अजीब बिडम्वना है कि एक तरफ कोरोना और ओमिक्रोन को लेकर स्वास्थ्य महकमें के साथ–साथ सरकार इस बात का दावा कर रही है कि कोरोना और ओमिक्रोन के मरीजों को किसी भी प्रकार की कोई परेशानी नहीं होगी, मरीजों को पर्याप्त इलाज मिलेंगा। वहीं दूसरी तरफ सरकार कोरोना और ओमिक्रोन के अलावा अन्य रोग से पीड़ित मरीजों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाओं को नजरअंदाज कर रही है।
दिल्ली में केन्द्र सरकार, दिल्ली सरकार और दिल्ली नगर निगम के अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली दवाओं का टोटा है। जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानी हो रही है। हेल्थ सेक्टर में काम करने वाले और स्वास्थ्य जागरूकता अभियान से जुड़े पीयूष जैन का कहना है कि, दिल्ली मौजूदा समय में एक साथ कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रही है। एक तो कोरोना, ओमिक्रोन, वायु प्रदूषण, डेंगू और साथ-साथ सरकारी अस्पतालों में मरीजों को मिलने वाली दवाओं की कमी से जूझ रही है।
उनका कहना है कि कोरोना एक संक्रमित बीमारी है। उससे बचाव और उपचार पर सरकार ध्यान दें। लेकिन जो मरीज हार्ट, कैंसर, लीवर, किड़नी के अलावा अन्य रोग से पीड़ित है। उनके उपचार वाधा न डाला और न ही उनके उपचार को नजरअंदाज करें। क्योंकि कोरोना और ओमिक्रोन का भय दिखाकर अन्य रोग से पीड़ित मरीज जो भर्ती है। उनको लेकर उपेक्षा के मामलें कई सामने आ रहे है।
कई अस्पतालों में तो ये भी चर्चा डाक्टरों के बीच है कि अगर कोरोना और ओमिक्रोन के मामलें बढ़ते है। तो अन्य रोग से पीड़ित मरीजों के बार्डे को खाली कराया जा सकता है। ऐसे हालात में गैर कोरोना रोगियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।दिल्ली स्टेट प्रोग्राम अधिकारी (एनसीसीएचएच) डाँ भारत सागर का कहना है कि दिल्ली सरकार कोरोना और ओमिक्रोन से निपटने के लिये हर संभव प्रयास कर रही है। ताकि कोरोना और ओमिक्रोन के रोका जा सकें ।डाँ भरत सागर का कहना है कि इस बात पर भी गौर किया जा रहा है कि गैर कोरोना रोगियों को किसी प्रकार की कोई दिक्कत न हो सभी रोगियों को बेहत्तर स्वास्थ्य सेवायें मिल सकें।