि योगी आदित्यनाथ के समर्थकों का कहना है कि ऐसा नहीं है। गोरखपुर के साथ-साथ पूरे प्रदेश के विकास के लिए योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बनने के बाद से ही लगे हुए हैं। यह उन्हीं के अथक प्रयासों का नतीजा है कि आज गोरखपुर में विकास की गंगा बहने लगी है। इन लोगों का कहना है कि अभी तो गोरखपुर के विकास की शुरुआत समझो, जल्द ही गोरखपुर के विकास की चर्चा देश भर में होगी।