गुजरात दंगों के मामले में उस समय राज्य के मुख्यमंत्री और अब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘क्लीन चिट’ देने वाली विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट के खिलाफ जाकिया जाफरी की याचिका सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को खारिज कर दी। लम्बी चली सुनवाई के बाद 9 दिसंबर, 2021 को सर्वोच्च अदालत ने अपना फैसला सुरक्षित रखा था। सर्वोच्च अदालत ने
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रवि कुमार की पीठ यह फैसला सुनाया। सर्वोच्च अदालत ने आज राज्य के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को मिली क्लीन चिट को बरकरार रखा है। अदालत ने 2002 दंगों के पीछे ‘बड़ी साजिश’ की जांच से इनकार करते हुए दिवंगत कांग्रेस नेता जाकिया जाफरी की याचिका खारिज कर दी। फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जाकिया की अपील में कोई मेरिट नहीं है।
याद रहे यह याचिका जाकिया जाफरी ने दायर की थी जिनके पति कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी की 2002 के गुजरात दंगों के दौरान गुलबर्ग हाउसिंग सोसाइटी हत्याकांड में मौत हो गयी थी। जाफरी ने एसआईटी की रिपोर्ट को सर्वोच्च अदालत में चुनौती वाली याचिका दायर की थी।
एसआईटी ने अपनी रिपोर्ट में गोधरा हत्याकांड के बाद सांप्रदायिक दंगे भड़काने में राज्य के उच्चाधिकारियों की किसी भी ‘साजिश’ को खारिज किया गया था। साल 2017 में गुजरात हाई कोर्ट ने एसआईटी की क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ जकिया की विरोध शिकायत को मजिस्ट्रेट द्वारा खारिज करने के खिलाफ उसकी चुनौती को खारिज कर दिया था।
इन दंगों में उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘क्लीन चिट’ देने के खिलाफ याचिका का एसआईटी और गुजरात सरकार ने विरोध किया है। दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी ने जाकिया जाफरी के बड़ी साजिश के आरोपों को नकारा है। एसआईटी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि इस मामले में एफआईआर या चार्जशीट दर्ज करने के लिए कोई आधार नहीं मिला।
उधर जाकिया जाफरी ने एसआईटी पर आरोपियों के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया है। पिछली सुनवाई में सर्वोच्च अदालत ने इस पर आपत्ति जताई थी। कोर्ट ने कहा सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित एसआईटी के लिए मिलीभगत एक कठोर शब्द है।
जाकिया जाफरी की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने कहा था कि जब एसआईटी की बात आती है तो आरोपी के साथ मिलीभगत के स्पष्ट सबूत मिलते हैं। राजनीतिक वर्ग भी सहयोगी बन गया है। एसआईटी ने मुख्य दस्तावेजों की जांच नहीं की।