बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री, जिसमें 2002 के गुजरात दंगों को लेकर हंगामा मचा हुआ है, को लेकर सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को एक याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है। गुजरात दंगों पर बीबीसी की इस डॉक्यूमेंट्री पर रोक को लेकर सर्वोच्च अदालत में याचिका दायर की गयी है।
सर्वोच्च अदालत ने आज एन राम, महुआ मोइत्रा, प्रशांत भूषण और एमएल शर्मा की याचिकाओं पर केंद्र सरकार को यह नोटिस जारी किया। बता दें कुछ दिन पहले गुजरात दंगों को लेकर पीएम मोदी पर बनाई गई बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री पर केंद्र सरकार ने प्रतिबंधित लगा दिया था जिसे सर्वोच्च अदालत में चुनौती दी गई है।
आज न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एमएम सुंदरेश की पीठ ने वरिष्ठ पत्रकार एन राम, टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा, वकील प्रशांत भूषण और वकील एमएल शर्मा की याचिकाओं पर सुनवाई की। इस दौरान याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील सीयू सिंह ने ट्विटर से लिंक हटाए जाने का हवाला दिया जिसपर न्यायालय ने कहा कि ‘हम सरकार से इससे जुड़े आदेश की फाइल मांग रहे हैं’।
आज सुनवाई के दौरान जस्टिस संजीव खन्ना ने याचिकाकर्ताओं के वकील से सवाल किया कि आप इसके लिए हाई कोर्ट क्यों नहीं गए ? कोर्ट को सीयू सिंह ने बताया कि सरकार को इस तरह की शक्ति देने वाले कानून को चुनौती सुप्रीम कोर्ट में लंबित है। इस पर पीठ ने कहा कि ठीक है, हम नोटिस जारी कर रहे हैं और अप्रैल में इस मामले पर सुनवाई होगी।
बेंच के आदेश के बाद सीयू सिंह ने कोर्ट से जल्दी सुनवाई की मांग की और तर्क दिया कि लोगों पर डॉक्यूमेंट्री के प्रदर्शन के लिए कार्रवाई हो रही है। दलील पर पीठ ने कहा कि यह अलग मसला है। लोग तो फिर भी डॉक्यूमेंट्री देख ही रहे हैं।
याद रहे बीबीसी ने ‘इंडिया: द मोदी क्वेश्चन’ नाम से डॉक्यूमेंट्री बनाई है और दो हिस्सों की इस डॉक्यूमेंट्री के पहले हिस्से के आते ही विवादों में घिर गई थी। इसमें 2002 के गुजरात दंगों के दौरान तत्कालीन मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। डॉक्यूमेंट्री में दावा किया गया है कि यह गुजरात दंगों के दौरान की गई कुछ पहलुओं की जांच रिपोर्ट का हिस्सा है जबकि मोदी सरकार इसे ‘प्रोपेगैंडा पीस’ बता रहा है। कांग्रेस सहित विपक्ष सरकार के बैन के फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहा है।