मध्य प्रदेश के गुना ज़िले में भूमि से कब्ज़ा हटाने को लेकर प्रशासन-पुलिस द्वारा दलित परिवार पर बर्बरतापूर्ण कार्यवाही का वीडियो सामने आने के बाद पूरे प्रदेश में राजनीतिक सरगर्मी और आक्रोश का माहौल बन गया है। इस मामले में एक तरफ जहाँ राजनीतिक पाॢटयाँ दलित वोट बैंक को पाने के लिए सहानुभूति की होड़ कर रही हैं, वहीं दूसरी ओर दलित-आदिवासी समाज के लोग भी प्रशासन-पुलिस की इस बर्बर कार्रवाई से आक्रोशित हैं। ज्ञात हो कि 14 जुलाई 2020 को भूमि से कब्ज़ा हटाने के दौरान खेत में खड़ी फसल को बर्बाद किये जाने तथा पुलिस द्वारा बर्बर तरीके से मारपीट किये जाने से दलित दम्पति राजकुमार अहिरवार और सावित्रीबाई ने कीटनाशक पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।
क्या है मामला
गुना में मॉडल कॉलेज के निर्माण के लिए शासकीय कॉलेज प्रबन्धन को जगनपुर चक क्षेत्र में 20 बीघा ज़मीन आवंटित की गयी थी। ज़मीन पर काफी लम्बे समय से गब्बू पारदी नाम के व्यक्ति का कब्ज़ा था। गब्बू पारदी ने राजकुमार अहिरवार को ज़मीन बटाई पर दी थी।
जानकारी के अनुसार, 14 जुलाई दोपहर को अचानक गुना नगर पालिका का अतिक्रमण हटाओ दस्ता एसडीएम के नेतृत्व में पहुँचा और राजकुमार द्वारा बोई गयी फसल पर जेसीबी चलवाना शुरू कर दिया। दम्पति अपने सात बच्चों तथा अन्य परिजनों के साथ प्रशासन-पुलिस अफसरों के सामने हाथ जोडक़र फसल बर्बाद न करने का अनुरोध किया। उसका कहना था कि चार लाख रुपये कर्ज़ लेकर इस भूमि पर बोवनी (बुआई) कर चुका है। अगर फसल उजड़ी तो वह बर्बाद हो जाएगा। जब ज़मीन खाली पड़ी थी, तो कोई नहीं आया। अब फसल अंकुरित हो आयी है। इस पर बुल्डोजर न चलाया जाए। मेरे परिवार में 10-12 लोग हैं। मेरे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है। अत: यह प्रक्रिया फसल कटने के बाद पूरी कर लेना। लेकिन दलित किसान की फरियाद किसी ने नहीं सुनी। दलित दम्पति ने अधिकारियों को रोका, तो पुलिस ने उन पर बुरी तरह लाठियाँ बरसानी शुरू कर दीं।
बताया जाता है कि जब राजकुमार की नहीं सुनी गयी, तो उससे देखा नहीं गया। वह खेत में बनी अपनी झोंपड़ी में गया और वहाँ बोतल में रखा कीटनाशक पी लिया। अधिकारी कहने लगे, यह तो नाटक कर रहे हैं। काफी देर तक दोनों खेत में ही पड़े रहे। बाद में पुलिस ने उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया, जहाँ उनका इलाज चल रहा है। उधर राजकुमार का छोटा भाई शिशुपाल अहिरवार आया उसने विरोध किया, तो पुलिस ने उस पर भी लाठियाँ बरसायीं और उसे लातों से भी मारा। शिशुपाल अहिरवार ने बताया कि छोटे बच्चों को भी पुलिस वालों ने उठाकर दूर फेंक दिया।
वीडियो वायरल होने पर घिरी सरकार
जब प्रशासन-पुलिस की इस असंवेदनशील भूल और लाठी बरसाते, किसान के ज़हरीला कीटनाशक पीते हुए वीडियो वायरल हुए, तो विपक्ष समेत अनेक सामाजिक संगठनों ने भी इस मामले पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की और सरकार को घेरने का प्रयास किया। वहीं दूसरी ओर मुख्यमंत्री तथा गृहमंत्री ने शीघ्र एक्शन लिया और मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गुना के कलेक्टर और एसपी को हटा दिया तथा मामले की जाँच के आदेश दे दिये।
मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने ट्वीट किया- ‘यह शिवराज सरकार प्रदेश को कहाँ ले जा रही है? यह कैसा जंगल राज है? गुना में कैंट थाना क्षेत्र में एक दलित किसान दम्पति पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मियों द्वारा इस तरह बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज।’ कमलनाथ ने दो और ट्वीट कर सरकार पर हमला बोला। दूसरे ट्वीट में लिखा- ‘यदि पीडि़त युवक का ज़मीन सम्बन्धी कोई शासकीय विवाद है, तो भी उसे कानूनन हल किया जा सकता है; लेकिन इस तरह कानून हाथ में लेकर उसकी, उसकी पत्नी की, परिजनों की और मासूम बच्चों तक की इतनी बेरहमी से पिटाई! यह कहाँ का न्याय है? क्या यह सब इसलिए कि वह एक दलित परिवार से है? गरीब किसान है? क्या ऐसी हिम्मत इन क्षेत्रों में तथाकथित जनसेवकों व रसूखदारों द्वारा कब्ज़ा की गयी हज़ारों एकड़ शासकीय भूमि को छुड़ाने के लिए भी शिवराज सरकार दिखायेगी? ऐसी घटना बर्दाश्त नहीं की जा सकती है। इसके दोषियों पर तत्काल कड़ी कार्यवाही हो, अन्यथा कांग्रेस चुप नहीं बैठेगी।’ कमलनाथ ने जाँच दल गठित करके मामले की पड़ताल के लिए गुना भेजा। जाँच दल ने पीडि़तों को न्याय दिलाने के लिए 9 बिन्दुओं की रिपोर्ट तैयार की, जिसमें मामले की जाँच सिटिंग जज से कराने, एट्रोसिटी एक्ट तहत दोषियों पर कार्यवाही करने, पीडि़त परिवार पर दर्ज प्रकरण वापस लेने, उसे नष्ट फसल का मुआवज़ा देने, कर्ज़ चुकाने, दो हेक्टेयर ज़मीन का पट्टा एवं आवास देने, इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज रेफर करने समेत कुछ अन्य बिन्दु थे। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने पीडि़तों को डेढ़ लाख रुपये सहायता राशि भी देने की घोषणा की है।
इसी बीच मध्य प्रदेश के गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने अपने ट्वीटर अकाउंट पर लिखा- ‘गुना के वीडियो को देखकर व्यथित हूँ। इस तरह की घटनाओं से बचा जाना चाहिए।’ उन्होंने जारी वीडियो में कहा कि मुख्यमंत्री (शिवराज सिंह) ने मामले में उच्चस्तरीय जाँच के आदेश दिये हैं, भोपाल से अधिकारी जाकर जाँच करेंगे और यह देखेंगे कि कौन दोषी है? दोषी पर क्या कार्रवाई हुई? इसकी रिपोर्ट देंगे।
सामाजिक संगठनों ने भी जतायी नाराज़गी
इस घटना के मध्य प्रदेश के अनेक सामाजिक संगठनों ने भी नाराज़गी जतायी और सरकार से दोषियों पर कार्यवाही करने की माँग की। मध्य प्रदेश में आदिवासियों-दलितों के पक्षधर और जयस संगठन के राष्ट्रीय संरक्षक एवं धार ज़िले के मनावर विधान सभा क्षेत्र से विधायक डॉ. हिरालाल अलावा ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर दोषियों पर एट्रोसिटी एक्ट के तहत कार्यवाही करने तथा पाँच लाख रुपया मुआवज़ा देने की माँग की। वहीं अहिरवार महासंघ, बलाई महासंघ समेत अनेक सामाजिक संगठनों ने भी मुख्यमंत्री से कार्यवाही की माँग की है।
उप चुनाव में प्रभावित होगा दलित वोट बैंक
मध्य प्रदेश में 25 से ज़्यादा विधानसभा सीटों पर जल्द ही उप चुनाव होने वाले हैं। ऐसे में यह मामला उप चुनाव को निश्चित ही प्रभावित करेगा; खासतौर से दलित वोट बैंक को। राजनीतिक पाॢटयाँ दलित वोट बैंक पाने के लिए सहानुभूति की होड़ में लगी हैं। सत्ताधारी भाजपा सरकार को जहाँ दलित वोट बैंक खिसकने का डर हैं, वहीं कांग्रेस भी दलित वोट बैंक हासिल करने के लिए भाजपा की तरह सहानुभूति की होड़ में लगी है।