केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने देश भर में हो रहे नागरिकता संशोधन क़ानून विरोधी प्रदर्शनों को लेकर आपात बैठक बुलाई है। इसमें वरिष्ठ अधिकारी ज़मीनी हालत की जानकारी उन्हें देंगे। यह बैठक शाम तक होने की संभावना है।
माना जा रहा है कि लखनऊ में हुई हिंसा से शाह चिंतित हैं। इसके अलावा इन प्रदर्शनों को जिस तरह आम लोगों का समर्थन मिल रहा है उससे भी सरकार के स्तर पर चिंता बड़ी है। मुंबई में ५०० संगठनों कसे जुड़े लोग इस समय बड़े पैमाने पर एकजुट होकर प्रदर्शन कर रहे हैं। महाराष्ट्र सरकार और मुंबई प्रशासन ने इन प्रदर्शनों की इजाजत दी है।
आज की बैठक में गृह मंत्री शाह पूरे देश में चल रहे प्रदर्शनों की रिपोर्ट मांग सकते हैं ताकि इस पर चर्चा हो सके। एक दिन पहले ही शाह ने साफ़ कर दिया था कि सरकार किसी भी सूरत में नागरिकता संशोधन क़ानून के विरोध में हो रहे प्रदर्शनों के सामने नहीं झुकेगी। इसके आलावा आज (गुरूवार) ही भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी साफ़ कहा है कि सरकार अब एनआरसी लेकर आएगी।
लखनऊ की हिंसा से जाहिर होता है कि राज्य प्रशासन को इसकी उम्मीद नहीं थी न ही उसकी इससे निपटने की कोइ तैयारी थी। यह कहा जाता है कि शाह, खासकर लखनऊ में हुई हिंसा से चिंतित हैं। वहां बड़े पैमाने पर हिंसा/आगजनी हुई है।
सबसे बड़ी बात यह है कि दिल्ली या उत्तर प्रदेश में हो रहे विरोध प्रदर्शनों का नेतृत्व कोइ राजनीतिक दल नहीं कर रहा बल्कि समें आम लोग जुड़े हैं और यह सभी धर्मों से हैं। भाजपा भले इसे गुंडागर्दी और कांग्रेस सहित विपक्ष की ”साजिश” कह रही हो, सच यह है कि बड़े पैमाने पर आम लोग अपने स्तर पर इस क़ानून के खिलाफ सड़क पर उतर रहे हैं।