ढेरों सवालों / आरोपों को अपने ऊपर ओढ़े हुए यह नये दौर की पत्रकारिता है; टीआरपी और राजनीति की स्याही में गहरे से भीगी पत्रकारिता! इसमें देशभक्ति के नाम पर राजभक्ति है। यानी अब पत्रकारिता की परिभाषा भरोसे की चिन्दी-चिन्दी है। इसका प्रमाण देश की सुरक्षा से जुड़ी खुफिया जानकारियों पर व्हाट्स ऐप चैट्स में अर्नब-पार्थो के लगते शाब्दिक अट्टहास से मिल जाता है। टीआरपी और राजनीतिक आकाओं की बदौलत कैसे कोई पत्रकार दिखावटी देशभक्ति का ड्रामा करता है, यह रिपब्लिक चैनल के प्रमुख अर्नब गोस्वामी गोस्वामी और ब्राडकॉस्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (बार्क) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी पार्थो दासगुप्ता के बीच हुए कथित व्हाट्स ऐप चैट्स से ज़ाहिर हो जाता है, जो अब लीक हो चुकी हैं। यह व्हाट्स ऐप चैट्स 10-20 नहीं हैं। इनकी संख्या इतनी है कि करीब 500 पृष्ठों में आयी है। इन लीक व्हाट्स ऐप चैट्स से कई सवाल पत्रकारिता पर तो उठे ही हैं, राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर भी उठे हैं। आने वाले समय में कुछ और चैट्स लीक हो सकती हैं। दिलचस्प यह भी है कि इस लीक चैट्स का खण्डन अभी तक न तो सरकार ने किया है और न ही अर्नब ने; भले ही इसे जोड़कर कुछ और बातें कही गयी हों।
कश्मीर में कुछ बड़ा होगा! मतलब क्या है? अर्नब गोस्वामी की चैट के इस हिस्से को कश्मीर में अनुच्छेद-370 को खत्म करने से जोड़कर देखा जा रहा है। मोदी नीत केंद्र सरकार ने 5 अगस्त, 2019 को जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्ज़ा खत्म करके उसे दो हिस्सों में बाँट दिया। कुछ चैट्स 2019 की हैं, जब लोकसभा चुनाव को कुछ महीने थे और इसके बाद ही पुलवामा में भारत के वीर जवानों ही शहादत हुई थी और बालाकोट में भारतीय वायुसेना की कार्रवाई हुई थी। कांग्रेस ने एक पत्रकार वार्ता करके इस सारे मामले की जाँच की माँग की है और इसे देशद्रोह बताया है। कांग्रेस ने कहा है कि इस तरह किसी दुश्मन देश पर हमला करने की एडवांस जानकारी केबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) के पाँच सदस्यों और सरकार में एक-दो टॉप के लोगों को ही होती है। इसके बाद हमला कब होना? कहाँ होना है? यह निर्णय वायुसेना लेती है। ऐसे में यह बहुत गम्भीर बात है और सवाल उठता है कि एक निजी चैनल के पत्रकार अर्नब को यह महत्त्वपूर्ण जानकारी किसने दी?
सुरक्षा फैसलों, और वह भी दूसरे देश में सैन्य कार्रवाई के मामले में देश के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ कि उसकी जानकारी कभी किसी पत्रकार के पास पहले से आ गयी हो और वह उसे बड़े लापरवाह तरीके से सोशल मीडिया पर किसी अन्य से साझा कर रहा हो। दूसरे बालाकोट और पुलवामा से जुड़ी जानकारी को लेकर अर्नब और दासगुप्ता की कथित लीक चैट्स में जो बातें कही गयी हैं, उनको लेकर भी ढेरों सवाल उठाते हैं। इसमें ‘बिग मैन’ को लाभ मिलने की बात की गयी है, जिससे बड़ा विवाद पैदा हो गया है। यह माना जा रहा है कि इसमें बिग मैन शब्द प्रधानमंत्री के लिए इस्तेमाल किया गया है, अर्थात् बालाकोट और पुलवामा से उन्हें (भाजपा, विशेषकर प्रधानमंत्री मोदी को) 2019 के लोगसभा चुनाव में राजनीतिक लाभ मिलने की सम्भावना जतायी गयी है। वरना इस तरह के सैन्य अभियान या भारतीय सैनिकों की आतंकवादियों के हाथों शहादत को पहले से ही क्यों बिग मैन को लाभ मिलने से जोड़ा गया है? क्या यह सब पहले से ही तय था? क्योंकि दोनों घटनाएँ 2019 के लोकसभा चुनाव से ऐन पहले की हैं। ज़ाहिर है देश के एक बड़े पत्रकार के व्हाट्स ऐप चैट लीक ने बहुत गम्भीर सवाल देश के सामने खड़े कर दिये हैं।
सब जानते हैं कि मुम्बई पुलिस टीआरपी स्कैम की जाँच कर रही है। निश्चित ही उसने अपना पक्ष मज़बूत करने के लिए अर्नब और अन्य के मोबाइल फोन खँगाले होंगे। इसमें भी कोई दो-राय नहीं कि यह व्हाट्स ऐप चैट वहीं कहीं से लीक हुई होगी। चैट्स गलत या झूठी होतीं, तो निश्चित ही अर्नब और सरकार ने इनका खण्डन कर दिया होता। अब तक नहीं किया, तो इसका मतलब यही कि इनमें सच्चाई होगी। लेकिन इनमें जो चीज़ें सामने आ गयीं; पहली, वो सिर्फ टीआरपी स्कैम तक सीमित नहीं हैं। देश की सुरक्षा से जुड़े बेहद संवेदनशील मुद्दों पर जिस तरह तफरीह के मूड में चैट हुआ और जिस तरह इसमें राजनीतिक लाभ की बातें हुईं, उन्होंने देश के चौंका दिया है। यह बातें बहुत गम्भीर हैं।
दूसरी, सरकार की देशसेवा पर सवाल उठते हैं। तीन महीने पहले मुम्बई पुलिस ने दावा किया था कि बार्क के पूर्व सीओओ रोमिल रामगढिय़ा ने अर्णब के रिपब्लिक टीवी की लॉन्चिंग के करीब 40 हफ्तों में उनके प्रतिस्पर्धी चैनलों की टीआरपी रेटिंग से छेड़छाड़ की थी, जिससे रिपब्लिक की टीआरपी बढ़ जाए। इसी सिलसिले में पार्थो दासगुप्ता गिरफ्तार हुए और उनका फोन पुलिस ने अपने कब्ज़े में ले लिया। इसके इस चैट में कई काले सच उजागर हुए। एक जगह टीआरपी देने के एवज़ में दासगुप्ता ट्राई पर दबाव डलवाने की बात कर रहे हैं और एक जगह अर्नब से पूछा जा रहा है कि क्या वह किसी एएस से कहकर ट्राई पर नकेल कसवा सकते हैं?
लीक चैट के अन्य कुछ हिस्से बहुत खतरनाक संकेत देते हैं। इनमें देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है और हमारे सैनिकों की शहादत से जुड़ा है। कथित चैट में अर्नब एक जगह दावा कर रहे हैं, उन्हें बालाकोट स्ट्राइक की जानकारी तीन दिन पहले ही हो गयी थी। यह मामला इसलिए गम्भीर है कि इस तरह के ऑप्रेशन बहुत महत्त्वपूर्ण तथा संवेदनशील होते हैं और उन्हें बहुत गोपनीय रखा जाता है, ताकि दुश्मन को भनक भी न लगे। एक पत्रकार को तीन दिन पहले ही इसकी जानकारी हो गयी। निश्चित ही एक बेहद गोपनीय ऑप्रेशन की जानकारी लीक होने से योजना पर पानी फिर सकता था या हमारे देश के जवानों की ज़िन्दगी भी खतरे में पड़ सकती थी।
बहुत-से जानकार अब इसे राष्ट्र की सुरक्षा से खिलवाड़ बता रहे हैं। अब देखना होगा कि क्या इसकी जाँच होगी? कांग्रेस संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) इसकी जाँच की माँग कर चुकी है। कांग्रेस अर्नब को गिरफ्तार करने की माँग कर चुकी है। सरकार ने फिलहाल इस मसले पर चुप्पी साध रखी है। लीक चैट में एक मौके पर अर्नब गोस्वामी अपने चैनल की टीआरपी के लिए दिवंगत पूर्व मंत्री और वरिष्ठ भाजपा नेता अरुण जेटली को भी लपेट लेते हैं। जेटली की मृत्यु को अर्नब के हिन्दी चैनल रिपब्लिक भारत पर एक ‘बड़ी जीत’ की तरह दर्शाया गया। अब कई नेताओं और अन्य हस्तियों ने गोस्वामी की इसके लिए निंदा की है। इन चैट्स के लीक होने के बाद अर्नब और सरकार सवालों के घेरे में हैं। नैतिकता का ढोल पीटने वाले अर्नब आज अनैतिकता की ऊँची मीनार पर बैठे दिख रहे हैं।
याद रहे मुम्बई पुलिस ने पिछले साल 24 दिसंबर को दासगुप्ता को गिरफ्तार किया था। अर्नब गोस्वामी से सीधे जुड़ी 500 से ज़्यादा पन्नों की व्हाट्स ऐप चैट्स आज सोशल मीडिया में वायरल हैं। ‘तहलका’ की जानकरी के मुताबिक, अगले हफ्तों में इस तरह की और चैट्स लीक हो सकती हैं या कोर्ट में बतौर सुबूत पेश की जा सकती हैं। वैसे इस मामले में अभी तक 15 लोगों को गिरफ्तार किया गया है और दो बार (नवंबर और जनवरी में) चार्जशीट भी दायर की गयी हैं और लीक चैट्स चार्जशीट का हिस्सा हैं। अभी कुछ और लोगों की तलाश अधिकारियों को है। अर्नब और दासगुप्ता के बीच कथित व्हाट्स ऐप चैट्स टीआरपी घोटाले में मुम्बई पुलिस के 3,600 पन्नों की पूरक चार्जशीट का हिस्सा हैं, जो 11 जनवरी को दाखिल की गयी।
टीआरपी मामले की बात करें तो चैट्स से ज़ाहिर होता है कि दासगुप्ता और अर्नब लगातार सम्पर्क में थे। बार्क के चीफ ऑपरेटिंग ऑफिसर रोमिल रामगढिय़ा और रिपब्लिक टीवी के सीईओ विकास खानचंदानी के बीच हुए चैट भी सामने आये हैं। दासगुप्ता फिलहाल न्यायिक हिरासत में हैं, जबकि रामगढिय़ा और खानचंदानी जमानत पर हैं। चैट से ज़ाहिर होता है कि दासगुप्ता ने गोस्वामी के साथ ग्रेन्यूलर डाटा भी शेयर किया था, साथ ही यह भी लिखा था कि बार्क ने इस स्तर के डाटा को किसी और के साथ शेयर नहीं किया है। इसके जवाब में गोस्वामी ने उनकी प्रशंसा की। दासगुप्ता ने रामगढिय़ा को दर्शकों की संख्या पर नज़र रखने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने दो चैनलों (रिपब्लिक और टाइम्स नाउ) के बीच अन्तर करने का भी ज़िक्र किया है।
एक अन्य चैट में दासगुप्ता कहते हैं कि एनबीए को जाम कर दिया गया है और वह यह बात बहुत भरोसे के साथ बता रहे हैं। दासगुप्ता एक जगह अर्नब से कहते हैं कि आपके कुछ कहे बिना मैंने आपको सपोर्ट किया है। मैंने बाकी सब चैनलों, लोगों को जाम कर दिया है। मुम्बई क्राइम ब्रांच के प्रमुख मिलिंद भारंबे ने कुछ दिन पहले कहा था कि दोनों के खिलाफ सीआईयू को बार्क के सर्वर से महत्त्वपूर्ण सुबूत मिले हैं। इनसे यह साबित होता है कि इन दोनों आरोपियों ने अर्नब गोस्वामी के साथ साज़िश रची और उसी के तहत रिपब्लिक टीवी को अवैध तरीके से नंबर-1 बनाया गया।
चैट से साफ संकेत मिलते हैं कि बार्क के अधिकारी रिपब्लिक टीवी और रिपब्लिक भारत के पक्ष में रेटिंग बढ़ाने के लिए कुछ हेरफेर कर रहे थे। यह भी पता चलता है कि बार्क के अधिकारी रिपब्लिक टीवी को रेटिंग बढ़ाने की रणनीति भी समझा रहे थे। इसके बदले में अर्नब गोस्वामी दासगुप्ता को सूचना और प्रसारण मंत्रालय, केबिनेट में फेरबदल और सचिवों की नियुक्तियों जैसी अहम जानकारी उन्हें दे रहे थे।
सीआईयू ने कोर्ट में बताया था कि अर्नब ने टीआरपी में हेर-फेर के लिए पार्थो दासगुप्ता को लाखों रुपये दिये थे। दासगुप्ता ने बार्क को गोपनीय डाटा को व्हाट्स ऐप और ई-मेल से अर्नब को लीक किया और बदले में अर्नब के ज़रिये केंद्र सरकार में मीडिया सलाहकार बनाने में मदद माँगी। अर्नब की इससे मोदी सरकार में पैठ ज़ाहिर होती है। यह भी रिपोट्र्स हैं कि सीआईयू के पास अर्नब और पार्थो की मुम्बई के अलग-अलग होटलों में हुई मुलाकातों के भी पुख्ता सुबूत हैं। याद रहे इस मामले की मनी लॉन्ड्रिंग के लिए भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) जाँच कर रहा है।
मुम्बई में अर्नब वाला मामला पहले से ही राजनीति के केंद्र में है। अब अर्नब और दासगुप्ता की व्हाट्स ऐप चैट लीक होने के बाद मुम्बई कांग्रेस के नेता सचिन सावंत ने आरोप लगाया कि साफ हो गया है कि टीआरपी घोटाले में भाजपा और मोदी की केंद्र सरकार का भी हाथ है। ज़ाहिर है भाजपा को राष्ट्रीय स्तर पर व्हाट्स ऐप चैट लीक होने के बाद रक्षात्मक होना पड़ा है। विपक्ष यह आरोप लगाता रहा है कि केंद्र की मोदी सरकार और भाजपा टीआरपी घोटाले की जाँच को दबाने की कोशिश कर रही है। अब लीक चैट्स में यह खुलासा हो गया है कि अर्नब गोस्वामी बार-बार यह ज़ाहिर करते हैं कि उनकी सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) और सूचना और प्रसारण मंत्रालय में सीधी पैठ है।
यही नहीं, एएस से घनिष्ठ सम्बन्ध के उनके दावे को लेकर विरोधी पार्टियों के नेता इस एएस को मोदी सरकार के एक ताकतवर मंत्री का नाम बता रहे हैं। कांग्रेस माँग कर चुकी है कि एएस नाम का व्यक्ति कौन है? इसकी जाँच हो। यही नहीं, सूचना और प्रसारण राज्य मंत्री राज्यवर्धन सिंह राठौर के हवाले से चैट में लिखा गया है कि उन्होंने रिपब्लिक चैनल के खिलाफ मिली शिकायत को दरकिनार कर दिया है। कांग्रेस अब सवाल उठा रही है कि भाजपा को साफ करना चाहिए कि रिपब्लिक चैनल के खिलाफ मिली शिकायत पर कार्रवाई न करके उसे बचाने की कोशिश क्यों की गयी? अब मुम्बई पुलिस की अन्तिम जाँच पर देश भर की नज़रें हैं।
अर्नब को फिलहाल बॉम्बे हाई कोर्ट से 29 जनवरी तक सुरक्षा मिली हुई है। उसके बाद यदि वह इस मामले में गिरफ्तार हुए, तो मुम्बई पुलिस उनके खिलाफ दायर होने वाले पूरक आरोप-पत्र में उनसे जुड़ी और व्हाट्स ऐप चैट्स शामिल कर सकती है। ‘तहलका’ ने इन चैट्स का जो अध्ययन किया है, उसके मुताबिक, अर्नब और पार्थो की 7 जनवरी, 2017 की रात 9:44 बजे की एक चैट में अर्नब कहते हैं कि हम दोनों की व्हाट्स ऐप पर चैट्स और कॉल्स कोई पढ़ और सुन नहीं सकता। यहाँ तक की व्हाट्स ऐप कम्पनी से जुड़े लोग भी। अब यही अति आत्मविश्वास उनके खिलाफ सुबूत बन गया है।
विपक्ष आरोप लगाता रहा है कि भाजपा और केंद्र सरकार टीआरपी में अर्नब को बचाने की कोशिश कर रही है। यह कहा जाता है कि फर्ज़ी टीआरपी मामले में ईडी को केंद्र सरकार ने जानबूझकर डाला। यहाँ तक कि बॉम्बे हाई कोर्ट में एक मौके पर मुम्बई क्राइम ब्रांच ने इस मामले में ईडी के कार्यक्षेत्र को लेकर सवाल उठाये थे। दिलचस्प यह भी है कि ईडी टीआरपी मामले की जाँच मुम्बई में दर्ज एफआईआर के आधार पर नहीं कर रही, बल्कि उस एफआईआर पर कर रही है, जो बहुत गुपचप तरीके से लखनऊ के हज़रतगंज पुलिस स्टेशन में 17 अक्टूबर, 2020 को दर्ज हुई थी। इस एफआईआर पर अगले ही दिन मामला सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। विपक्ष को आशंका रही है कि लखनऊ की एफआईआर पर मुम्बई क्राइम ब्रांच का टीआरपी वाला केस सीबीआई अपने पास न ले ले। वैसे महाराष्ट्र सरकार ने अक्टूबर में एक आदेश जारी करके कहा था कि सीबीआई भविष्य में महाराष्ट्र सरकार की अनुमति के बिना किसी भी केस को सीधे अपने हाथ में नहीं ले सकती। वैसे टीआरपी मामले में सीबीआई की जाँच के स्टेटस की किसी को कोई जानकारी नहीं है; जबकि ईडी ने जनवरी के दूसरे पखवाड़े बॉम्बे हाईकोर्ट को बताया था कि उसकी अब तक की जाँच की स्टेटस रिपोर्ट तैयार है।
बार्क और रिपब्लिक ने क्या कहा
तमाम आरोपों पर बार्क ने अभी तक यही कहा है कि मामला न्यायालय में लम्बित है और जाँच जारी है। लिहाज़ा इस बारे में कुछ नहीं कहना है। उधर रिपब्लिक टीवी नेटवर्क ने एक बयान में कहा कि उसके खिलाफ जो केस दर्ज किया गया है, वह राजनीतिक विद्वेष की भावना से किया है। ये रिपब्लिक को कुचलने का कुछ चैनलों का मिलाजुला प्रयास है। हम सरकार और इस देश के लोगों से अपील करते हैं कि यह अन्याय मत होने दीजिए।
स्ट्राइक की सूचना लीक होना राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा : कांग्रेस
पत्रकार वार्ता करके कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं- ए.के. एंटनी, गुलाम नबी आज़ाद, सुशील कुमार शिंदे, सलमान खुर्शीद और पवन खेड़ा ने कहा कि पत्रकार अर्नब गोस्वामी और बार्क के पूर्व सीओई पार्थो दासगुप्ता के बीच बालाकोट हवाई हमले को लेकर जो व्हाट्स ऐप चैट सामने आये हैं; वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरा हैं और इस पूरे मामले की तुरन्त जाँच होनी चाहिए। पार्टी नेताओं ने कहा कि बालाकोट हवाई हमले की जानकारी एक पत्रकार के पास पहुँचना असामान्य बात है। किसी भी सैन्य कार्रवाई की जानकारी अत्यन्त गोपनीय होती है और इसकी जानकारी सिर्फ पाँच लोगों प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, रक्षा मंत्री, वायु सेना प्रमुख और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पास ही होती है। इन पाँच लोगों के अलावा इस सूचना को लीक करना गम्भीर अपराध होता है। कांग्रेस ने पूछा कि बालाकोट हवाई हमले की जानकारी पत्रकार अर्नब को कैसे मिली? और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा यह मामला लीक कैसे हुआ? इसकी जाँच ज़रूरी है। इन नेताओं ने कहा कि इस पूरे प्रकरण को पार्टी बजट सत्र के दौरान संसद में उठायेगी और सरकार से इस मुद्दे पर जवाब देने की माँग करेगी। एंटनी ने कहा कि लीक चैट्स में जो तथ्य सामने आये हैं, वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए गम्भीर खतरे की तरफ इशारा करते हैं। इन दोनों के बीच व्हाट्स ऐप पर जो बातचीत हुई है, वह बहुत दु:खद और अत्यंत गम्भीर है। यह बड़ा सवाल है कि एक पत्रकार को बालाकोट हवाई हमले की जानकारी पहले कैसे और किसने दी? यह राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है। यह साफ है कि सैन्य कार्रवाई से जुड़ी यह अति गोपनीय और अति संवेदनशील सूचना किसी मंत्री या सेना के शीर्ष नेतृत्व ने दी है। यह राष्ट्र विरोधी गतिविधि है और राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े इस मामले की व्यापक जाँच कर राष्ट्र विरोधी गतिविधि से जुड़े लोगों को दण्डित किया जाना चाहिए। शिंदे ने कहा कि सरकारी गोपनीय सूचना अधिनियम महत्त्वपूर्ण कानून है और इसका उल्लंघन होना बहुत बड़ा गुनाह माना जाता है। सरकार इस मामले को तत्काल संज्ञान में लेते हुए इस प्रकरण में कार्रवाई करेऔर गुनाहगारों को सज़ा दिलाये। आज़ाद ने कहा कि यहाँ एक तरफ तो राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है, जिससे किसी भी स्तर पर समझौता नहीं किया जाना चाहिए। उनका कहना है कि एक तो राष्ट्रीय सुरक्षा है और दूसरी तरफ टीआरपी बढ़ाने के लिए साज़िश करने का मामला है, जिसमें ज़्यादा टीआरपी के माध्यम से दबदबा बढ़ाकर ज़्यादा विज्ञापन हासिल करना है। यहाँ दोनों गम्भीर अपराध हुए हैं। टीआरपी बढ़ाने की साज़िश किये जाने का मतलब है कि आप अपनी योग्यता से नहीं, बल्कि आपराधिक साज़िश के माध्यम से टीआरपी में गड़बड़ी करके आगे बढ़े हैं। इसमें बड़ी बात यह है कि इस पूरे प्रकरण में सरकार और एक व्यक्ति के बीच साज़िश हुई है; जो कि सबसे ज़्यादा चिन्ता का विषय है। आज़ाद ने कहा कि इन दोनों स्थितियों की गम्भीरता को देखते हुए बार्क और टीआरपी प्रणाली को राष्ट्रीय सुरक्षा की कीमत पर जारी नहीं रखा जा सकता है। पवन खेड़ा ने कहा कि देश के साथ जो खिलवाड़ मोदी, अमित शाह और अर्नब गोस्वामी ने मिलकर किया है, उससे पूरा देश स्तब्ध है। यह आश्चर्य की बात है कि बड़े-बड़े दिखने वाले लोग कितने बौने हो जाते हैं कि वे मिलकर अपना ईमान एक पत्रकार को बेच रहे हैं।
यह बेहद संगीन मामला है। सरकार को उसी वक्त कार्रवाई करनी चाहिए थी और इस पर प्रतिक्रिया देनी चाहिए थी। मैं खुद सरकार की प्रतिक्रिया का इंतज़ार करता रहा। यह क्या हो रहा है? कि सुरक्षा के ऐसे संवेदनशील मामलों को बिना किसी जाँच के पसरने दिया जा रहा है; जबकि अनाप-शनाप फेसबुक पोस्ट करने वालों को पीट दिया जाता है और जेल में डाल दिया जाता है।रवीश कुमार
वरिष्ठ पत्रकार के एक लेख का हिस्सा
बालाकोट स्ट्राइक की जानकारी बस चार या पाँच लोगों को थी। प्रधानमंत्री, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और वायुसेना प्रमुख। और इनमें से ही किसी ने अर्नब गोस्वामी को जानकारी दी है। यह एक आपराधिक कृत्य है। जिसने जानकारी दी और जिस व्यक्ति के पास जानकारी आयी, दोनों के ही खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए; जाँच की जानी चाहिए। लेकिन यह जाँच कभी शुरू ही नहीं होगी। मैं बताता हूँ क्यों? क्योंकि यह जानकारी प्रधानमंत्री ने ही दी होगी। राहुल गाँधी, कांग्रेस नेता
मैंने पहले भी कहा था कि भाजपा ने राजनीतिक स्वार्थ के लिए सैनिकों की बलि चढ़ायी थी। यह बात आज देश के सैनिक भी कह रहे हैं और भाजपा के पत्रकार के लीक हुए मेसेजेज ने भी यह साबित कर दिया है। भाजपा किसी की सगी नहीं है। वह अपने लाभ के लिए सैनिकों के खिलाफ षड्यंत्र करने से भी पीछे नहीं हटती।शंकर सिंह भगेला
पूर्व मुख्यमंत्री, गुजरात
ये हैं अर्नब गोस्वामी और बार्क के सीईओ के बीच बातचीत के व्हाट्स ऐप चैट्स के कुछ स्क्रीनशॉट। इन स्क्रीनशॉट में कई षड्यंत्र देखे जा सकते हैं कि अर्नब गोस्वामी की सरकार में कितनी पैठ है! यह मीडिया का बेजा इस्तेमाल है। अर्नब और मीडिया अपनी ताकत का इस्तेमाल ब्रोकर के तौर पर कर रहे हैं। किसी भी अन्य देश में, जहाँ कानून का राज है; वहाँ अर्नब गोस्वामी जेल में होते।प्रशांत भूषण
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील
लोकसभा चुनाव जीतने के लिए भाजपा ने 40 जवानों की बलि चढ़ायी। यह अच्छा है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश और बिहार में तांडव के निर्माताओं और निर्देशकों के खिलाफ मामले दर्ज किये हैं; लेकिन अगर भाजपा सैनिकों की शहादत का अपमान करने के लिए अर्णब गोस्वामी के खिलाफ ऐसे मामले दर्ज करने जा रही है, तो वह एक असली आदमी है। अगर अर्नब गोस्वामी के देशद्रोह की भी चर्चा होती है, तो पुलवामा हमले के शहीदों की आत्माएँ शान्त हो जाएँगी। स्वतंत्रता और राष्ट्रवाद की लड़ाई दूसरों द्वारा लड़ी जाती थी; लेकिन यह राष्ट्र का चौथा स्तम्भ है! सब कुछ किया है, किसे दोष देना है? तांडव जारी है, यह जारी रहेगा।
शिवसेना मुखपत्र सामना में