अगर सही मायने में कांग्रेस को भाजपा और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जैसे वक्ता का सामना करना है और तमाम कांग्रेस के ऊपर लगे आरोपों से बचना है, तो गांधी परिवार को ही गैर गांधी परिवार के युवा कांग्रेसी नेता को कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनना होगा । जिन 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखे है, उस पर गौर ना करके देश की राजनीति को भांप कर मोदी सरकार का सामना करें। तो निश्चित ही कांग्रेस का भला होगा।
कांग्रेस एक के वरिष्ठ नेता ने तहलका संवाददाता को बताया कि राहुल गांधी एक नेक इरादों वाले नेता है , उनकी मेहनत और देश के प्रति वफादारी पर किसी को कोई शक नहीं है। पर वे मोदी के मुकाबले प्रखर वक्ता नहीं है । ऐसे में हिन्दी भाषी क्षेत्र से जमीनी नेता को अगर कांग्रेस मौका देती है । तो निश्चित ही वो तमाम आरोपों से बच सकती है। जैसे कांग्रेस पर जो परिवारवाद का आरोप लगता है, उससे बच सकती है। क्योंकि देश की मौजूदा राजनीति का मिजाज बदला हुआ है। ऐसे में उसी मिजाज में सेंध लगाने की जरूरत है ना कि पार्टी के अंदर ही पुराने वफादार नेताओँ को शक की नजर से देखने की जरूरत है। जैसे इस समय देश में जब भी कांग्रेस मोदी सरकार पर आरोप लगाती है तो सरकार पलटवार करने में देरी नहीं करती है। कांग्रेस- मोदी सरकार पर प्रेस की आजादी पर जब भी आरोप लगाती है ,तो सरकार पल भर में इंदिरा गांधी के आपातकाल का प्रचार –प्रसार कर कांग्रेस को चुप कर देती और कठघडें में ही खडा कर देती है। इसी तरह मोदी सरकार द्वारा जो चीन को लेकर जो लीपा –पोती का आरोप कांग्रेस के नेता लगाते है, तो मोदी सरकार आक्रामक होकर कांग्रेस की गलतियों को नतीजा बताकर कांग्रेस पर हमलावर होकर और जबाब देती है कि 1962 में जवाहरलाल नेहरू ने ही चीन के समर्पण किया था ।
ऐसे तमाम सवालों से घिरी कांग्रेस हमलावर ना होकर खुद जबाबों से ज्यादा सवालों से घिर जाती है। गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष होने से कांग्रेस के साथ पूरा गांधी परिवार कई आरोपों से बच सकता है और सरकार को सीधे गांधी परिवार पर हमला करने में दिक्कत होगी ।क्योंकि मौजूदा दौर में देश कई संकटों से जूझ रहा है, जैसे कोरोना महामारी के कारण आर्थिक सकंट, बेरोजगारी और स्वास्थ्य सेवाओं संकट आदि जैसे तमाम सवाल है जिसमें मोदी सरकार को घेरा जा सकता है। बताते चले 2014 में केन्द्र की सत्ता से कांग्रेस के बाहर होने के बाद लगातार पार्टी मुश्किलों के दौर से गुजर रही है। कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी स्वस्थ्य नहीं है और राहुल गांधी दोबारा जिम्मेदारी उठाने के लिये तैयार नहीं है। ऐसे में कांग्रेस के सामने एक अवसर व मौका है जिसकी सियासत में जरूरत है कि गैर गांधी परिवार को फिलहाल मौका मिलना चाहिये ताकि एक नया संदेश जा सकें कि कांग्रेस में सभी को अवकर मिलता है।ये सर्वविदित है कि कांग्रेस का अस्तित्व गांधी परिवार की निष्ठा के बिना नहीं है। और जो भी गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष बनेगा उसकी डोर भी गांधी परिवार के हाथ ही होगी। ऐसे में कांग्रेस को नया अध्यक्ष चुनने में देरी नहीं करनी चाहिये।