गुजरात में मोदी का जादू

इस बार के ‘तहलका’ के अंक में हमारी विशेष रिपोर्ट गुजरात और हिमाचल विधानसभा के चुनाव नतीजों में भाजपा और कांग्रेस की जीत पर है। हालाँकि गुजरात में यह पहले से तय दिख रहा था; लेकिन जिस आसानी और अन्तर से भाजपा ने जीत हासिल की, वह नि:सन्देह यह साबित करता है कि गृह राज्य में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन अपील न केवल बरक़रार है, बल्कि और बढ़ी है। नतीजों के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया- ‘धन्यवाद गुजरात’। उन्होंने आगे लिखा- ‘अभूतपूर्व चुनाव परिणामों को देखकर मैं अभिभूत हूँ। लोगों ने विकास की राजनीति को आशीर्वाद दिया और साथ ही इच्छा व्यक्त की कि वे इस गति को चाहते हैं। मैं गुजरात की जन शक्ति को नमन करता हूँ।’

गुजरात के इस नतीजे की गूँज कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में साल 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव में सुनी जा सकती है। हालाँकि यहाँ यह भी दिलचस्प है कि हिमाचल के विधानसभा चुनाव में भाजपा को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा आगे करने के बावजूद हार का सामना करना पड़ा। गुजरात में लाभ पाने वाली दूसरी लाभार्थी आम आदमी पार्टी (आप) है, जिसने शून्य लोकसभा सांसदों के साथ भी राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल कर लिया है। यह कोई छोटी बात नहीं है कि आम आदमी पार्टी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह राज्य गुजरात को एक राष्ट्रीय पार्टी बनने के लिए चुना, जहाँ उसे जबरदस्त उछाल के साथ 12.9 फ़ीसदी वोट मिले। नियमों के अनुसार, एक राजनीतिक दल को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा पाने के लिए चार राज्यों में कम-से-कम छ: फ़ीसदी वोट शेयर की आवश्यकता होती है। आम आदमी पार्टी पंजाब और दिल्ली में सत्ता में है और उसके पास गोवा में दो विधायक हैं। गुजरात में भी उसने पाँच सीटें जीतीं। इससे अब इस तेज़ी से उभरती पार्टी की विस्तार योजनाओं को बल मिल सकता है।

आम आदमी पार्टी ने 15 साल तक दिल्ली नगर निगम की सत्ता में रहने वाली भाजपा को भी इस बार दिल्ली की इस छोटी सत्ता से बाहर करके राष्ट्रीय राजधानी में पहली बार नागरिक निकाय का नियंत्रण अपने हाथों में ले लिया। आम आदमी पार्टी ने 250 वार्डों में से 134 पर जीत हासिल की, जबकि भाजपा को 104 सीटें मिलीं और कांग्रेस सिर्फ नौ के साथ तीसरे स्थान पर रही। कांग्रेस को भी कई राज्य गँवाने के बाद पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में पूर्ण बहुमत के साथ एक बार फिर से सत्ता मिल गयी। उसने वहाँ अपने मुक़ाबले में खड़ी भाजपा को हराया। कांग्रेस पार्टी ने करीब चार साल और 18 हार और कई नेताओं के भाजपा में चले जाने के बाद हिमाचल प्रदेश में बड़ी जीत हासिल की है। वह भी ऐसे समय में, जब जीत के लिए तड़प रही कांग्रेस को सब कुछ खो गया लग रहा था। इतना शोर मचाने के बावजूद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हिमाचल में अपना खाता तक नहीं खोल पायी। उसके सबसे प्रमुख चेहरे लोकसभा के पूर्व सदस्य राजन सुशांत सहित सभी 68 उम्मीदवारों को अपनी जमानत गँवानी पड़ी। उसे कुल वैध मतों (वोटों) में से जमानत बचाने के लिए ज़रूरी 16.7 फ़ीसदी मत नहीं मिल सके।

‘तहलका’ के इस अंक की कवर स्टोरी विशेष जाँच दल (एसआईटी) के लगातार किये गये ख़ुलासे के अनुरूप, ‘नाबालिग़ों तक हुक्का’ है, जिससे उजागर होता है कि कैसे प्रतिबंध के बावजूद नाबालिग़ों को हुक्का बारों में आसानी से तम्बाकू मिल जाता है। ऐसे हुक्का बार भारत भर में महानगरों और टियर-II शहरों (द्वितीय श्रेणी के शहरों) में तेज़ी से बढ़ रहे हैं।